
शाहबाज शरीफ, पीएम पाकिस्तान
नई दिल्लीः भारत से प्रतिस्पर्धा करने का सपना देखने वाला कंगाल पाकिस्तान बर्बादी के वर्जिन तक पहुंच गया है। सिर्फ पाकिस्तान ही नहीं, बल्कि उसका दूसरा भी भारत की तुलना में कहीं नहीं भरता। मौजूदा दौर में पाकिस्तान रुपये की स्वरूप भारत के नजरिए से 3 गुना कमजोर हो गया है। इससे पाकिस्तान के बाजार में होने की स्थिति है। डॉलर ने पाकिस्तानी रुपये को बोना साबित कर दिया है। पीएम शाहबाज शरीफ को अब इस हादसे से डरने का कोई रास्ता नहीं दिख रहा है। पाकिस्तान की हालत दिनों दिन खस्ता होती जा रही है। वरीयता के अनुसार अब पाकिस्तान डिफाल्टर होने के करीब है। पाकिस्तान के पूर्व पीएम इमरान खान ने पीएम शहबाज शरीफ द्वारा रुपये का कटलेआम करार दिया है।
पाकिस्तान में केंद्रीय बैंक की लेनदेन नीति की समीक्षा के बाद अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने भी उसके मामले पर चिंता जाहिर की है। अभी तक 1 डॉलर के लिए पाकिस्तान के रुपये की कीमत 266.11 रुपये थी, लेकिन अब यह 292 रुपये प्रति डॉलर तक पहुंच चुकी है। जबकि 1 लाख के नारे भारतीय मुद्रा की कीमत 82 रुपये के करीब है। इस दावे से पाकिस्तान का पहला भारत का नजरिया करीब तीन गुना कमजोर है। पाकिस्तान के अर्थविशेषज्ञों ने भ्रम के साथ होने वाले समझौते में देरी को ब्रेकते रुपये की वजह बताया है।
डिफॉल्टर होने के करीब पाकिस्तान है
पाकिस्तान के मुद्रा बाजार के फैसले के अनुसार पाकिस्तान और आइमे के बीच समझौता नहीं होने से रुपये की ये स्थिति हुई है। इस दावे में देरी के कारण अब पाकिस्तान डिफॉल्टर होने के करीब है। अगर ऐसा हुआ तो यह पाकिस्तान के लिए सबसे बड़ा झटका होगा। इसके बाद पाकिस्तान का पुनः अधिकार पाना आसान नहीं होगा। वरीयता के अनुसार राजनीतिक रेटिंग भी रुपये के अवमूल्यन का दूसरा कारण रहा। इससे पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था बंद हो चुकी है। खाने-पीने के शिकार हो गए हैं। पाकिस्तानियों को दो घंटे रोटी तक नसीब नहीं हो पा रही है। आटा और दाल के लिए पाकिस्तान के लोग आपस में जंग कर रहे हैं।
पूर्व पीएम ने कहा रुपये का हुआ कत्लेआम
पाकिस्तान के पूर्व प्रधान मंत्री और पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीएआई) के अध्यक्ष इमरान खान ने इसे रुपये का ‘कत्लेआम’ कहा है और सरकार को जिम्मेदार ठहराते हुए उसकी आलोचना की है। पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा कि पहला घंटा खत्म हो गया। पिछले 11 महीनों के दौरान पाकिस्तान रुपये में 62 प्रतिशत से अधिक गिरावट दर्ज की गई है। इससे सार्वजनिक ऋण बरबर 14.3 अन्य रुपये हो गए हैं। वहीं मुद्रा स्फीति 75 साल में सबसे ज्यादा 31.5 प्रतिशत पर पहुंच गई है। उन्होंने यह भी कहा कि पूर्व सेना के मेजर जनरल कमर जावेद बाजवा द्वारा शासन परिवर्तन की साजिश रचने की भी देश की भारी कीमत चुकाई जा रही है। उन्होंने कहा कि इस वजह से अपराधियों का एक समूह जबरन नेशन पर थोपा गया।
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