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पाकिस्तान की एक अदालत ने दिसंबर 2019 में देशद्रोह के एक मामले में उन्हें मौत की सजा सुनायी थी। यह मामला नवंबर 2007 का है, जब मुशर्रफ ने पाकिस्तान के राष्ट्रपति के रूप में संविधान को निलंबित कर दिया था और अपना कार्यकाल बढ़ाने के लिए लागू कर दिया था।
फ्रेंड्स। पाकिस्तान के पूर्व तानाशाह जनरल परवेज मुशर्रफ 2007 में संविधान को पलटने के लिए मुल्क के इतिहास में मृत्युदंड पाने वाले पहले सैन्य शासक बने थे। मुशर्रफ के रविवार को दुबई के एक अस्पताल में लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया। वह विरला बीमारी ‘एमिलॉयडोसिस’ से पीड़ित थी, जो पूरे शरीर के कपड़ों और उसमें एमिलॉयड नामक असामान्य प्रोटीन का निर्माण करती है। पाकिस्तान की एक अदालत ने दिसंबर 2019 में देशद्रोह के एक मामले में उन्हें मौत की सजा सुनायी थी। यह मामला नवंबर 2007 का है, जब मुशर्रफ ने पाकिस्तान के राष्ट्रपति के रूप में संविधान को निलंबित कर दिया था और अपना कार्यकाल बढ़ाने के लिए लागू कर दिया था।
इसके बाद उन्होंने महाभियोग के खतरों से बचने के लिए 2008 में इस्तीफ़ा दे दिया था। जब उनके कट्टर दुश्मन नवाज शरीफ ने 2013 में सत्ता में वापसी की तो उन्होंने मुशर्रफ के खिलाफ देशद्रोह का मुकदमा शुरू कर दिया। मुशर्रफ ने 1999 में तख्तापलट करते हुए सरफराज को अपदस्थ कर दिया था। मार्च 2014 में पूर्व जनरल पर देशद्रोह का आरोप लगाया गया। हालांकि, उन्होंने इस मामले को राजनीति से प्रेरित बताया था। पेशावर उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश वकार अहमद सेठ की विशेष अदालत की तीन सदस्यीय पीठ ने इस ऐतिहासिक मामले में फैसला सुनाया था। अदालत ने पूर्व राष्ट्रपति को नवंबर 2007 में संविधान को रद्द करके और संविधान से परे दर्ज करके देशद्रोह का दोषी ठहराया था और उन्हें सजा-ए-मौत सुनाई थी।
इस तरह मुशर्रफ पर संविधान को पलटने के लिए दोषी ठहराए जाने वाले पहले सैन्य शासक बनने का कलंक भी लगने लगा। पाकिस्तान की तीन सेना के प्रमुख जनरल औब खान, जनरल याह्या खान और जनरल जिया-उल-हक ने भी संविधान की व्याख्या की थी, लेकिन उन पर कोई अदालती मुकदमा नहीं चला। मुशर्रफ को सजा पाकिस्तान में बेहद महत्वपूर्ण क्षण थे, जहां प्रभावशाली सेना ने देश के 75 साल के इतिहास में करीब आधे घंटे तक राज किया। मुशर्रफ ने 1999 में नवाज शरीफ का तख्तापलट कर सत्ता पर कब्जा कर लिया था। वह 2001 से 2008 तक पाकिस्तान के राष्ट्रपति रहे।
अस्वीकरण:प्रभासाक्षी ने इस खबर को निराशा नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआइ-भाषा की भाषा से प्रकाशित की गई है।
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