कबीरधामछत्तीसगढ़

उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा की पहल पर कावड़ यात्रियों के लिए निःशुल्क सेवा केंद्र, भोजन से लेकर चिकित्सा तक सभी सुविधाएं उपलब्ध

सावन में शिवभक्तों के लिए अमरकंटक में भक्ति और सेवा का संगम

UNITED NEWS OF ASIA. कवर्धा  |  सावन माह की पावन बेला में जब कांवड़ यात्रियों की टोलियाँ हर-हर महादेव का उद्घोष करते हुए अमरकंटक की ओर बढ़ती हैं, तब उनके स्वागत के लिए अमरकंटक स्थित मृत्युंजय आश्रम में एक सेवा तीर्थ निर्मित हो गया है। यह सेवा केंद्र छत्तीसगढ़ के उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा की पहल और जिला बोल बम समन्वय समिति के सहयोग से 11 जुलाई से 6 अगस्त तक संचालित किया जा रहा है।

सेवा का विस्तार – श्रद्धा से सुविधा तक

इस निःशुल्क सेवा केंद्र में:

  • 🔸 सुबह की चाय एवं हल्का नाश्ता

  • 🔸 दोपहर और रात्रि का सात्विक भोजन

  • 🔸 पेयजल और शुद्ध शौचालय सुविधाएं

  • 🔸 विश्राम स्थल और प्राथमिक चिकित्सा सुविधा
    श्रद्धालुओं को उपलब्ध कराई जा रही हैं।

शिव की सेवा = शिवभक्त की सेवा : विजय शर्मा

 

उपमुख्यमंत्री श्री विजय शर्मा ने कहा –

“सावन भगवान शिव की आराधना का समय है, और शिवभक्तों की सेवा करना स्वयं शिव की सेवा है। हमारा प्रयास है कि कोई भी यात्री असुविधा का अनुभव न करे और उसकी भक्ति पूरी श्रद्धा से पूर्ण हो।”

वह स्वयं भी इस सेवा अभियान की निगरानी कर रहे हैं और समन्वय समिति से निरंतर संवाद में हैं।

सेवा का सैलाब, श्रद्धा का संगम

गत वर्ष जहाँ 50,000 से अधिक श्रद्धालुओं ने इस सेवा का लाभ लिया था, वहीं इस वर्ष अभी से हजारों की संख्या में भक्त अमरकंटक पहुँच चुके हैं। लगातार बढ़ती संख्या को देखते हुए इस बार केंद्र की क्षमता और संसाधनों का विस्तार किया गया है।

कबीरधाम से आए श्रद्धालुओं ने जैसे ही आश्रम प्रांगण में प्रवेश किया, समिति के सदस्यों ने पुष्पवर्षा और जयकारों से स्वागत किया। हर चेहरा भक्ति, संतोष और कृतज्ञता से भरा था।

राजनीति से ऊपर उठी सेवा

अमरकंटक का यह सेवा केंद्र केवल एक व्यवस्थागत प्रयास नहीं, बल्कि सामूहिक चेतना, मानवीय संवेदना और सामाजिक समर्पण का उदाहरण बन गया है। यहाँ भोजन मिल रहा है, विश्राम मिल रहा है, लेकिन सबसे बढ़कर मिल रहा है – सम्मान और अपनापन।

शिवभक्तों के लिए यह स्थान भक्ति का केंद्र ही नहीं, एक ऐसा अनुभव है जो आत्मिक संतुष्टि और सेवा के भाव से परिपूर्ण है।

छत्तीसगढ़ में सावन का यह आयोजन सिर्फ धार्मिक आस्था का उत्सव नहीं, बल्कि जन सेवा के नए आयामों का प्रतीक बन चुका है। उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा के नेतृत्व में जिस सेवा संस्कृति का विस्तार हुआ है, वह समाज में सहयोग, समर्पण और श्रद्धा की नई परिभाषा गढ़ रहा है।

“हर हर महादेव!” के जयकारों के बीच गूंजती है सेवा की आवाज, और यही है सावन की असली पूजा।

 


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