मप्र राजनीति: भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को लगातार मिल रही सफलता का राज उसका मजबूत कैडर बेस है। चूंकि मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव सिर पर हैं, इसलिए पार्टी अपने काडर को बेहतर तरीके से संगठित करने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रही है। असेंबली कमिशनर की नियुक्ति इसी योजना की अगली कड़ी है।
सूक्ष्म व्यवहार के फार्मूले पर चुनावी तैयारी कर रहे हैं
राजनीतिक घोषणा कर रहे हैं कि भाजपा अपनी चुनावी तैयारी सूक्ष्म के फार्मूले पर कर रही है। इसका संकेत प्रदेश अध्यक्ष वी डी शर्मा लंबे समय से दे रहे हैं। उनके संभाग और जिला स्तर के सम्मेलनों के भाषण में भी बूथ लेवल पर सबसे ज्यादा काम करने पर जोर दिया जाता है। पार्टी चुनावी साल में अपने ज्यादा से ज्यादा कोर्स को जिम्मेदारी देना चाहती है। इसलिए, अब चुनाव प्रबंधन के लिए हर विधानसभा में आयुक्त कर्मचारी की तैयारी है। इसके लिए पार्टी ने सभी विधानसभा क्षेत्रों के लिए दो से तीन नामों की सूची जिला अध्यक्षों से ली है।
230 विधानसभा में कमिशनरों की नियुक्ति नौकरी पर
माना जा रहा है कि फरवरी के अंत तक सभी 230 विधानसभा मंत्रियों की नियुक्ति कर दी जाएगी। प्रदेश में विधानसभा चुनाव के पहले मतदाताओं के मूड भांपने में भाजपा सामाजिक और क्षेत्रीय अनुपात के आधार पर पार्टी में नामांकन को तवज्जो दे रहा है। इसलिए संगठन ने तय किया है कि प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में उस समाज या जाति के सक्रिय कार्यकर्ता को विधानसभा क्षेत्र में आयुक्त की जिम्मेदारी सौंपी जाएगी, जो वहां सक्रिय और लोकप्रिय है।
इन बातों का रखा जाएगा ध्यान
इसमें इस बात का भी ध्यान रखा जाएगा कि कार्यकर्ता की छवि पर कोई टैग न हो। इसी आधार पर पार्टी ने शिकायत जिम्मेदारी के साथ ही पार्टी के लिए काम करने वाले दो से तीन अकाउंट के नाम भी जिला अध्यक्षों से मांगे हैं। प्रत्येक विधानसभा से दो तीन नामों के आगमन के बाद पार्टी सभी 230 विधानसभाओं के लिए आयुक्त नियुक्त करती है। ये लोग संबंधित कार्यक्रम को विधानसभा स्तर पर कार्रवाई का संदर्भ देंगे।
इसके लिए उन्हें पार्टी से सहयोग बनाने का काम करना होगा। हालांकि बीजेपी ने पिछले चुनाव में हारी हुई 103 विधानसभा चुनाव के लिए महीने भर के लिए ठेकेदारों की नियुक्ति नवंबर में कर दी थी। उन्हें विधानसभा क्षेत्रों में भेजा गया है।