रूस समाचार: रूस और यूक्रेन के जंग को एक साल से अधिक समय में रेटिंग मिली है। लेकिन रूस के तेवर भी यूक्रेन पर तलख बने हुए हैं। हालांकि इस एक साल में अमेरिका, नाटो के सदस्य देशों के साथ ही यूएन ने रूस पर कई बड़े पाबंदियां लगाई हैं। जंग के दौरान पिछले एक साल में 10 हजार से ज्यादा प्रतिबंध रूस पर थोड़े जा चुके हैं। लेकिन रूस अभी भी उसी दमखम के साथ खड़ा है। जानिए कि कौन से असली बड़े पाबंदियों ने शुरुआत की है और रूस को क्या नुकसान हुआ है और फिर भी रूस की सेना कैसे बनी है। सबसे पहले जानते हैं कि कौन कौन पाबंदियां रूस पर थोपी जा रही हैं।
फरवरी 2022 से लेकर इस साल 10 फरवरी तक रूस पर कुल 10,608 प्रतिबंध लगाए गए हैं। कई देशों ने जंग शुरू होने के बाद रूस पर दबाव बनाने के लिए पाबंदियां लगाईं। कई देशों ने रूस से तेल या समझौते की बात पर प्रतिबंध लगाया, जो रूस के लिए आय का बहुत बड़ा स्रोत माना जाता है। यही नहीं, कई बड़े देशों ने रूस की संपत्ति को फ्रीज कर दिया। वहीं कई देशों ने मिलकर तय किया कि वे रूस के राष्ट्रपति या दूसरे नेताओं को यहां आने नहीं देंगे, यानी आने जाने पर भी रोक लग गई है।
रूस फिर रूस पर आर्थिक प्रतिबंधात्मक जंग भारी हैं
एक देश, दूसरे देश पर प्रतिबंध लगाता है, जब वो कोई नियम तोड़ना या हिंसा से बोलना चाहता है। ये तरीका सीधा काम करने की आदत ज्यादा असरदार है। ऐसे में पाबंदियों से अलग रहने वाले देश थोड़े समय बाद फिर ट्रैक पर लौट आते हैं। एक तरह से कहा जाए तो जिस तरह से किसी का हुक्का पानी बंद कर दिया जाता है, ये आर्थिक प्रतिबंध उसी का बड़ा रूप हैं। लेकिन रूस को नुकसान होने के बाद भी कुछ ऐसे कारण हैं, जिससे उसे अभी तक कोई फर्क नहीं पड़ा है।
पाबंदियां कितने तरह की फूंक मारती हैं
पाबंदियों की कई विकेट हैं। एक ट्रेड एम्बरगो है। इसमें पाबंदीशुदा देश के साथ किसी भी प्रकार का व्यापार नहीं होता है। बाय की तेल बेचने वाले देश से यदि दुनिया तेल खरीद बंद कर दे, तो वह देश आय नहीं कमाएगा। रूस पर अमेरिका समेत कई देशों का व्यापार अंबरगो लगा है। ये सबसे ताकतवर तरीका है।
ब्रिटेन ने रूसी सुरक्षित वित्तीय प्रणालियों को हटा दिया
ब्रिटेन ने रूसी संदेशों को अपनी वित्तीय प्रणाली से हटा दिया। अब रूसी बैंक यूके के बैकों से बकाया नहीं कर सकते। यहां तक कि आम रूसी नागरिक भी यूके के बैंक से तयशुदा से ज्यादा पैसा नहीं निकाल सकते। ये कैसे काम करेगा? इससे लोग नाराज हैं और देश की सरकार पर दबाव बना रहा है।
रूस को व्यापार में कैसे हो रहा नुकसान, यहां जानिए
रूस में बड़ा कारोबार तेल, गैस, तकनीक और देरी का था, लेकिन अब अमेरिका, यूरोपियन यूनियन, ब्रिटेन जैसे बड़े साझेदारों ने रूस से तेल बंद कर दिया। जर्मनी ने अपने यहां चल रहे रूसी प्लांट की योजना ही बंद करवा दी। यूरोपीय संघ को खरीदने से रोक लग गई। तो इस तरह से पहले ही युद्ध में काफी हद तक इस देश पर भारी दबाव पड़ गया है।
रूस को ऐसे हो रही कमाई, भारत और चीन परेशान होकर तेल खरीद रहे हैं
रूस पर कई आर्थिक प्रतिबंध दिए गए हैं। लेकिन रूस जिसके पास अथाह तेल का विक्रेता है। वह उसे छोड़ कर बेच रहा है। ये सच है कि अमेरिका और नाटो के पासबंदियों के कारण दुनिया के ज्यादातर देश रूस से कारोबार छोड़कर तेल का कारोबार नहीं कर पा रहे हैं। लेकिन दुनिया की दो सबसे ज्यादा आबादी वाले देश चीन और भारत घनेले से रूस से बड़े पैमाने पर तेल खरीद रहे हैं।
कच्चा तेल खरीदने से भारत, चीन को काफी फायदा हो रहा है। वहीं खास बात यह है कि रूस के इन देशों की मुद्रा यानी भारत से और चीन से युआन को लेकर तेल बेचा जा रहा है। बाद में बैंक के माध्यम से डॉलर, यूरो में यह उदाहरण देता है। इसी तरह चंद और देश भी रूस से तेल खरीद रहे हैं। वहीं भारत जैसे देश रूस से अभी भी हथियार खरीद रहे हैं। भारत ने एस 400 जैसी मिसाइल प्रणाली कार्यरत हैं।
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