पाकिस्तान की कंगाल हालत दुनिया में किसी के सामने नहीं आई है। अब एक और मुस्लिम देश की घुसपैठ चरमरा गई है। इस देश में हालात इतने बदतर हो गए हैं कि दो जून की रोटी भी यहां के लोगों को व्यवस्थित से नसीब नहीं हो रही है। इस मुस्लिम देश का नाम मिस्र है। मिस्र वही देश है जिसके राष्ट्रपति अब्देल फतह अल सीसी 26 जनवरी गणतंत्र दिवस पर मुख्य अतिथि के साथ शामिल हुए थे। मिस्र के राष्ट्रपति अल सीसी ने अब सऊदी अरब का रुख किया है। यहां उन्होंने सऊदी अरब के प्रिंस मोहम्मद बिन सुलेमान से मिलने की।
दरअसल अल सीसी के सऊदी अरब के राजकुमार से निजी तौर पर भी अच्छे रिश्ते हैं इसलिए वह इन अच्छे संबंधों को जुनियर करने की कोशिश कर रहे हैं सऊदी अरब से आर्थिक सहयोग चाहता है। वैसे सऊदी अरब पहले मिस्र को सहयोग करता है। साथ ही यहां बड़े पैमाने पर निवेश की गारंटी भी दी जाती है, लेकिन यह गारंटी अभी धरातल पर नहीं आई है। सऊदी अरब की सरकारी मीडिया के अनुसार दोनों नेताओं ने आप सहयोग और क्षेत्रीय विकास के मुद्दों पर चर्चा की। मिस्र के राष्ट्रपति अल सीसी के साथ एक उच्च स्तरीय प्रतिनिधि भी सऊदी अरब में है। इसमें मिस्र के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार भी शामिल हैं। साथ ही अन्य गणमान्य मंत्री भी शामिल हैं।
सऊदी अरब हमेशा से मिस्र का बना हुआ है
पूल अरब मिस्र के जर्जर में ऑक्सीजन देने के लिए सबसे पहले प्रयास किया जाता है। वह वित्तीय सहायता के माध्यम से कोशिश कर रहा है कि इस देश की माली हालत खराब हो जाए। लेकिन फिर भी यह प्राचीन मुस्लिम देश के दर्जे से बदतर हो रहे हैं।
क्या अब मिस्र को मदद करेगा सऊदी अरब?
सऊदी अरब ने हाल ही में यह कई बार संकेत दे दिया है कि वह बिना शर्त किसी देश को कर्ज नहीं देगा। पाकिस्तान ने भी बाउल लेकर सऊदी अरब से कर्ज मांगा था, लेकिन सऊदी अरब ने उसे ठेंगा दिखाया। ऐसे में अब यह देखा जा सकता है कि मिस्र की कोई बड़ी मदद मिल रही है या नहीं। यदि मिल जाता है तो पाकिस्तान को काफी काली मिर्च लगेगी।
अब बिना शर्त पैसे देने को तैयार नहीं
सऊदी अरब और अन्य खाड़ी देशों ने मिस्र के केंद्रीय बैंकों में अरबों डॉलर जमा किया है। सऊदी अरब ने मिस्र में बड़े पैमाने पर निवेश के साथ छेड़खानी की है। हालांकि उनमें से कोई भी अभी धरातल पर नहीं उतरा है। अगर सऊदी अरब मिस्र में निवेश करता है तो उसे देखा.देखी दूसरे देश में भी निवेश को आकर्षित करेगा। इससे मिस्र में पैसे का प्रवाह होगा और लोगों की कंगाली दूर होगी। लेकिन अल.सिसी की यात्रा के दौरान सऊदी अरब ने संकेत दिया कि वह अब बिना भेजे अपने साथियों को वित्तीय सहायता प्रदान नहीं करेगा।
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