
साक्षी ने कहा कि वे इतने सालों से चुप थे क्योंकि पहलवान एकता नहीं थे। रियो ओलम्पिक के कांस्य पदक विजेताओं ने कहा, ”आपने देखा कि नाबालिग अपनी जमानत के पीछे हट गई है। उनका परिवार डर गया है।
ओलंपिक पदक विजेता साक्षी मलिक और उनके पहलवान पति सत्यव्रत कादियान ने शनिवार को जोर देकर कहा कि उनका विरोध राजनीति से प्रेरित नहीं है और सालों तक खींचे रहते हैं, क्योंकि इससे पहले कुश्ती की जगह एकता नहीं थी। ट्विटर पर पोस्ट वीडियो में कादियान ने कहा कि उनके विरोध को लेकर फेयर स्टोरी तैयार की गई है और वह चीजों को साफ करना चाहते हैं। साक्षी, विनेश फोगाट और बजरंग पूनिया सहित देश के शीर्ष पहलवानों ने भारतीय कुश्ती महासंघ के निवर्तमान अध्यक्ष और भारतीय जनता पार्टी के सांसद बृजभूषण शरण सिंह पर यौन उत्पीड़न और डराने-धमकाने का आरोप लगाया है।
कांग्रेस की इमरान गांधी, अरविंद केजरीवाल, जम्मू-कश्मीर के पूर्व गवर्नर सत्य पाल मलिक सहित विभिन्न राजनीतिक कार्य के नेता धरना स्थल पर पहुंचे थे और पहलवानों का समर्थन किया था, जिन्हें 28 मई को जंतर-मंतर से हटा दिया गया था। कादियान ने कहा कि उनके प्रदर्शन को लेकर अफवाह फैलाई जा रही है। कादियान ने कहा, ”मैं आपको स्पष्ट कर दूं कि हमारा विरोध राजनीति से प्रेरित नहीं है। हम जनवरी में (जंतर-मंतर) आए थे और पुलिस से भाजपा के दो नेताओं ने आरोप लगाया था।’ यह पत्र पूर्व पहलवान बबीता फोगाट और एरोथ राणा ने लिखा था जो भाजपा से जुड़े हैं।
कादियान ने कहा, ”यह (प्रकट) कांग्रेस समर्थित नहीं है। (कुश्ती जगत में) 90 प्रतिशत से अधिक लोग जानते हैं कि पिछले 10 से 12 वर्षों से यह (उत्पीड़न और डरना) हो रहा है। कुछ लोगों ने आवाज उठाने की कोशिश की लेकिन कुश्ती जगत यूनाइटीटी नहीं था।” हैवीवेट वर्ग में चुनौती पेश करने वाले कादियान ने दोहराया कि उनकी लड़ाई डब्ल्यूएफआई प्रमुख के खिलाफ है, सरकार के खिलाफ नहीं। साक्षी ने कहा कि वे इतने सालों से चुप थे क्योंकि पहलवान एकता नहीं थे। रियो ओलम्पिक के कांस्य पदक विजेताओं ने कहा, ”आपने देखा कि नाबालिग अपनी जमानत के पीछे हट गई है। उनका परिवार डर गया है।
ये गरीब गरीब परिवार से ताल्लुक रखते हैं। ताकतवर व्यक्ति का बयान दर्ज करना आसान नहीं है।” कादियान ने कहा कि 28 मई को पुलिस की निर्दयता ने उन्हें तोड़ दिया। पुलिस ने उन्हें हिरासत में लिया और बस में सीट देकर हंगामा किया, जिसकी चौतरफा आलोचना हुई। दिग्गजों पर कानून और व्यवस्था के उल्लंघन का मामला दर्ज किया गया था क्योंकि वे बिना स्वीकृति के नए संसद भवन की ओर बढ़ने का प्रयास कर रहे थे। कादियान ने कहा, ”मैं यह स्पष्ट कर दूं कि ‘महिला सम्मान महापंचायत’ खाप नेताओं ने बुलाई थी और हमने उनके आदेश का पालन किया और पुलिस की हरबरीता का सामना किया। इससे हम टूट गए।” उन्होंने कहा, ”हमारे देश के लिए इतने सारे मेडल जीते और हमारी गरिमा को कुचला जा रहा था।
मैं शब्दों में ब्यां नहीं कर सकता कि हम किस दौर से गुजरे।” कादियान ने कहा, ”मैंने तब (हरिद्वार) में पदक विसर्जित करने का फैसला किया, लेकिन तंत्र (व्यवस्था) के एक व्यक्ति ने बजरंग की पकड़ ली और उसे एक कोने में ले जाया गया और उसे कई (प्रभावशाली) लोगों से बात करने के लिए मजबूर किया गया।” उन्होंने कहा, ”अगर हमने ऐसा किया (पदक विसर्जित करना) तो हिंसा हो सकती थी। इसलिए पहली बार शिक्षकों और माता-पिता को मेडल दिया गया।” कादियान ने कहा, ”उस घटना के बाद हमें नहीं पता था कि हमारी तरफ कौन था, किस व्यवस्था का हिस्सा था। हम बहुत से लोगों से मिले लेकिन यह नहीं पता था कि किसे गारंटी दी जाएगी।
हमें गृह मंत्री से मिलने की सलाह दी गई थी, हमें गया था कि हमारे वहां से समाधान होगा इसलिए हमने अपना दृष्टिकोण बताया।’ नाराज़ हैं। उन्होंने कहा, ”अगर हमने कुछ गलत किया है तो हम जोक मांगते हैं।” कादियान ने 11 मिनट के लंबे वीडियो के अंत में कहा, ”जब हम यूनिटी नहीं होते हैं तो तंत्र लाभ उठाता है। अगर आप किसी भी तरह के अन्याय का सामना कर रहे हैं तो अपनी आवाज उठाएं और एकता कायम रहें।
अस्वीकरण:प्रभासाक्षी ने इस खबर को निराशा नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआइ-भाषा की भाषा से प्रकाशित की गई है।
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