
UNITED NEWS OF ASIA. कृष्णा नायक, सुकमा । छत्तीसगढ़ सरकार की माओवादी आत्मसमर्पण राहत एवं पुनर्वास नीति-2025 और बस्तर के दूरस्थ इलाकों में लागू की जा रही ‘नियद नेल्ला नार’ योजना अब बदलाव और विश्वास की नयी इबारत लिख रही है। जिला प्रशासन सुकमा के कन्वर्जेंस प्रयासों से अब तक 79 आत्मसमर्पित माओवादियों को मुख्यधारा से जोड़ा जा चुका है।
कलेक्टर देवेश कुमार ध्रुव के निर्देशन में लाइवलीहुड कॉलेज, आरसेटी और पुनर्वास केंद्र के माध्यम से माओवाद छोड़ चुके युवाओं को सिलाई, कृषि-नर्सरी, वाहन-चालन, राजमिस्त्री और उद्यमिता जैसे ट्रेड्स में प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
आत्मसम्मान की ओर बढ़ती महिलाएं
कोंटा विकासखंड की अनीता सोड़ी, जो एक समय माओवादी संगठन का हिस्सा थीं, अब सिलाई सीख रहीं हैं और अपने परिवार के लिए सम्मानजनक जीवन की दिशा में अग्रसर हैं। अनीता के साथ वेट्टी कन्नी, हड़मे माड़वी, कड़ती विज्जे समेत 6 महिलाएं सिलाई प्रशिक्षण प्राप्त कर रही हैं।
सरकार द्वारा इन्हें निःशुल्क प्रशिक्षण, प्रमाण पत्र, और 3% ब्याज दर पर 2 लाख तक का ऋण ‘सक्षम योजना’ के तहत दिया जा रहा है। इसके साथ ही उन्हें नोनी सुरक्षा, महतारी वंदन, और पीएम स्वनिधि योजना जैसी लाभकारी योजनाओं से भी जोड़ा जा रहा है।
युवाओं को मिल रहा भविष्य का रास्ता
पुनर्वास केंद्र सुकमा में 42 प्रशिक्षणार्थी, जिनमें 21 महिलाएं शामिल हैं, निवासरत हैं। उन्हें क्रमशः मुख्यमंत्री कौशल विकास योजना, स्टार्टअप इंडिया, और कृषि उद्यमिता योजनाओं से जोड़ा जा रहा है। अगले सप्ताह 30 युवाओं का राजमिस्त्री प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू होने जा रहा है।
नक्सलवाद से नवचेतना की ओर
‘नियद नेल्ला नार’ योजना और पुनर्वास नीति ने यह प्रमाणित किया है कि जब शासन संवेदनशीलता, अवसर और कौशल के साथ काम करता है, तो बदलाव संभव नहीं, अनिवार्य हो जाता है। यह पहल सिर्फ पुनर्वास नहीं, बल्कि बस्तर के गांवों में शांति, सम्मान और विकास की स्थायी बुनियाद रख रही है।
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