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सोलर एनर्जी सेक्टर में चीन के पथ को कम करने के लिए भारतीय सहयोगी ने कमर कस ली है। दरअसल, मुकेश अंबानी की समझौता रिलायेंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (रिलायंस इंडस्ट्रीज) और टाटा पावर घरेलू सौर मॉड्यूल निर्माण को बढ़ावा देने के लिए सरकार की 2.4 अरब डॉलर की वित्तीय प्रोत्साहन योजना में पानी दिखाई देता है। आपको बता दें कि भारत के सोलर मोड इनिशिएटिव मार्केट में चीन का दबदबा है। एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में सोलर मॉड्यूल्स के बाजार में चीन का सबसे बड़ा हिस्सा है। इसके 70% से पब्लिक मार्केट शेयर में चीन की 5 अथॉरिटी का दबदबा है।
अदानी ग्रुप रेस से बाहर
ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि बोल्ड एनर्जी, अवादा ग्रुप और रिन्यू एनर्जी ग्लोबल के साथ पहली सोलर जैसी अंतरराष्ट्रीय कंपनियां भी इस योजना के लिए बोली लगाती हैं। हालांकि, देश के दिग्गज सोलर पैनल मैन्युफैक्चरर गौतम अडानी ग्रुप ने इस वित्तीय प्रोत्साहन योजना से दूरी बना ली है। आपको बता दें कि हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के बाद अडानी ग्रुप मुश्किलों का सामना कर रहा है।
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सरकार की सबसे पहली खोज
सेंटर सरकार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मेक इन इंडिया मिशन के तहत सोलर एनर्जी सेक्टर में प्रोडक्ट से जुड़ी इंसेंटिव (पीएलआई) योजना लागू कर रही है। इसका मकसद घरेलू स्तर पर मैन्युफैक्चरिंग प्लांट लगाने के साथ ही रोजगार जनरेट करना है। इससे आयात भी कम होगा और विदेशी मुद्रा की भी बचत होगी। सरकार का यह कदम ‘आत्मनिर्भर भारत’ की पहल को मजबूत करेगा।
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सरकार घरेलू सौर सेल और मॉड्यूल मैन्युफैक्चरिंग के लिए योजना के तहत 24,000 करोड़ रुपये फंड की मदद करेगी। वर्ष 2021 तक देश में सौर मॉड्यूल मैन्युफैक्चरिंग क्षमता 8,800 मेगावॉट की थी। सौर सेल की मैन्युफैक्चरिंग क्षमता 2,500 मेगावॉट की हो रही है।



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