भारत में प्रत्येक जज रोजाना 50-60 मामलों का निर्वाह कर रहा है। यदि मुझे गंभीर मामलों का निर्वाह करना हो तो मानसिक दबाव डालना होगा। इसलिए कभी-कभी लगातार आलोचना होती है कि न्यायाधीश न्याय करने में असमर्थ होते हैं, जो सच नहीं है।
मदुरै। केंद्रीय कानून एवं न्याय मंत्री किरेन रिजिजू ने सरकार और न्यायपालिका के बीच किसी तरह के टकराव से इनकार करते हुए शनिवार को कहा कि लोकतंत्र में पराजय अप्राप्य हैं, लेकिन उन्हें टकराव नहीं समझा जाना चाहिए। मंत्री ने भारत के प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, तमिलनाडु के कर्मचारियों एम के स्टालिन और मद्रास उच्च न्यायालय के कार्य मुख्य न्यायाधीश मुंबई टी राजा की उपस्थिति में यहां मुख्य न्यायाधीश न्यायाधीश मिलादुत्रयी का उद्घाटन किया।
रिजिजू ने कहा, ”हमारे बीच परदे हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि टकराव है। इससे दुनिया भर में एक गलत मैसेज जाता है। मैं यह स्पष्ट करना चाहता हूं कि देश के विभिन्न अंगों के बीच कोई परेशानी नहीं है। यह मजबूत लोकतांत्रिक कार्य के संकेत हैं, जो संकट नहीं हैं।” सरकार और सुप्रीम कोर्ट या विधायिका और न्यायपालिका के बीच मतभेद संबंधी मीडिया की कुछ खबरों की ओर इशारा करते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा, ”हमें यह कारण बताना चाहिए कि हम एक लोकतंत्र हैं। कुछ दृष्टिकोणों के संदर्भ में कुछ भिन्न रूप तय किए जाते हैं, लेकिन आप परस्पर विरोधी रुख नहीं रख सकते। इसका मतलब टकराव नहीं है। हम दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र हैं।”
उन्होंने कहा कि केंद्र भारतीय न्यायपालिका के स्वतंत्र जीवन का समर्थन करेगा। उन्होंने पीठ और बार को एक ही सिक्के के दो पहलू का नियम देते हुए एक साथ काम करने का आश्वासन दिया और यह सुनिश्चित करने का आह्वान किया कि अदालत परिसर विभाजित न हो। उन्होंने कहा, ”एक के बिना दूसरे का अस्तित्व नहीं हो सकता। अदालत में उचित प्रबंधकों और अनुकूल माहौल होना चाहिए।” नोटिस के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि पिछले साल सरकार ने राज्य में जिला और अन्य अदालतों के लिए 9,000 करोड़ रुपये जारी किए थे, और उनके विभाग धन के उपयोग पर जोर दे रहा है ताकि और अधिक की मांग की जा सके। रीजीजू ने कहा, ”कुछ राज्यों में, मैंने महसूस किया कि अदालत की जरूरत है और सरकार की समझ में कुछ कमियां हैं।”
उन्होंने कहा कि सरकार इसके पक्ष में है कि निकट भविष्य में भारतीय न्यायपालिका पूरी तरह से कागज से अनुपयोगी हो जाए। उन्होंने कहा, ”तकनीकी समर्थन के आने के साथ, सभी चीजों में सामंजस्य स्थापित किया जा सकता है ताकि न्यायाधीश के साक्ष्य के अभाव में मामलों में स्थिरता न हो। कार्य प्रक्रियाधीन हैं और लग रहे हैं कि हम (लंबे मामलों के संबंध में) एक बड़े समाधान की ओर बढ़ रहे हैं।” कानून मंत्री ने कहा कि कार्यपालिका और न्यायपालिका के बीच सत्ता का बंटवारा हो सकता है लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि उन्हें एक साथ काम नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा, हमें सीधे मामलों की पहचान करने और सुनिश्चित करने के लिए एक टीम के रूप में काम करना चाहिए ताकि मामलों को उसी तरह से पकड़ा जा सके।”
उन्होंने कहा, ”भारत में हर जज रोजाना 50-60 मामलों का खुलासा कर रहा है। यदि मुझे गंभीर मामलों का निर्वाह करना हो तो मानसिक दबाव डालना होगा। इसलिए कभी-कभी लगातार आलोचना होती है कि न्यायाधीश न्याय में असमर्थ होते हैं, जो सच नहीं है।” उन्होंने कहा कि मामलों का निस्तारण तेजी से हुआ है, हालांकि सामने आने वाले मामलों की संख्या भी अधिक थी। उन्होंने कहा कि एक ही रास्ता है कि बेहतर बुनियादी ढांचा और बेहतर तंत्र हो और भारतीय न्यायपालिका को मजबूत किया जाए। आम आदमी को न्याय मिलने पर रीजीजू ने कहा कि यह देखकर उन्हें खुशी होगी कि तमिलनाडु के सभी न्यायालयों ने अपनी कार्यवाही में तमिल का इस्तेमाल किया। उन्होंने कहा, ”उच्च न्यायालय में एक चुनौती है… तमिल एक शास्त्रीय है और हमें इस पर गर्व है। हम इसका इस्तेमाल होते हुए देखना चाहेंगे। प्रौद्योगिकी में वृद्धि, कानूनी लिपियों की प्रगति के साथ शायद किसी दिन तमिल सुप्रीम कोर्ट में भी इस्तेमाल किया जा सकता है।
अस्वीकरण:प्रभासाक्षी ने इस खबर को निराशा नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआइ-भाषा की भाषा से प्रकाशित की गई है।