जिले का ख्याति प्राप्त भोरमदेव महोत्सव प्रतिवर्ष नए कलेवर के साथ आयोजित होता है। इस वर्ष 19 एवं 20 मार्च 2023 को भोरमदेव महोत्सव का आयोजन होना है जिस पर प्रशासन की सभी प्रकार की तैयारियां जोरों पर है इसी बीच आइए जानते हैं की भोरमदेव महोत्सव का प्रारंभ कब हुआ था एवं महोत्सव के प्रारंभ से संघर्ष का शिखर तक सफर।
जिले का जिले का ख्याति प्राप्त भोरमदेव महोत्सव प्रतिवर्ष नए कलेवर के साथ आयोजित होता है आज जिस भोरमदेव महोत्सव को हम देख रहे हैं वह अपने आप में एक इतिहास समेटे हुए हैं जानकारों की माने तो राजनांदगांव जिले के तत्कालीन कलेक्टर श्री अनिल जैन अपर कलेक्टर जी पी श्रीवास्तव कवर्धा के तत्कालीन एसडीओ श्री निसार अहमद खैरागढ़ के तत्कालीन एसडीओ श्री राम राव वामन कर इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय के कुलपति पद्मश्री हाफिज अहमद खान खैरागढ़ संगीत विश्वविद्यालय के ही एसके श्रीवास्तव और कवर्धा की जनता का भोरमदेव मेला को महोत्सव में परिणित करने का एक सामूहिक प्रयास था।
देखिए भोरमदेव महोत्सव का पहला आमंत्रण:
इन सबके बीच बम बम के नाम से आम जनता के बीच प्रसिद्ध स्वर्गीय नरेंद्र सिंह परिहार और भोरमदेव तीर्थ प्रबंध कारिणी सभा का योगदान उल्लेखनीय है जानकारों के अनुसार कलेक्टर अनिल जैन द्वारा भोरमदेव मंदिर दर्शन के लिए एक बैठक में अपर कलेक्टर जी पी श्रीवास्तव को मिलाके महोत्सव के रूप में परिणित करने के लिए कार्य योजना तैयार करने की जिम्मेदारी दी गई थी।
कार्यक्रम की प्रारंभिक रूपरेखा तैयार करने और तीर्थ कारण ही सभा के पदाधिकारियों के चर्चा कर स्थान मुआयना करने का आदेश देकर जिलाधीश जैन राजनांदगांव के लिए रवाना हो गए थे महोत्सव को भोरमदेव के नाम से प्रारंभ करने का निर्णय लिया गया और इसके बाद कवर्धा के एसडीओ निसार अहमद कवर्धा की जनता स्थानीय कलाकारों और भोरमदेव तीर्थ प्रबंध कारिणी सभा के पदाधिकारियों के बीच स्थापित तालमेल उमंग और उत्साह देखते बनता था।
भोरमदेव महोत्सव का प्रथम आयोजन 27 28 और 29 मार्च 1995 को हुआ था इस समय खैरागढ़ के एसडीओ श्री रामा राव वामनकर ने खैरागढ़ संगीत विश्वविद्यालय के कुलपति पद्मश्री हाफिज अहमद खान श्री अभय नारायण मलिक स्वर्गीय मधुकर आनंद कत्थक ख्याति प्राप्त कलाकारों प्रोफेसर डॉक्टर मंडावी प्रख्यात भजन गायक सुरेश दुबे आदि कलाकारों को निशुल्क कार्यक्रम प्रस्तुति देने के लिए तैयार करने में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी के निर्वहन किया था श्री रामा राव वामन कर के योगदान को खैरागढ़ के कलाकार आज भी बड़ी शिद्दत से याद करते हैं।
विश्वविद्यालय में अपने हुनर से पेंटिंग को देश के कोने कोने तक पहुंचाने वाले श्री एस के श्रीवास्तव जैसे शख्सियत को मंच की साजिश जगह महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी गई थी श्री श्रीवास्तव ने मंच के साथ ही एक मोनो भी तैयार किया था जिसे भोरमदेव मंदिर मुख्य द्वार के दोपहर को बहुत बारीकी से उकेरा गया था इन सब तैयारियों के बीच महोत्सव की रूपरेखा तैयार करने वाले अपर कलेक्टर श्रीवास्तव और भोरमदेव प्रबंध कारिणी के पदाधिकारी गण नागपुर और जगदलपुर आदि क्षेत्रों के कलाकारों से संपर्क में थे।
