
UNITED NEWS OF ASIA. जगदलपुर वो कहते हैं न कि हिम्मत घटे, तो राम राम भजे। ऐसा ही कुछ अब बस्तर में सक्रिय नक्सलियों के साथ भी होने लगा है। सालों साल तक बस्तर को अशांत रखने वाले नक्सली अब शांति- शांति का जाप करने लगे हैं, दुहाई देने लगे हैं कि हिंसा, दमन और बंदूक के बल पर समस्या का समाधान नहीं हो सकता, समाधान का एक ही रास्ता है शांति। ओम शांति! बड़ी शांति मिल रही है दिल को नक्सलियों की यह चिरौरी सुनकर।
प्रतिबंधित नक्सली संगठन भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) के उत्तर पश्चिम सब जोनल ब्यूरो के प्रभारी रुपेश ने आज एक पत्र जारी कर सरकार से फिर शांति वार्ता की गुहार लगाई है। इस पत्र में कहा गया है- हम लोग चाहते हैं कि समस्या का समाधान शांति वार्ता के जरिए हो, शांति वार्ता के लिए हमारी पार्टी हमेशा तैयार है। हमारी पार्टी की केंद्रीय कमेटी ने भी शांति वार्ता के लिए पत्र जारी किए थे। विश्वास की कमी को दूर करने के लिए हमारी तरफ से लगातार प्रयास जारी हैं, लेकिन सरकार की मंशा कुछ अलग दिख रही है। शांति वार्ता के जरिए समस्या हल होने की संभावना रहने के बावजूद सरकार दमन और हिंसा का प्रयोग कर समस्या का समाधान करने प्रयास कर रही है।
इसी का नतीजा है कि तेलंगाना-बीजापुर सीमा पर बड़ा सैन्य अभियान लांच किया गया है। इस अभियान को तुरंत रोकना चाहिए और सुरक्षा बलों को वापस बुलाना चाहिए। रुपेश ने आगे लिखा है- हम सरकार से अनुरोध कर रहे हैं किवार्ता के जरिए समस्या के समाधान का रास्ता अपनाएं, अनुकूल माहौल बनाएं। इस रास्ते से ही नतीजे निकलेंगे। बंदूक के बल पर सरकार द्वारा चलाए जा रहे कगार सैन्य अभियान को एक माह के लिए बंद किया जाए। यह सरकार से हमारी अपील है। सरकार से सकारात्मक प्रतिक्रिया की उम्मीद है, हम प्रतीक्षा करेंगे।
यह पत्र बताता है कि नक्सली अब किस हद तक दहशत के साये में जी रहे हैं। जिन नक्सलियों की बोली और भाषा बम, बारूद और गोली रही है और जिन्होंने दशकों तक बस्तर संभाग को अशांत कर रखा था, वही अब शांति की दुहाई दे रहे हैं, बंदूक के दम पर समस्या का समाधान न होने की बात कह रहे हैं। बात दरअसल यह है कि तेलंगाना-बीजापुर बॉर्डर पर सुरक्षा बलों ने तीन दिन से बड़ा ऑपरेशन चला रखा है। जमीनी वार के साथ ही आसमान से हेलीकाप्टर के जरिए भी नक्सली ठिकानों पर गोले दागे जा रहे हैं।
इस ऑपरेशन में अब तक पांच नक्सलियों के मारे जाने और दर्जनों नक्सलियों के हताहत होने तथा भारी मात्रा में नक्सलियों के गोला बारूद और हथियारों के तबाह हो जाने की खबर है। सूत्र बताते हैं कि जिस जगह पर ऑपरेशन लॉन्चकिया गया है, वहां टॉप नक्सली लीडर हिड़मा और देवा भी थे, लेकिन उनके भाग निकलने की खबर है। रुपेश का यह पत्र उसी डर का नतीजा है। सुरक्षा बलों को फ्रीहैंड कर दिए जाने और सरकार का दवाब बढ़ने से नक्सली कुछ दिनों से लगातार शांति वार्ता की बात करने लगे हैं।
लेकिन सरकार की ओर से अब निर्णायक लड़ाई लड़ने की तैयारी है अब नहीं सहिबो, निपटा के रहिबो की तर्ज पर कई हजार अर्ध सैनिक बल अब इस समस्याको जड़ से उखाड़ फेंकने की मुहिम में लगे हुए हैं। सूत्रों की मानें तो गृह मंत्री का इस दौरान बीजापुर कैंप कर जवानों की हौसला अफजाई करने की बात भी सामने आ रही है।
उप मुख्यमंत्री एवं गृहमंत्री विजय शर्मा की जीवटता के किस्से तो आम हैं ही। वे अपनी जान पर खेलकर भी नक्सल समस्या को निपटाने में लगे हुए हैं। वरना क्या मजाल कि बम, बंदूक के सिवाय दूसरी बात न कहने वाले नक्सली अब समस्या के समाधान का रास्ता शांति वार्ता में ढूंढते। बम, बारूद, बंदूक से बस्तर को थर थर कंपाते आए नक्सली अब शांति शांति की रट लगाने लगे हैं। ओम शांति, अच्छा लगा यह डर और दहशत देखकर, लगे रहो शर्मा भैया, विजय बिल्कुल करीब है।
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