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मूवी रिव्यू: गैसलाइट – गैसलाइट मूवी रिव्यू हिंदी में सारा अली खान, विक्रांत मैसी, चित्रांगदा सिंह अभिनीत

एक तरफ जहां सिनेमाघर में चुनिंदा फिल्में ही अच्छा प्रदर्शन कर रही हैं, वहीं दूसरी तरफ सीधे ओटीटी पर फिल्में होने वाली फिल्मों की चिल‍िल भी रिलीज होती है। सारा अली खान की ‘गैसलाइट’ इस हफ्ते स्ट्रेट ओटीटी प्लेटफॉर्म डिज्‍नी प्लस हॉटस्‍टार पर रिलीज हुई है। फिल्म मर्डर मिस्ट्री है और इसमें सारा के साथ विक्रांत मैसी, चित्रंगदा सेन, राहुल देव और अक्ष ओबेरॉय जैसे नामी सितारे हैं।

‘गैसलाइट’ फिल्म की कहानी

‘गैसलाइट’ गुजरात की एक रियासत के पूर्व राजा की बेटी मीशा (सारा अली खान) की कहानी है। एक दुर्घटना के कारण मेरे पहिए कमजोर हो गए हैं। किसी अनबन के कारण लंबे अरसे से अपने पिता से दूर रही मीशा को जब उसके पिता का बुलावा आता है, तो वह उनसे मिलने पहुंचती है। लेकिन महल में पिता की जगह मीशा की सौतेली मां रुकमिनी (चित्रांगदा सिंह) उनका स्वागत करती हैं। मीशा को यह समझ नहीं आता कि उसकी प‍िता ने उसे कॉल किया, लेकिन खुद कहां गुम हो गए। इसी बीच मीशा के साथ अजीब-अजीब घटनाएं घटने लगती हैं। कभी उसे रात में उसकी छाया दिखती है, तो कभी उसकी परछाई नजर आती है। परेशान मीशा अपने पिता के लापता होने की श‍िकायत पुलिस में दर्ज करवाती है।

रुकमिनी लगातार मीशा को यह यकीन दिलाने की कोशिश करती है कि यह सब उसका मन का वहम है। महल की देखभाल करने वाले मैनेजर कपिल (विक्रांत मैसी) का कहना है कि राजा साहब पहले भी कई बार ऐसे ही अपनी महिला मित्रों के साथ गायब हो जाते हैं। पिक्चर, मीशा को यह भी बताता है कि रुकमिनी आपके दोस्‍तें, जिले के एसपी और राजपरिवार के परिवार के डॉक्‍टर के साथ मिलकर राजा की संपत्ति हड़पने की फिरक में है। क्या मीशा अपने पिता को खोजेगी? क्या सीधी इस कहानी की विलेन रुकमिनी है या कहानी में कोई और पेच है? यह जानने के लिए आपको फिल्म देखनी होगी।

‘गैसलाइट’ फिल्म का टेली

‘गैसलाइट’ फिल्म का रिव्यु

फिल्म के लेखक-निर्देशक पवन कृपलानी ने एक कमजोर कहानी पर मिस्ट्री थ्रिल फिल्म बनाने की नाकाम कोशिश की है। फिल्म का स्क्रीनप्ले इतना कमजोर है कि यह आपको बांध नहीं पाता है। फिल्म के कई सीन डार्क में शूट किए गए हैं, जो इसकी एक डार्क फिल्म तो देते हैं, लेकिन स्टोरी की कमजोर कमजोर इसे असरदार नहीं पाते। आसान एक पहिये पर बैठी लड़की का अकेला ही सभी जगहों पर निकलना आपको खल सकता है। जबकि जिले के एसपी की भी जांच के लिए अकेले में समझ नहीं आता। विशेष रूप से इंटरवल से पहले फिल्म की कहानी आपको काफी उलझा हुआ लगता है। इंटरवल के बाद फिर भी कहानी थोड़ी जोर पकड़ती है।

फिल्म के पहले ही सीन में आपको एक गैसलाइट नजर आती है, लेकिन सदस्यता में इसकी शर्तों की शर्तों के तहत इस्तेमाल किया जाता है, जिसमें किसी व्यक्ति को किसी मामले की बात पर गैसलाइट होने का दावा किया जाता है। फिल्म में सारा अली खान की एक्टिंग कुछ खास नहीं है। एक पतली लड़की के रोल में वह कुछ खास नहीं कर पाई हैं।

सारा अली खान की यह लगातार तीसरी फिल्म है, जो सीधे ओटीटी पर रिलीज हुई है। सारा को अपनी फिल्मों के विकल्प के साथ सावधान होने की जरूरत है। चित्रंगदा सिंह ने निश्चित रूप से फिल्म में अच्छा अभिनय किया है, वहीं विक्रांत मैसी भी ठीक हैं। फिल्म में राहुल देव और शिशिर शर्मा जैसे मंझे हुए कलाकार भी हैं, लेकिन डायरेक्टर उनका पूरा इस्तेमाल नहीं कर पाए।

क्यों देखें- अगर आप वीकेंड पर कोई अच्छी फिल्म देखना चाहते हैं तो इस फिल्म को देखने में अपना समय बर्बाद ना करें। फिर भी अगर टाइप के लिए कुछ देखना चाहते हैं तो ‘गैसलाइट’ ठीकठाक विकल्प है।

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Saurabh Namdev

| PR Creative & Writer | Ex. Technical Consultant Govt of CG | Influencer | Web developer
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