UNITED NEWS OF ASIA. रिजवान मेमन, नगरी. अक्सर हमने दशहरा को रामलीला के रूप मे देखा है और इसी को दशहरा के रूप मे मनाते आ रहे है और दशहरा का पर्व दसमी को पूरा देश मनाता है मगर सिहावा क्षेत्र का एक ऐसा गाव जहा दशहरा को अलग तरीके से मनाया जाता है.
हम बात कर रहे है ग्राम सोनामगर का जहा अनोखा रावन का वध होता है जहा न ही तो रामलीला का मंचन होता है और न ही तो यहा राम होता है जी हा इस ग्राम मे नग्न अहिरावन रावन का वध होता है जिसे देवी शीतला देवताओ के साथ आ कर अपने खडग से रावन का वध करती है जो परंपरा सदियो से चली आ रही है.
यह परंपरा पूर्वजो से चली आ रही है जहा गाव मे नग्न रावन का निर्माण कुम्भकार समाज के लोग करते आ रहे है जो सुबह से नहाकर उपवास रहते हुए पूजा अर्चना करने के बाद मिट्टी का नग्न रावन तैय्यार करते है जहा महिलाओ का आना प्रतिबंध है इस रावन को गाव के बाहर बनाया जाता है जिसे मा शीतला देवताओ के साथ आते है और अपने खडग से इस नग्न रावन का वध करते है.
रावन वध होते ही यहा मौजूद ग्रामीण रावन के पुतले का मिट्टी से तिलक लगाते है और बचे हुए मिट्टी को अपने घर ले कर जाते है जहा घर की महिलाऐ भी इनके घर आने की बेसब्री से इन्तजार करते है जिनका घर पहुचते ही पूजा अर्चना का घर मे प्रवेश कराया जाता है जहा मान्यता है की शीतला के खडग से रावन वध की मिट्टी घर लेकर जाने से घर मे किसी भी प्रकार से कोई परेशानी नही आती और घर मे धन के साथ हर प्रकार की सुख समृद्धी आती है.