
UNITED NEWS OF ASIA. खैरागढ़ | छत्तीसगढ़ के खैरागढ़ जिले में स्थित छुईखदान नगर पंचायत के चुनावों ने राजनीतिक माहौल को बेहद दिलचस्प बना दिया है। कांग्रेस ने यहां बड़ा दांव खेलते हुए भाजपा की पूर्व जिला उपाध्यक्ष गिरिराज किशोर दास की पत्नी नम्रता गिरिराज दास को पार्टी में शामिल होने के 24 घंटे के भीतर नगर पंचायत अध्यक्ष पद का प्रत्याशी घोषित कर दिया है।
कांग्रेस का आक्रामक कदम
नम्रता दास ने अपने पति और भाजपा के वरिष्ठ नेता गिरिराज किशोर दास के साथ सोमवार को कांग्रेस का दामन थामा। मंगलवार को कांग्रेस ने उन्हें छुईखदान नगर पंचायत अध्यक्ष पद का टिकट देकर यह संकेत दिया कि पार्टी स्थानीय समीकरणों को साधने के लिए आक्रामक रणनीति अपना रही है।
गिरिराज का कांग्रेस में आना एक बड़ी उपलब्धि
राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, गिरिराज दास का कांग्रेस में शामिल होना भाजपा के लिए बड़ा झटका और कांग्रेस के लिए बड़ी सफलता है। गिरिराज का भाजपा में लंबा राजनीतिक अनुभव और छुईखदान क्षेत्र में प्रभावशाली पकड़ रही है। कांग्रेस ने इस कदम से स्थानीय जनता का समर्थन पाने और भाजपा को कमजोर करने की योजना बनाई है।
भाजपा के लिए बढ़ी मुश्किलें
दूसरी ओर, भाजपा ने नगर पंचायत अध्यक्ष पद के लिए वरिष्ठ नेता खूबचंद पारख की बेटी शीतल जैन को उम्मीदवार बनाया है। लेकिन शीतल की उम्मीदवारी का स्थानीय स्तर पर भारी विरोध हो रहा है। पार्टी कार्यकर्ताओं और स्थानीय नेताओं का एक वर्ग इसे “परिवारवाद” का उदाहरण बताते हुए नाराजगी जाहिर कर चुका है।
गिरिराज ने भाजपा पर साधा निशाना
कांग्रेस में शामिल होने के दौरान गिरिराज दास ने भाजपा पर कार्यकर्ताओं की अनदेखी और परिवारवाद को बढ़ावा देने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि पार्टी नेतृत्व स्थानीय कार्यकर्ताओं की मेहनत और जनभावनाओं को दरकिनार कर रहा है। गिरिराज ने पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व और कांग्रेस की नीतियों से प्रभावित होकर यह कदम उठाने की बात कही।
भाजपा प्रत्याशी शीतल जैन का विरोध जारी
भाजपा प्रत्याशी शीतल जैन को लेकर पार्टी के अंदर मतभेद और विरोध थमने का नाम नहीं ले रहा। यहां तक कि भाजपा पार्षद शैव्या वैष्णव ने भी शीतल की उम्मीदवारी का विरोध करते हुए पार्टी पर परिवारवाद को बढ़ावा देने का आरोप लगाया।
चुनावी जंग हुई रोचक
छुईखदान नगर पंचायत चुनाव अब भाजपा और कांग्रेस के बीच कड़ा मुकाबला बन चुका है। व्यक्तिगत छवि, अनुभव और विकास कार्य प्रमुख मुद्दे होंगे। कांग्रेस के आक्रामक रुख और भाजपा के अंदरूनी विरोध ने चुनावी समीकरण को पूरी तरह बदल दिया है।
अब देखना दिलचस्प होगा कि जनता किस पार्टी और प्रत्याशी पर भरोसा जताती है। इस राजनीतिक जंग का परिणाम क्षेत्रीय और राज्यस्तरीय राजनीति पर गहरा असर डाल सकता है।
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