UNITED NEWS OF ASIA. रायपुर। आंजनेय विश्वविद्यालय में निःशुल्क चिकित्सा जांच शिविर और ‘ताना-बाना’ महिला सशक्तिकरण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस अवसर पर निःशुल्क चिकित्सा जांच शिविर का आयोजन रामकृष्ण अस्पताल के साथ किए गए समझौता ज्ञापन (एमओयू) के तहत किया गया। जिसमें विभिन्न प्रकार के स्वास्थ्य परीक्षण किए गए।
‘ताना-बाना’ कार्यक्रम के अंतर्गत, विश्वविद्यालय द्वारा गोद लिए गए गांवों की महिलाओं को 45 दिनों का प्रशिक्षण दिया गया। इस प्रशिक्षण में सिलाई, कढ़ाई और हस्तशिल्प बनाने की कला सिखाई गई। इस अवसर पर पद्म श्री फूलबासन बाई यादव ने कहा, “सशक्त महिला पूरे समाज को मजबूती प्रदान करती है। आज का यह कार्यक्रम महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
आंजनेय विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित यह प्रशिक्षण कार्यक्रम ग्रामीण महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने में मददगार साबित होगा। उन्होंने सशक्त होती ग्रामीण महिलाओं से कहा कि आप सभी में अपार क्षमता है।
इस प्रशिक्षण ने आपको एक नई दिशा दी है। अब आप इस कौशल का उपयोग न केवल अपने परिवार की आय बढ़ाने के लिए कर सकती हैं, बल्कि दूसरों को भी सिखा सकती हैं। अपने सपनों को पूरा करने के लिए कड़ी मेहनत करें और कभी हार न मानें। आप सभी में एक उज्जवल भविष्य बनाने की क्षमता है।
इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. टी. रामाराव ने कहा, शैक्षणिक संस्था होने के साथ-साथ हमारा नैतिक दायित्व है कि हम अपने आसपास के लोगों को स्वावलंबी और आत्मनिर्भर बनने के लिए प्रेरित करें।
आज का यह कार्यक्रम इसी दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है। हमारा लक्ष्य केवल डिग्री देना नहीं, बल्कि समाज के हर वर्ग को सशक्त बनाना है। मुझे विश्वास है कि इस तरह के प्रयासों से हम एक ऐसा समाज बना सकेंगे जो शिक्षित, कौशल संपन्न और आत्मनिर्भर होगा।
प्रशिक्षण कार्यक्रम का निर्देशन सहायक प्राध्यापक विजया वैष्णवी और मोनिका साहू द्वारा दिया गया। विश्वविद्यालय ने प्रशिक्षण के लिए आवश्यक कच्चा माल और सिलाई मशीनें उपलब्ध कराईं। इस प्रशिक्षण के दौरान महिलाओं द्वारा बनाई गई वस्तुओं की प्रदर्शनी का उद्घाटन पद्मश्री फूलबसन बाई यादव ने किया।
सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाली महिला रितिक साहू को विश्वविद्यालय की ओर से एक सिलाई मशीन पुरस्कार स्वरूप प्रदान की गई।
इस कार्यक्रम की सफलता में माननीय प्रो चांसलर, वाइस चांसलर, डायरेक्टर जनरल और प्रो वाइस चांसलर का महत्वपूर्ण योगदान रहा।
उक्त कार्यक्रम की जानकारी संकायाध्यक्ष डॉ जैस्मिन जोशी ने प्रदान की।