
UNITED NEWS OF ASIA. मोहित यादव, सिवनी/मध्यप्रदेश | मध्यप्रदेश के जिला सिवनी अंतर्गत ग्राम पंचायत झीलपीपरिया का ग्राम कंजई, जिसे प्रशासन द्वारा कागजों पर आदर्श ग्राम घोषित कर दिया गया है, हकीकत में बदहाली और भ्रष्टाचार का प्रतीक बन चुका है। नाममात्र का विकास दर्शाकर सरकारी दस्तावेजों में इसे मॉडल विलेज का दर्जा तो दे दिया गया है, लेकिन ज़मीनी सच्चाई इससे एकदम उलट है।
गांव के लोग बताते हैं कि यहां विकास के नाम पर वर्षों से केवल खानापूर्ति की जा रही है। एक प्रमुख उदाहरण ग्राम के आंगनवाड़ी केंद्र के पास स्थित पुलिया का निर्माण कार्य है, जो वर्षों पूर्व शुरू हुआ था लेकिन आज तक अधूरा पड़ा है। बताया जा रहा है कि करीब 13 लाख रुपए की लागत से इस पुलिया का निर्माण किया गया था, जिसे ग्राम पंचायत के तत्कालीन सरपंच मोहन चंद्रवंशी के सुपुत्र रामजी चंद्रवंशी द्वारा पूरा किया जाना था।
लेकिन निर्माण अधूरा छोड़ दिया गया और पुलिया बरसात में बह गई। ग्रामीणों की शिकायत पर पूर्व में 181 जन सुनवाई में मामला दर्ज भी हुआ था, जिसमें पंचायत ने नया निर्माण कराने का आश्वासन दिया। कुछ समय पश्चात दोबारा राशि स्वीकृत हुई और ऊपर से मुरम डालकर खानापूर्ति कर दी गई, जो पहली बारिश में ही बह गई।
इस लापरवाही और घटिया निर्माण का खामियाजा अब ग्रामीणों को भुगतना पड़ रहा है। हाल ही में एक ग्रामीण का पैर उसी अधूरी पुलिया में फंस गया और फ्रैक्चर हो गया। ग्रामीणों का सवाल है —
“क्या इस दुर्घटना का जिम्मेदार ग्राम पंचायत होगा या वह प्रशासन जिसने कागजों में इस गांव को आदर्श ग्राम घोषित कर दिया?”
ग्रामीणों की मांग है कि कलेक्टर सिवनी इस मामले का गंभीरता से संज्ञान लें और तथाकथित आदर्श ग्राम की वास्तविक स्थिति की समीक्षा करते हुए दोषियों पर कड़ी कार्रवाई करें।
“आदर्श ग्राम सिर्फ कागजों में नहीं, धरातल पर भी नजर आना चाहिए।” – एक ग्रामीण की व्यथा
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