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राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता अभिनेता मनोज बाजपेयी ने बॉलीवुड में भाई-भतीजावाद पर चुप्पी तोड़ी, कहा- व्यर्थ बहस में बताया कि कौन भेदभाव करता है – मनोज वाजपेयी ने नेपोटिज्म की बहस को बताया विश, बताया कौन करता है भेदभाव, बोली

बॉलीवुड में नेपोटिज्म (नेपोटिज्म) एक ऐसा मेल है, जिस पर बात तो होती थी, लेकिन दबे स्वर से। लेकिन सुशांत सिंह राजपूत के निधन के बाद से लगातार सेलेब्स इस मुद्दे पर अपनी राय रखें। कई बड़े सितारे मानते हैं कि बॉलीवुड में नेपोटिज्म है तो कई लोग कहते हैं कि इसमें बुराई क्या है। अभिनेता मनोज वाजपेयी ने हाल ही में इस मुद्दे पर अपनी राय रखी है और उन्होंने माना की ये दलील का वियोग है। इस पर चर्चा नहीं होनी चाहिए। क्योंकि केवल एक इंडस्ट्री से फेयरता की मांग करना सही नहीं है।

अभिनेता मनोज वाजपेयी (Manoj Bajpayee) अक्सर कई चीजों की वजह से जारी रहते हैं। इन दिनों वे अपनी फिल्म ‘गुलमोहर’ की वजह से काफी चर्चा में हैं। हाल ही में कौन मनोज वाजपेयी नेपोटिज्म पर अपनी राय रखी और बताया कि असली भेदभाव करता है।

‘नेपोटिज्म एक बेकार की दलील है’
‘गुलमोहर’ स्टार ने हाल ही में एनी को एक इंटरव्यू दिया, जिसके बारे में उनका मानना ​​है कि नेपोटिज्म एक बेकार की जांच है। उन्होंने कहा कि अगर किसी स्टार को कास्ट करना चाहता है, तो उसे ऐसा करने से कोई नहीं रोक सकता, क्योंकि वह अपना पैसा खर्च कर रहा है। इसका अधिकतर संबंध और संबंध से होता है। अगर आपके किसी के साथ अच्छे रिश्ते हैं, तो आप उसके साथ ज्यादा काम करना चाहेंगे, लेकिन अगर वो मेरी जगह किसी ताऊ जी के लड़के को चुन रहे हैं तो फिल्म में उसका पैसा है, जो करना चाहता है।

कौन करता है पार्टिसिपेट?
उन्होंने आगे बताया कि फाइनल कौन है, जो पार्टियां करता है। इसके लिए उन्होंने एग्जिबिटर्स को जिम्मेदार माना। उन्होंने अपनी बात रखते हुए कहा, ‘एग्जिबिटर्स पार्टियां करते हैं। जब उसे 100 स्क्रीन दे रहे हों, तो कम से कम 25 तो मुझे दो. सब उसी को देंगे तो मेरा क्या? जो जितना ज्यादा पावरफुल होता है, वो उसका पावर का पहिया उतना ही कुजता रहता है’।

‘लोगों के ही दो रूप हैं’
‘द फैमिली मैन’ के अभिनेता मनोज वाजपेयी ने इसी इंटरव्यू में कहा कि केवल एक उद्योग से चमक की मांग करना सही नहीं है। उन्होंने कहा, ‘मैंने ऐसे कई लोगों को देखा है जो ट्विटर पर कुछ और लिखते हैं और अपने अक्षरों पर ठीक इसके विपरीत लिखते हैं। इसलिए विपरीत है। यदि आप फेयरता की मांग कर रहे हैं तो जीवन के हर चरण में फेयरता की मांग करें।’

टैग: मनोज बाजपेयी

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Saurabh Namdev

| PR Creative & Writer | Ex. Technical Consultant Govt of CG | Influencer | Web developer
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