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अब सिर्फ खरीदी गई बोली में “अंधाधुन” का रीमेक बाक़ी है? – News18 हिंदी

हेमंत एम राव को दोषी ठहराया जाना चाहिए। कन्नड़ फिल्म के निर्देशक हेमंत. इन सीमित के कहने पर निर्देशित श्रीराम राघवन (श्रीराम राघवन) ने देखा, एक अंधेरी वाडक की कहानी पर बनी फ्रेंच फिल्म “लचॉर्डर” यानी पियानो ट्यून करने वाला। यहां से उनके दिमाग में आयडिया आया एक अंधेरे पियानोवादक की जिंदगी पर एक मर्डर, क्राइम, सस्पेंस थ्रिल फिल्म बनाने का और जन्म हुआ ‘अंधाधुन”। नाम में भी उन्होंने लघु कलाकारों की. अंधा और धुन मिला कर अंधाधुन रफ्तार वाली फिल्म बन गई। पहले आलोचकों ने पसंद किया, फिर दर्शकों ने और फिर होड़ लग गया कि इसकी कौन सी भाषा में रिमेक किया जा सकता है, प्रयोग किया जाए। 7 सितंबर 2021 को इसकी मलयालम वर्जन रिलीज हुई है अमेजॉन प्राइम वीडियो (Amazon Prime Video) पर।

बनाना आसान भी है और मुश्किल भी। आसान इसलिए कि फिल्म की स्क्रिप्ट पूरी तैयार हो जाती है। इसके अलावा स्क्रिप्टिंग भी स्क्रिप्ट तैयार होती है। अभिनय के काफी तय होते हैं यानी फिल्म को तैसा बना दिया जाता है। कठिन इसलिए होता है कि मूल फिल्म सफल रही। उसे कई लोग देखते हैं और स्वाभाविक रूप से तुलना के विचार। इसमें एक तरह का जोखिम यह भी होता है कि कुछ भी चूक गया है, या कहानी को बदलने का काम हो सकता है, तो संभव है कि दर्शक इसे लाइक्स से नाकार दें। “भ्रमम” ऐसी कोई गलती करती नजर नहीं आती है। फ्रेम दर फ्रेम फिल्म जैसी तैसी रखी गई है। इसमें खास बात यह है कि यह फिल्म फिर भी नई झलक है क्योंकि इसकी प्रमुख कलाकार पृथ्वीराज, राशि योग्यता या ममता मोहनदास अपने आप में आकर्षक कलाकार हैं।

उनमें से उनकी अपनी पहचान नज़र आती है और इसलिए रीमेक होने के बावजूद, इस फिल्म को देखने से अच्छा लगता है। अंधाधुन की कहानी में हेमंत राव, श्रीराम राघवन, अरिजीत बिस्वास (बंगाली फिल्मों के लेखक और निर्देशक), योगेश चांदेकर ने ज़बरदस्त सस्पेंस बनाए रखते हैं। श्रीराम राघवन की जादू की छड़ी, आलेखिका और निर्वाचन पूजा लढा दुकानी के हाथ होती है। पूजा ने श्रीराम की प्रत्येक फिल्म या तो लिखी या संपादित की है। अंधाधुन के हर सीन में पूजा की लेखनी का कमाल देखा जा सकता है। भ्रमम ने इसे बदलने की गलती बिल्कुल नहीं की है।

