
नई दिल्ली। राज्य के पूर्व सदस्यों ने दावा जावेद कहा व बॉलीवुड अभिनेत्री नसरूद्दीन शाह ने 50 से अधिक जुनूनी लोगों सहित अफगानिस्तान में महिलाओं के विश्वविद्यालय जाने पर रोक के लॉकिंग सरकार के फैसले की शुक्रवार को निंदा की। ‘इंडियन मुस्लिम फॉर सेक मैम डेमोक्रेसी’ (आईएमएसडी) की ओर से जारी बयानों में इन शख्सियतों ने कहा कि जो लोग कह रहे थे कि ‘तालिबान 2.0’ उनके पिछले शासन से अलग है, उन्हें अब इस ‘कट्टर ग्रुप को अपना निरंतर समर्थन देना है। स्पष्टीकरण देने की आवश्यकता है।”
इसके अनुसार, इस बयान पर शर्त व शाह के साथ ही डॉक्यूमेंट्री फिल्मकार आनंद पटवर्धन, फिल्म लेखक अंजुम राजबली, सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीलतवाड़, पत्रकार असौरी जैदी, वैज्ञानिक गौहर रज़ा, लेखक राम पूनिया सहित 50 से अधिक विशिष्ट व्यक्तियों के हस्ताक्षर हैं।
संगठन ने बयान में कहा है कि आईएमएसडी स्पष्ट रूप से बंद महिलाओं के प्रति “घृणास्पद फरमान” की निंदा करता है जिससे अफगानिस्तान में महिलाओं की शिक्षा पर रोक लगा दी गई है। इसमें यह भी कहा गया है कि लॉकडाउन ने महिला विश्वविद्यालय को प्रतिबंधित करने का कोई कारण नहीं बताया। संगठन ने दावा किया है कि 2021 में जब अलिंद अफ़ग़ानिस्तान पर फिर से कब्ज़ा हो गया है तब से लड़कियों की शिक्षा दूर हो गई है।
धर्म को लेकर कही थी ये बात
बयानों में लिखा है कि कतर के दोहा में बातचीत के दौरान ताले ने वादा किया था कि वह अफगान महिलाओं की शिक्षा को लेकर हुई जिम्बाब्वे पर रोक नहीं लगेगी।
बयानों में कहा गया है कि “भारतीय मुस्लिम समुदाय के लोग जो आन्दोलन के सत्ता में लौटने का जश्न मना रहे थे, उन्हें स्वयं से यह बोध की आवश्यकता है कि वह क्या भविष्य है जिसकी वे पूर्व आबादी के लिए कल्पना करते हैं?” ”
इसमें कहा गया है कि आईएमएसडी अफगानिस्तान में सभी संघर्षरत महिलाएं और पुरुषों के साथ एकता का पर्दा है जो उलेमा (धर्म गुरुओं) के ऐसे बुरे फरमानों का विरोध कर रहे हैं।
अभी तक की महिलाओं के लिए बंद ही जीते कॉलेज
बयानों में कहा गया है कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय दखलंदाज़ी करें और साथ ही मांग की है कि आन्दोलन के फैसले को तुरंत वापस ले लें।
तालेबंद के उच्च शिक्षा मंत्री ने निदा मोहम्मद नदीम ने बृहस्पतिवार को अफगानिस्तान के एक टीवी चैनल से अपने जजमेंट का बचाव करते हुए कहा कि इस हफ्ते के शुरू में दी गई रोक में लड़के-लड़कियों के मेल थाल को रोकने के लिए जरूरी और ऐसा लगता है कि वहां कुछ ऐसे विषय पढ़े जा रहे हैं जो इस्लाम के सिद्धांतों का उल्लंघन करते हैं।
रिवरम ने कहा कि वर्तमान विश्वविद्यालय महिलाओं के लिए बंद रहेगा, लेकिन बाद में प्रतिबंध की समीक्षा की जा सकती है।
अफगानिस्तान हिंद सरकार की ओर से महिला विश्वविद्यालय जाने पर रोक लगाने के फैसले की सऊदी अरब, तुर्किये और कतर जैसे मुस्लिम बहुल मुल्कों सहित कई देशों ने निंदा की है।
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प्रथम प्रकाशित : 24 दिसंबर, 2022, 05:00 IST



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