साथ ही साथ साथ ही साथ लाइट टेंट माइक आदि की व्यवस्था राजनांदगांव के श्री जॉर्ज व अन्य की मदद से कर रहे थे जार्ज स्वयं एक अच्छे गायक और संगीतकार थे उन वर्षों में कवर्धा के इन सब अच्छी व्यवस्था हो पाना संभव नहीं था जिसके कारण कुछ व्यवस्था राजनांदगांव से की गई थी ।
महोत्सव के उद्घाटन समारोह के मुख्य अतिथि इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय के कुलपति पद्मश्री हाफिज मोहम्मद खान ने महोत्सव की पहली प्रस्तुति खैरागढ़ के भजन गायक पंडित सुरेश दुबे ने गणेश वंदना से की थी उनके साथ तबले पर विवेक देशमुख बांसुरी पर संतोष टांग और सरोवर पुष्कर देशमुख संगीतकार थे।
कार्यक्रम का प्रथम मंच संचालन कमला देवी महिला महाविद्यालय राजनांदगांव के प्रोफेसर डॉ सुरेंद्र विहारी गोस्वामी और खैरागढ़ के प्रोफेसर डॉ गौरव चंदेल ने किया था बाद में वर्षों में श्री गणेश चरण सोनी शिक्षक श्री शेखर बख्शी अधिवक्ता श्री वीरेंद्र बहादुर सिंह श्री विद्या भूषण दुबे स्वास्थ्य विभाग श्री अवधेश नंदन श्रीवास्तव अधिवक्ता श्री कौशल साहू श्री आदित्य श्रीवास्तव शिक्षक श्री चंद्र कुमार जैन श्री लोकेश शर्मा राजनंदगांव आदि ने भी कुशलतापूर्वक मंच का संचालन कर नए आयाम स्थापित किया
जहां तक कलाकारों की बात है वर्ष 2004 तक स्थानीय कलाकार क्षेत्रीय कलाकारों की प्रस्तुति बहुतायत संख्या में होती थी परंतु 2005 में तत्कालीन कलेक्टर श्री एस के तिवारी के प्रयास से विश्व ख्याति प्राप्त भजन गजल गायक श्री अनूप जलोटा का कार्यक्रम आयोजित किया गया तब भोरमदेव महोत्सव के इतिहास में पहली बार लगभग 40000 दर्शक कार्यक्रम के साक्षी बने और अगले ही वर्ष नए कलेक्टर डॉ बीएल तिवारी के कार्यकाल में प्रसिद्ध पार्श्व गायिका अनुराधा पौडवाल और अर्श लाइट एवं साउंड श्रवण कुमार भिलाई का कार्यक्रम हुआ कवर्धा के दर्शकों को लाइट एंड साउंड के माध्यम से अपने ही भोरमदेव मंदिर के इतिहास को एक जीवन प्रस्तुति के माध्यम से जानने का पहला अवसर श्री तिवारी के कार्यकाल में मिला था इस वर्ष बनाया गया मंच भी ऐतिहासिक था जिसे लोग आज भी बड़ी शिद्दत से याद करते हैं इसके बाद से तो जैसे मुंबई के कलाकारों की प्रस्तुति मानो अनिवार्य हो गई कालांतर में जांजगीर से श्री सोनमणी बोरा का कवर्धा कलेक्टर बन कर आना हुआ श्री बोरा ने महोत्सव में अध्याय जोड़ते हुए समय के साथ 3 से 2 दिन हो चुके महोत्सव को फिर से 3 दिन करने का साहसिक निर्णय कवर्धा की जनता की मांग पर लिया।
श्री बोरा के कार्यकाल में मुंबई के पार्श्वगायक श्री सुरेश वाडेकर श्री विनोद राठौर श्री मोहम्मद अजीज गजल गायक पंकज उधास आदि ख्याति लब्ध कलाकारों को सुनने का अवसर मिला इसके अलावा पार्श्व गायिका अलका याग्निक कलेक्टर श्री मुकेश बंसल के प्रयास से उदित नारायण और साधना सरगम जैसे लोगों की शोभा बढ़ा चुके हैं ।
भोरमदेव महोत्सव लगातार विगत कई वर्षों से स्थापत्य कला और संस्कृति की बयां करता आ रहा है जिस पर आज पर्यंत तक जिला प्रशासन जनसामान्य और प्रबंध कारिणी समिति के तत्वधान में उक्त महोत्सव का कार्यक्रम संपन्न होते आ रहा है जिसमें आज पर्यंत तक देश के कई बड़े-बड़े कलाकारों संगीतकारों की प्रस्तुति हो चुकी है।
आशा की जानी चाहिए कि जन सहयोग से भोरमदेव महोत्सव आने वाले वर्षों में आगरा महोत्सव और खजुराहो महोत्सव के समान भव्य होगा और देश में अपनी एक अलग पहचान स्थापित कर कबीरधाम का मान और बढ़ाएगा।