छत्तीसगढ़बेमेतरा

विश्व स्तनपान सप्ताह पर शिशुवती माताओं को किया गया जागरूक, जिला अस्पताल बेमेतरा में चलाया गया जागरूकता अभियान

UNITED NEWS OF ASIA. अरुण पुरेना, बेमेतरा। संचनालय स्वास्थ्य सेवाए के दिशा निर्देश पर विश्व स्तनपान सप्ताह अगस्त माह 2024 के प्रथम सप्ताह में मनाया जाना है । उक्त अवसर पर जिला चिकित्सालय के एमसीएच में भर्ती समस्त शिशुवती माताओं को सिविल सर्जन डॉ संत राम चुरेंद्र, अस्पताल प्रमुख सलाहकार डॉ स्वाति यदु, प्रभारी मेट्रन आरती दत्ता के उपस्थिति में आरएमएनसीएच परामर्शदाता विद्या साहू द्वारा शिशुवती माताओं को अपने बच्चो को स्तनपान कराने के फायदे, स्तनपान कैसे कब तक कराए, स्तनपान कैसे कराएं आदि के बारे में प्रत्येक माताओं को जानकारी देकर स्तनपान हेतु जागरूक किया गया।

विश्व स्तनपान सप्ताह पर ऑनलाइन उन्मुखीकरण का आयोजन

बच्चे एवं माताओं के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने की दिशा में प्रत्येक वर्ष की भांति इस वर्ष भी 1 से 7 अगस्त 2024 तक “विश्व स्तनपान सप्ताह” वैशविक अभियान की तरह मनाया जा रहा है। इस अभियान के माध्यम से स्तनपान के महत्व को प्रभावी ढंग से समुदाय तक पहुंचाया जा सकता है।

विश्व स्तनपान सप्ताह पर दिनांक 02 अगस्त 2024 को अपरान्ह 12:00 बजे से ऑनलाइन वेबिनार का आयोजन राज्य स्तरीय किया गया । उक्त वेबिनार में जिला बेमेतरा के शिशु स्वास्थ्य नोडल अधिकारी, अस्पताल सलाहकार, आर.एम.एन.सी.एच.ए सलाहकार, विकासखंड चिकित्सा अधिकारी, विकासखंड कार्यक्रम प्रबंधक, जिला समन्वयक मितानिन, विकासखंड समन्वयक मितानिन, SNCU, NBSU, एवं NBCC में कार्यरत स्टाफ नर्स, जिला अस्पताल, सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र, सिविल अस्पताल, प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में कार्यरत स्टाफ नर्स, हेल्थ एण्ड वेलनेस सेंटर में कार्यरत सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी (सी.एच.ओ), ए.एन.एम एवं संबंधित अधिकारी/कर्मचारी ऑनलाइन बेबिनार में अपनी उपस्थिति दर्ज कर जानकारी ली।

स्तनपान बच्चो के लिए आवश्यक

जैसा कि आप जानते है, बच्चे एवं माताओं के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने की दिशा में प्रत्येक वर्ष की भांति इस वर्ष भी 1 से 7 अगस्त 2024 तक “विश्व स्तनपान सप्ताह” वैश्विक अभियान की तरह मनाया जा रहा हैं। इस अभियान के माध्यम से स्तनपान के महत्व को प्रभावी ढंग से समुदाय तक पहुंचाया जा सकता है।

यह सर्वविदित है कि शिशु के लिए स्तनपान न केवल सर्वोत्तम आहार हैं तथापि यह शिशु के मानसिक विकास, शिशु को डायरिया, निमोनिया एवं कुपोषण से बचाने और स्वास्थ्य के लिए भी आवश्यक है। स्तनपान कराने में माताओं का सहयोग एवं स्तनपान को बढ़ावा दिया जाना अत्यंत महत्वपूर्ण है। जन्म के छः माह तक केवल स्तनपान, दो साल तक सतत स्तनपान और उसके बाद भी स्तनपान जारी रखने से शिशु को उच्च गुणवत्ता वाली ऊर्जा एवं पोषक तत्व प्राप्त होता हैं।

