सिर्फ एक बंदा काफी है समीक्षा: हिंदुस्तान में फिल्मों में हर शुक्रवार को रिलीज होती हैं। कुछ भारी भरकम बजट वाली फिल्मों में बेहद हंगामा के साथ आने से पहले कोहराम मचाते हैं, तो कुछ फिल्मों की रिलीज सन्नाटे में ही निकल जाती है। लेकिन शुक्रवार में किसी एक शुक्रवार को कुछ ऐसी फिल्में रिलीज होती हैं, जो शुक्रवार से कहीं बड़ी होती हैं और उन्नीस सालों तक याद की जाती हैं। 23 मई, 2023 को एक ऐसी ही फिल्म रिलीज हो रही है, जो आपका ‘सिनेमाई जादू’ में फिर गारंटी देगी। फिल्म का नाम है ‘सिर्फ एक ही बंद काफी है’ और ये बंदा है मनोज वाजपेयी। चलिए बताते हैं कि मैं इस फिल्म के लिए तय हूं कि इतनी मेहनत के पुल क्यों बांधे।
क्या कहता है कहानी : सबसे पहली कहानी की बात कर लें तो इसकी कहानी आपको काफी मशहूर पहचान दिलाने में लग जाएगी और हो सकता है कि पुराने सालों की कई घटनाएं आपको याद आ जाएं। कहानी है अपने आप को बाबा कहलाने वाले एक गुरु कि जो कई दरवाजे खोलते हैं। इस बाबा पर एक ही केश के स्कूल में एक नाबालिग गर्ल नूह सिंह (अद्रीजा सिन्हा) ने बलात्कार का मामला सामने आया है। कोर्ट में पहुंचे इस मामले में एक तरफ बाबा जी को बचाने के लिए शर्मा जी (विपिन शर्मा) के अलावा एक से एक बड़ी वजह की पूरी कवायद शुरू हो गई है और दूसरी तरफ है ये लड़की जिस का मामला है पीसी सोलंकी (मनोज बजपेयी) ने। यही है वो पी सी सोलंकी जो ‘एक ही बंद है और काफी है।’
इस फिल्म में नूह सिंह का किरदा अद्रिजा सिन्हा ने निभाया है।
हिंदी सिनेमा में कई फिल्मों में आपने कोर्ट-रूम ड्रामा देखा है, लेकिन ‘सिर्फ एक बंदा काफी है’ यह काफी कुछ अभी तक की सबसे मौलिक फिल्म जा सकती है। न जोर से चिल्लता अर्दली और न क्लोजिंग स्पीच पर तालियां बजाते कोर्ट रूम में बैठे लोग। इस फिल्म की कहानी इतनी कसी और इतनी तीखी है कि आपको कहीं भी टेंटंट का वक्त नहीं मिलेगा और ये बात ओटीटी रिलीज में बेहद अहम हो जाती है। निदेशक पूर्व सिंह कार्की बधाइयां के पात्र हैं कि उन्होंने इस फिल्म को इस तरह से गढ़ा है। अकसर ऐसे क्रोर्टरूम ड्रामा में आपको भावनाओं से लेकर लंबे समय तक मोनोलॉग मिल जाते हैं, लेकिन यहां लेखक दीपक किंगरानी की जिनी की कहानी को गढ़ने में कहीं भी कोरी-भावनाओं का इस्तेमाल नहीं किया जाता है। उनकी लिखी क्लॉजिंग स्पीच को सुनने वाले कुछ मजा लेते हैं।
‘सिर्फ एक बंदा काफी है’ आपका पहला सीन से आखिरी सीन तक आपको कहानी से बांधे रखने का माद्दा दुश्मन है और ये काम एक अकेला बंदा है अगर कोई कर सकता है तो वो हैं मनोज बाजेपेयी। अच्छी फिल्मों पर दुनिया भर का भरोसा, 1 फिल्म के जरिए अभिनय का पूरा सिलेबस जिम्मेवार होने के लिए, एक ही बंदा काफी है.. मनोज वाजपेयी. कोर्टरूम में अपने सामने के बड़े-बड़े लोगों के आगे चलकर मनोज वाजपेयी की बॉडी लेंग्वेज हैरान कर देंगे। वो हर सीन में जैसे जादू सा करते नजर आए। जज के सामने अपना पक्ष रखने का आत्मविश्वास, अपने सामने शेयर सीनियर वकील की इज्जत या फिर अपने परिवार की जान पर मडराता खतरों का डर, सोचिए ये सब कुछ आप एक ही शख्स के अंदर देख रहे हैं वो भी एक ही सीन में। मनोज ने अपनी खाते से इस फिल्म को वो फिल्म बना दिया है, जैसे सालों तक याद रखा जाएगा। विशेष रूप से इस फिल्म का क्लाइमैक्स, जिस में मनोज की बातों के साथ उनकी निगाहें, उनके हाथों की अंगुलियांं भी अभिनय करती नजर आएंगी।
मनोज बाजपेयी की इस फिल्म को एक्टिंग सीखने वाले स्टुडेंट्स को एक सिलेबस के तौर पर दिखाया जा सकता है।
ये फिल्म मनोज वाजपेयी की है, लेकिन इस दौरान बाकी कलाकार भी उभर कर आए हैं। बाब के किरदार में नजर आए सूर्य मोहन कुलश्रेष्ठ ने चंदा ही डायलॉग बोले हैं, लेकिन उन्हें अपने लुक्स और हाव-भाव से आपके अंदर द्वेष पैदा करने का काम बखूबी किया है। वहीं नूह सिंह के किरदार में नजर आईं अद्रिजा सिन्हा बेहतरीन रही हैं। जब भी वो पर्दे पर नजर आएंगे, उनकी आंखों से आप वो दर्द महसूस करेंगे। वहीं विपक्ष के वकील के तौर पर नजर आए विपिन शर्मा एक बार फिर भा जाएंगे।
ZEE5 पर रिलीज हो रही ये फिल्म एक बेहतरीन फिल्म है और कह सकती है कि 2023 में रिलीज हुई वो फिल्म जिसे बिना अगर और लेकिन के आप दिल से स्वीकार करेंगे। बिहार से हीरो बन गया मनोज मनोज वाजपेयी को एनएसडी (नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा) में एडमीशन नहीं मिला था और इस बात का उन्हें सालों तक मलाल रहा है। लेकिन ये तय है कि पिछले कुछ सालों में मनोज ने अपने अभिनय से जो कमाल किया है, वो एनएसडी की किताबों में जरूर कोर्स के तौर पर शामिल होंगे। और अगर ऐसा हुआ तो उन स्टुडेंट्स को ‘सिर्फ एक बंदा काफी है’ जरूर दिखेगा। मेरी तरफ से इस फिल्म को 4 स्टारर।
विस्तृत रेटिंग
कहानी | : | |
स्क्रिनप्ल | : | |
डायरेक्शन | : | |
संगीत | : |
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टैग: मनोज बाजपेयी, Zee5
पहले प्रकाशित : 21 मई, 2023, 18:11 IST