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पृथ्वीराज सुकुमारन करीब सावा सौ फिल्मों में काम कर चुके हैं, राष्ट्रीय प्रमाण जीत चुके हैं और मलयालम फिल्मों के सबसे सफल अभिनेताओं में गिने हैं। सरल, सहज, सौम्य व्यक्तित्व के धनी पृथ्वीराज ने भ्रम में एक चालाकी पियानो वादक की भूमिका में बेहतरीन अभिनय किया है। कई दृश्यों में वो आयुष्मान खुराना से अच्छी नज़र आती हैं। पृथ्वीराज का अभिनय अव्वल दर्ज है। उनकी गर्लफ्रेंड की भूमिका में राशि है। दिल्ली की राशि, आईएएस बनाना चाहते थे। एक एडवर्टाइजिंग फर्म में काम करते हुए उन्होंने कुछ एडवर्टिजमेंट फिल्मों में काम किया और फिर धीरे-धीरे बड़े परदे पर आ गए। राशि सुन्दर तो हैं ही, सफल भी हैं और इस फिल्म में उन्होंने अच्छा काम किया है। अंधाधुन में राधिका आप्टे का रोल तो अच्छा था लेकिन वो हर रोल में एक जैसा काम करती हैं। राशि चक्र इस मामले में बाज़ी मार रहे हैं।

दो अन्य प्रमुख सत्ता में उन्नी मुकुंदन हैं जो सर्किल इंस्पेक्टर दिनेश प्रभाकरन और उनकी माशूका हैं, इस फिल्म की वास्तविक अभिनेत्री ममता मोहनदास ने तब्बू की भूमिका निभाई है। वैसे तो ममता एक सक्षम और प्रतिभाशाली अभिनेत्री हैं, लेकिन तब्बू ने जो किरदार हिंदी संस्करण में बनाया है, उसके आसपास भी कोई चोट नहीं पहुंची है। अभिनेता कलाकार अपनी जगह से अच्छे से पहचानी हुई नजर आते हैं। फिल्म का एक डायरेक्टोरियल पक्ष फिल्म का संगीत है। मलयालम सिनेमा के संगीत की दुनिया में जैक्स बिजॉय ने तहलका मचा रखा है। पिछले कुछ वर्षों से हर सफल और हट-के सिनेमा के संगीत के पीछे जैक्स का ही संगीत होता है। मुन्तिरिपूवो नाम का गाना अच्छा बना है।

ज्यादातर सस्पेंस फिल्मों में कई कहानियां एक साथ चलती हैं लेकिन वो किसी एक मूल कहानी से जुड़ी बिछड़ती हैं। भ्रम या अंधाधुन की धारणा एक मूल कहानी और कुछ छोटी छोटी सह-कहानियां हैं जो सभी मूल कहानी की फाइल की तरह लगती हैं। फिल्म के सिनेमेटोग्राफर रवि के. चंद्रन ही फिल्म का निर्देशन कर रहे हैं। ये उनकी दूसरी फिल्म द्वारा निर्देशित है। रवि ने सिनेमेटोग्राफी के लिए ढेरों अवार्ड जीते हैं। दिल चाहता है, यंग, ​​स्टूडेंट ऑफ द ईयर, लिगेसी, सावरिया और भी कई फिल्में हैं जिनमें सूरज के कैमरे का जादू चला है। फिल्म के चुने हुए उन्नीसवीं के मित्र, श्रीकर प्रसाद हैं, जो अब तक 100 से भी अधिक फिल्मों की एडिटिंग की है, राष्ट्रीय रिकॉर्ड से लेकर केरला स्टेट फिल्म अवार्ड्स विजेता श्रीकर, इस फिल्म की रफ़्तार बना रहे हैं।

भ्रम देखना चाहिए। अंधाधुन को जारी कर भी 3 साल हो गए हैं। फ्रेंच फिल्म पर आधारित इस कहानी का रीमेक बन रहे हैं। साफ-सुथरे मिस्ट्रोनाम से फिल्म रिलीज हो चुकी है। भ्रमम की भाषा मलयालम है। तमिल रीमेक भी जल्द ही आने वाला है। ऐसा लगता है कि ये फिल्म हर भाषा में डब कर रिलीज की जानी चाहिए।

विस्तृत रेटिंग

कहानी:
स्क्रिनप्ल:
डायरेक्शन:
संगीत:

टैग: छवि समीक्षा, फिल्म समीक्षा

 


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