बच्चों के पोषण एवं स्वास्थ्य पर स्तनपान के प्रभावी हस्ताक्षेप को समझते हुए, विश्व स्तनपान सप्ताह के अवसर का समुचित उपयोग करते हुए समुदाय को बेहतर स्वास्थ्य की ओर ले जाया जा सकता है। इस वर्ष विश्व स्तनपान सप्ताह का थीम है- अंतर को कम करना- सभी के लिए स्तनपान समर्थन’ (Closing the gap: Breastfeeding support for All)

स्तनपान की राज्य में दर

राज्य में NFHS-4 (2015-16) की तुलना में NFHS-5 (2019-21) में प्रसव के एक घंटे के भीतर स्तनपान की दर घटकर 47.1% से 32.4% हो गयी है। इस महत्वपूर्ण सूचकांक को संज्ञान में लेते हुए तथा बच्चो के मानसिक एवं शारीरिक विकास में स्तनपान के महत्व को दृष्टिगत रखते हुए यह आवश्यक हैं कि विश्व स्तनपान सप्ताह का आयोजन भारत सरकार द्वारा प्रस्तावित गतिविधियों अनुसार किया जाना आवश्यक है।

विश्व स्तनपान सप्ताह के दौरान सिविल सर्जन डॉ चुरेंद्र ने दिए जानकारी –

  • 1) डिलवरी प्वाइंट के समस्त स्टाफ (मेडिकल ऑफिसर, स्टाफ नर्स, सी.एच.ओ, ए.एन. एम) को प्रसव के एक घंटे के भीतर स्तनपान, कोलोस्ट्रम एवं 6 माह तक केवल स्तनपान के महत्व के विषय में उन्मुखीकरण किया जाएगा।
  • 2) SNCU, NBSU, , PNC Ward शिशु वॉर्ड एवं पोषण पुनर्वास केन्द्र के स्टाफ एवं भर्ती किये गये बच्चों के माताओं का स्तनपान के संबंध में उन्मुखीक किया जायेगा।
  • 3) स्तनपान तथा शिशु एवं बच्चों के पोषाहार (IYCF) को बढ़ावा देने के लिए एमसीपी कार्ड (MCP Card) के महत्व के बारे में जागरुक किया जाना।

स्तनपान सप्ताह पर चर्चा के मुख्य बिन्दुः-

1. माँ के दूध में शिशु की आवश्यकतानुसार पानी होता है। छः माह तक ऊपर से पानी देने की कोई आवश्यकता नहीं।
2. धात्री माताओं को प्रसव के बाद सफल स्तनपान के संबंध में बताया जाये तथा यदि किसी कारणवश बच्चे को माँ से दूर रखना पड़े तो भी स्तनपान की निरन्तरता बनाये रखने के बारे में बताया जाये। स्तनपान बच्चों को बुद्धिमान बनाता हैं
3. इसकी चर्चा की जाये कि माँ के पास जितना नवजात रहेगा नवजात में उतनी भावनात्मक वृद्धि होती है, सुरक्षा का आभास रहता है तथा माँ के दूध से कुपोषण का शिकार नहीं हो पाता है बच्चा स्वस्थ्य एवं बुद्धिमान होता है।

4. नवजात शिशु को केवल माँ का ही दूध दिया जाये, ऊपर से कुछ भी न दिया जाये तब तक कि चिकित्सक द्वारा न बताया गया हो।

5. नवजात शिशु की माँग के अनुसार स्तनपान कराया जाये, यानि जितनी बार शिशु चाहे उसे उतनी बार स्तनपान करायें।

6. बच्चे को चुसनी, निप्पल अथवा सूदर (चबाने के लिये मुलायम खिलौने) आदि न दिये जाये।

 


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