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पद्मश्री सुरेंद्र दुबे का निधन, छत्तीसगढ़ के सांस्कृतिक मंच पर शून्यता

UNITED NEWS OF ASIA. रायपुर। छत्तीसगढ़ ही नहीं, पूरे देश को अपनी हास्य कविताओं से हँसाने और गुदगुदाने वाले प्रसिद्ध कवि पद्मश्री सुरेंद्र दुबे अब हमारे बीच नहीं रहे। उनका निधन दिल का दौरा (हार्ट अटैक) पड़ने से हो गया। इस दुखद समाचार से साहित्य, कला और सांस्कृतिक जगत में शोक की लहर दौड़ गई है।

‘ब्लैक डायमंड’ के नाम से पहचाने जाने वाले सुरेंद्र दुबे एक ऐसी शख्सियत थे, जिन्होंने हास्य व्यंग्य को नई ऊँचाइयाँ दीं। उनकी रचनाओं में सामाजिक व्यंग्य के साथ-साथ गहरी सोच और सरलता भी देखने को मिलती थी। वे मंच पर अपनी खास छत्तीसगढ़ी लहजे, तेज़ धारदार भाषा और हाजिरजवाबी के लिए देशभर में लोकप्रिय थे।

 हास्य का मंच अब सूना हो गया…

पद्मश्री सुरेंद्र दुबे ने दूरदर्शन, काव्य सम्मेलन, और निजी आयोजनों के ज़रिए हास्य को हर घर तक पहुँचाया। उनकी उपस्थिति मात्र से ही मंच जीवंत हो उठता था। उन्हें भारत सरकार द्वारा 2010 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया था, जो हास्य कविता के क्षेत्र में उनकी अप्रतिम योगदान का प्रमाण था।

उनकी प्रसिद्ध पुस्तकों में ‘मन तो चप्पल हो गया है’, ‘हँसी की गूँज’, ‘चुटकुले की छाँव’ आदि शामिल हैं। उनका जाना केवल एक कवि का नहीं, एक युग का अवसान है।

 छत्तीसगढ़ ने खोया अपना हँसता-हँसाता लाल

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री सहित विभिन्न साहित्यकारों, राजनेताओं और प्रशंसकों ने उनके निधन पर गहरा दुख व्यक्त किया है और इसे “छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक पहचान को गहरा आघात” बताया है।

 


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