राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी ने रविवार को नेपाल के सभी राजनीतिक दलों को सात दिन के भीतर नई सरकार बनाने का अल्टीमेटम दिया था। प्रधान मंत्री शेर बहादुर देउबा ने गठबंधन सहयोगी कमल दहल प्रचंड के साथ सत्ता-साझा करने के समझौते पर चर्चा की थी।
नेपाल के प्रमुख राजनीतिक दल सरकार के गठन को जारी गतिरोध को दूर करने में विफल रहे, क्योंकि सत्ता में साझेदारी के लिए समझौता करने के उद्देश्य से पांच दलों के गठबंधन की बैठक राष्ट्रपति द्वारा निर्धारित समय सीमा से एक दिन पहले शनिवार को यहां बेनतीजा रही । राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी ने रविवार को नेपाल के सभी राजनीतिक दलों को सात दिन के भीतर नई सरकार बनाने का अल्टीमेटम दिया था। प्रधान मंत्री शेर बहादुर देउबा ने गठबंधन सहयोगी कमल दहल प्रचंड के साथ सत्ता-साझा करने के समझौते पर चर्चा की थी।
दो नवंबर को हुए चुनाव में क्योंकि किसी भी दल का बहुमत नहीं मिला, इसलिए राष्ट्रपति ने प्रतिनिधि सभा के किसी सदस्य से संविधान के लेखा-जोखा 76 के नियम 2 के तहत सरकार के गठन का दावा करने को कहा है कि जो दो या अधिक पार्टियों के समर्थन से बहुमत प्राप्त करना। राष्ट्रपति कार्यालय के अनुसार दावा प्रस्तुत करने की समय सीमा 25 दिसंबर को शाम पांच बजे तक है। 275 सदस्यीय प्रतिनिधि सभा में किसी भी दल के पास सरकार बनाने के लिए 138 सीटों की आवश्यकता नहीं है।
अंतर-दल सलाहकार और सत्ता साझा करने को लेकर अब तक हुई परेशानी से परेशान है। नई सरकार के गठन और सत्ता में साझेदारी के मुद्दों पर चर्चा करने के लिए संबंध के शीर्ष नेता के रूप में शाम बालुवातार में प्रधान मंत्री देउबा के आवास पर एकता। वरिष्ठ माओवादी नेता गणेश शाह ने कहा कि सत्ता साझा करने को लेकर पांच पार्टियों के गठबंधन की बैठक के बेनतीजा रहने के बाद प्रधानमंत्री देउबा और प्रचंड सरकार बनने के लिए कोई समाधान निकालने के वास्त रविवार को फिर से बैठने पर सहमत हुए।
देउबा के नेतृत्व वाली नेपाली कांग्रेस (एनसी) 89 सीटों के साथ चुनाव में सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभर रही है। इसके बाद विपक्षी सीपीएन-यूएमएल को 78 सीटें मिलीं और प्रचंड के नेतृत्व वाले सीपीएन-माओवादी केंद्र ने 32 सीटें हासिल कीं। नवगठित राष्ट्रीय स्वतंत्र पार्टी (आरएसपी) को 20, राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी को 14, जनता समाजवादी पार्टी (जेएसपी) को 12 और जनमत पार्टी को छह सीटें मिली हैं।
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