














UNITED NEWS OF ASIA. खैरागढ़। छत्तीसगढ़ के विक्रमपुर पश्चिम वन परिक्षेत्र में जंगल के भीतर एक दर्दनाक और रहस्यमयी घटना सामने आई है। यहां एक मादा भालू और उसके शावक की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई। खास बात यह है कि उनके शरीर पर न तो किसी तरह के गहरे घाव के निशान हैं और न ही आसपास खून के कोई संकेत मिले हैं। इस रहस्यमयी मौत से ग्रामीणों में भय का माहौल है।
घटना की जानकारी मिलते ही वन विभाग की टीम मौके पर पहुंची। वन्यजीव विशेषज्ञों और पशु चिकित्सकों ने जब शवों की जांच की, तो किसी संघर्ष या हमले के कोई प्रमाण नहीं मिले। इससे यह आशंका जताई जा रही है कि उनकी मौत किसी आंतरिक बीमारी, विषाक्त भोजन या दूषित पानी पीने से हुई हो सकती है। जंगल में जलस्रोत कम होने के कारण कई बार वन्यजीव जहरीला पदार्थ खा लेते हैं या संक्रमित पानी पी लेते हैं, जिससे इस तरह की घटनाएं हो सकती हैं। हालांकि, असली कारण विस्तृत जांच के बाद ही स्पष्ट होगा।
वन विभाग ने अधिकारियों की मौजूदगी में दोनों भालुओं का नियमानुसार दाह संस्कार कर दिया। इस दौरान डीएफओ एवं वाइल्ड लाइफ वार्डन आलोक कुमार तिवारी, संयुक्त वनमंडलाधिकारी डॉ. मोना महेश्वरी और असिस्टेंट वेटनरी सर्जन ममता रात्रे मौके पर मौजूद रहे।
इस घटना के बाद क्षेत्र के ग्रामीणों में डर का माहौल है। उनका मानना है कि यदि भालू की मौत किसी संक्रामक बीमारी से हुई है, तो यह अन्य वन्यजीवों के लिए भी खतरा हो सकता है। इसे देखते हुए वन विभाग ने इलाके में निगरानी बढ़ा दी है और अन्य वन्यजीवों पर विशेष नजर रखने के लिए गश्त टीमों को तैनात किया है।
वन विभाग ने आश्वासन दिया है कि इस रहस्यमयी मौत की गहराई से जांच की जाएगी और अगर किसी तरह का जैविक या रासायनिक कारण पाया जाता है, तो आवश्यक कदम उठाए जाएंगे। इसके अलावा, जंगलों में जलस्रोतों की स्थिति को सुधारने और वन्यजीवों के लिए सुरक्षित पर्यावरण सुनिश्चित करने पर भी काम किया जाएगा।
फिलहाल, इस घटना की रिपोर्ट का इंतजार है, जिससे पता चल सके कि आखिर मादा भालू और उसके शावक की मौत की असली वजह क्या थी।
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