
मोटर-व्हीकल एक्ट में क्या है नियम
हाल ही में कई ऐसे मामले सामने आए हैं जहां किसी वाहन से एक्सीडेंट को अंजाम दिया गया और गाड़ी का मालिक उस वक्त वाहन में सवार नहीं हुआ, ऐसे में गाड़ी के मालिक पर क्या कानूनी कार्रवाई होती है? अगर आपकी गाड़ी से कोई और एक्सीडेंट कर दे और इस हादसे में कोई गंभीर रूप से घायल हो जाए या फिर उसकी मौत हो जाए तो क्या इस मामले में वाहन मालिक को भी सजा हो सकती है? इन छोटे सवालों के जवाव में हम आपको विस्तार से समझाएंगे।
किस वाहन मालिक के खिलाफ एफआईआर होगी?
कुछ साल पहले ही परिवहन मंत्रालय ने सड़क दुर्घटना के ऐसे मामलों में होने वाली कानूनी प्रावधानों में संशोधन कर नए नियम लागू किए हैं। इन शर्तों के अनुसार कार, ट्रक और बस सहित अन्य वाहन से दुर्घटना होने पर वाहन मालिक और बीमा कंपनी पर दुर्घटना की जिम्मेदारी नहीं होगी। ऐसी दुर्घटना में मामला सीधे तौर पर ड्राइवर के खिलाफ दर्ज होगा और उस पर कानूनी कार्रवाई होगी।
परिवहन मंत्रालय द्वारा मोटर-वाहन अधिनियम में संशोधन के बाद, न तो वाहन के मालिक पर मामला दर्ज होगा और ना ही दावा करने पर बीमा कंपनी को किसी तरह की मदद मिलेगी। अगर वाहन के मालिक को वाहन से हुई दुर्घटना की कोई जानकारी नहीं है तो ऐसे में कार मालिक की कोई जिम्मेदारी नहीं बनती। पुलिस उसे नोटिस भेजकर पूछताछ के लिए बुला सकती है।
किसकी होगी दुर्घटना की पूरी जिम्मेदारी?
किसी भी तरह की सड़क हादसों के बाद ड्राइवर की नजर से भटक हो के मामले में भटकते कागजों के आधार पर वाहन मालिक पर हो चली गई थी। ऐसे मामलों में ड्राइवर को पूरी तरह से दोषी माना जाएगा। अगर वाहन का बीमा भी है तो उसे भी दावों का लाभ नहीं दिया जाएगा और न ही वाहन मालिक को किसी तरह की परेशानी होगी। नए मोटर-वाहन अधिनियम के दुर्घटना के लिए पूरी तरह से जिम्मेदार केवल वाहन चालक ही होगा। इस तरह के मामले में ड्राइवर को 6 साल की सजा और 50 हजार के जुर्माने का भी प्रावधान किया गया है। नई स्थिति में स्पष्ट है कि यदि दुर्घटना ड्राइवर द्वारा की जा रही है तो घटना में वाहन मालिक और बीमा कंपनी का पक्ष नहीं बनेगा। दुर्घटना का पूरा खामियाजा घटना का दोषी, चालक का चालक ही छोटा होगा।
ड्राइवर पर लगेगी कौन सी धाराएं?
जानकारियों के मुताबिक, अगर किसी कार या यात्री वाहन से दुर्घटना में किसी की मौत होती है या कोई गंभीर रूप से घायल हो जाता है तो पुलिस ड्राइवर के खिलाफ आईपीसी की धारा 279, 304 या 304 ए के तहत मामला दर्ज करता है है।
सजा कितनी हो सकती है?
अगर इस तरह के हादसों में ड्राइवर डिस्कशन पाया जाता है तो उसे धारा 279 के तहत किसी एक अवधि के लिए कारावास की सजा दी जाएगी, जिसे छह महीने तक सींचा जा सकता है। इसके अलावा उस पर आर्थिक जुर्माना भी लगाया जाएगा, जो एक हजार रुपए तक हो सकता है। या फिर दोषी को दोनों जुर्माना लगा रहे हैं। इसमें आधारभूत संभव है।
वहीं अगर दुर्घटना पर धारा 304 सिद्ध हो जाती है तो दायगी मिलने पर उसे जारी कारावास या दस साल तक की सजा और जुर्माना लगाया जाएगा। वहीं धारा 304ए सिद्ध होने पर दोषी को किसी भी तरह के कारावास की सजा दी जा सकती है, जिसकी अवधि दो साल तक हो सकती है। इसके अलावा उस पर जुर्माना भी लगाया जाएगा। या फिर दोनों तरह से शेयर किए जाएंगे।
इस सूरत में मालिक का भी कानूनी समावेश होगा
हालांकि कुछ ऐसे मामले भी होते हैं जहां कार मालिक के दुर्घटनाग्रस्त होने के बाद वाहन मौजूद नहीं था, उस वक्त कार का कोई और चला गया था लेकिन ये जानकारी थी कि कार मांग कर ले जाने वाला व्यक्ति कोई नहीं चल रहा है तो ऐसे में कार के मालिक को भी किसी साजिश में शामिल माना जाएगा और उस पर कानूनी कार्रवाई होगी। इसके अलावा जिस वाहन से दुर्घटना हुई है यदि परिवहन विभाग के पैसेनों पर वाहन फिट ना हो। यानी कि उस कार के दस्तावेज का होन, इंश्योरेंस या पोल्यूशन का अकाउंट खत्म हो जाता है, तो ऐसे में मालिक के खिलाफ कार्रवाई हो सकती है।
वाहन पर बीमा लागू होगा?
बता दें कि ऐसे मामलों में वाहन पर बीमा लागू होता है जब आपकी अनुमति से कोई अन्य व्यक्ति वाहन चला रहा हो।



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