
UNITED NEWS OF ASIA. रिजवान मेमन, नगरी (धमतरी) | विकासखंड नगरी, जो घने वनों से आच्छादित है, लगभग 240 छोटे-बड़े गांवों का समावेश करता है। इस क्षेत्र में 54% आबादी आदिवासी जनजातियों की है, जिसमें से लगभग 5000 लोग विशेष पिछड़ी जनजातियों (VPIJ) से संबंधित हैं। इनमें सांकरा और केरेगांव क्षेत्र के लोग घुमंतु जीवन व्यतीत करते हैं, जबकि बेलरगांव, दुगली और नगरी क्षेत्र के लोग स्थायी रूप से बसे हुए हैं।
महिला एवं बाल विकास विभाग के आंकड़ों के अनुसार, नगरी विकासखंड में 6 माह से 5 वर्ष तक के लगभग 18% बच्चे कुपोषण से ग्रस्त हैं। इसके प्रमुख कारणों में जागरूकता की कमी, कुपोषण को बीमारी न मानना और भोजन पकाने की दोषपूर्ण पद्धतियां शामिल हैं।
पोषण पुनर्वास केंद्र: शीघ्र और दीर्घकालिक समाधान
बच्चों को कुपोषण से बाहर लाने के लिए सरकार द्वारा विभिन्न योजनाएं चलाई जा रही हैं, जिनमें शिशु संरक्षण माह, स्कूलों और आंगनबाड़ियों में विशेष पोषण कार्यक्रम एवं मध्यान्ह भोजन योजना शामिल हैं। लेकिन इनमें से सबसे प्रभावी योजना स्वास्थ्य विभाग द्वारा संचालित “पोषण पुनर्वास केंद्र (NRC)” है।
7 जुलाई 2012 से सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र नगरी के अंतर्गत 10-बिस्तरीय NRC संचालित हो रहा है, जिसने अब तक 1500 से अधिक गंभीर कुपोषित बच्चों को पोषण प्रदान कर उन्हें स्वस्थ जीवन की ओर अग्रसर किया है।
पोषण पुनर्वास केंद्र की प्रमुख गतिविधियां:
- चिकित्सकीय देखभाल: भर्ती के बाद बच्चों की सामान्य स्क्रीनिंग कर एनिमिया, कृमि संक्रमण, डायरिया जैसी बीमारियों का इलाज किया जाता है।
- विशेष पोषण आहार: बच्चों को प्रत्येक 2 घंटे में संतुलित आहार दिया जाता है।
- माताओं की ट्रेनिंग: माताओं को भोजन पकाने की सही विधि व पोषण आहार तालिका (डाइट शेड्यूल) सिखाई जाती है।
- परामर्श सत्र: माताओं को स्थानीय पोषण स्रोतों की जानकारी और उनके उपयोग के प्रति जागरूक किया जाता है।
- टीकाकरण: बच्चों को अनुशंसित वैक्सीनेशन शेड्यूल के अनुसार टीके लगाए जाते हैं।
- आर्थिक सहायता:
- माताओं को ₹150 प्रतिदिन मानदेय दिया जाता है।
- आर्थिक रूप से कमजोर माताओं को डिस्चार्ज के समय ₹500 की अतिरिक्त चिकित्सा सहायता प्रदान की जाती है।
फॉलो-अप सुविधा:
- डिस्चार्ज के बाद भी आंगनबाड़ी और फोन कॉल के माध्यम से स्थिति का आकलन किया जाता है।
- 15 दिनों बाद पुनः फॉलो-अप के लिए बुलाया जाता है।
विशेष पहल: आयुष थेरेपी से पोषण सुधार
कलेक्टर नम्रता गांधी के मार्गदर्शन में वर्ष 2024 से सिविल अस्पताल नगरी में NRC में भर्ती बच्चों को आयुष थेरेपी दी जा रही है, जिससे बच्चों के पोषण स्तर में तेजी से सुधार हो रहा है। इस वर्ष 54 कमार बच्चों को कुपोषण से मुक्त करने में सफलता मिली है।
पोषण पुनर्वास केंद्र नगरी न केवल कुपोषित बच्चों को स्वस्थ बना रहा है, बल्कि माताओं को भी पोषण के प्रति जागरूक कर एक स्वस्थ भविष्य की नींव रख रहा है। यह केंद्र सरकार की प्रभावी स्वास्थ्य योजनाओं का एक अनुकरणीय उदाहरण है, जो कुपोषण से जूझ रहे बच्चों को जीवनदान देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।













