
UNITED NEWS OF ASIA. गरियाबंद | जिले की प्रतिभाशाली बेटी साक्षी जायसवाल ने पूरे प्रदेश का नाम रोशन किया है। पाण्डुका नवोदय विद्यालय में 11वीं की छात्रा साक्षी को दिल्ली में आयोजित अखिल भारतीय कलवार, कलाल, कलार महासभा के राष्ट्रीय अधिवेशन में राष्ट्रीय कलचुरी गौरव सर्वोच्च नागरीक सम्मान से सम्मानित किया गया।
दिल्ली के हरिमंदिर, गुरुतेग बहादुर नगर में हुए इस भव्य आयोजन में देश-विदेश से आए प्रतिभागियों की मौजूदगी में यूपी के कैबिनेट मंत्री रविंद्र जायसवाल ने उन्हें यह सम्मान प्रदान किया। कुल 19 विभूतियों में साक्षी सबसे कम उम्र की प्रतिभागी रहीं।
प्रदेश की पहली बालिका साइंटिस्ट
साक्षी ने केवल 16 वर्ष की उम्र में प्रकाश का उपयोग करके डेटा ट्रांसफर हेतु वायरलेस संचार तकनीक का आविष्कार कर “गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड” में अपना नाम दर्ज कराया है। वे छत्तीसगढ़ की पहली बालिका साइंटिस्ट बनीं और महज 12 वर्ष की उम्र में यह खिताब हासिल कर वर्ल्ड रिकॉर्ड कायम किया।
उनकी इस उपलब्धि के पीछे उनके पिता पी.एल. जायसवाल (प्राचार्य, डीएवी स्कूल बेमेतरा) और मां सुनीता जायसवाल (प्राचार्य, एसवी इंटरनेशनल स्कूल) का भी विशेष योगदान रहा है।
महासभा ने की भविष्य की शुभकामना
अखिल भारतीय कलवार, कलाल, कलार महासभा के राष्ट्रीय महासचिव किशोर भगत ने कहा –
“हम हर वर्ष समाज के गौरव को सम्मानित करते हैं। साक्षी को इतनी कम उम्र में यह सफलता पाना हमारे लिए भी प्रेरणादायी है। हम उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना करते हैं।”
भाई पियूष भी बाल वैज्ञानिक
साक्षी के भाई पियूष जायसवाल ने भी 13 वर्ष की उम्र में ही बाल वैज्ञानिक के रूप में वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया। वे मात्र 13 वर्ष की उम्र में PhD सर्टिफिकेट हासिल कर अल्बर्ट आइंस्टीन का रिकॉर्ड तोड़ चुके हैं।
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