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मोर मान मोर कबीरधाम : जानिए आखिर कैसे रखी गई सरोधा और क्षीरपानी बांध की नींव, हमीदुल्लाह खां साहब की स्मृतियां और जनाब अकबर दीवान साहब के साकार सपने…

मोर मन मोर कबीरधाम की विशेष लेखांकन क्रम में यूनाइटेड न्यूज आफ एशिया आपका स्वागत करता है। कवर्धा की इतिहास स्मृतियां और विरासत से जुड़ी हमारी नींव और भविष्य को मजबूत करने वाले कवर्धा के दो ऐसी शख्सियत के बारे में हम आज बात करने वाले हैं जिन्होंने हमें एक ऐसा अनमोल उपहार दिया है जिससे आने वाली कई पीढ़ियां याद रखेंगे लिए हम उन शख्स को नमन करते हुए अपने आज के इस लेखांकन क्रम को आगे बढ़ाते हैं।

हमीदुल्लाह खान साहब कवर्धा जिला और छत्तीसगढ़ प्रदेश के वरिष्ठ कांग्रेसी नेताओं में से एक रहे हैं अविभाजित मध्य प्रदेश के सभी राष्ट्रीय कार्यकर्ता और कांग्रेसी नेता उन्हें सम्मान देते थे । यद्यपि वे तकनीकी तौर पर कांग्रेस में नहीं रहे है पर कवर्धा नगर के लोग उन्हें वरिष्ठ कांग्रेस जन के रूप में ही देखते हैं और सम्मान देते हैं ।

स्वतंत्रता से पहले और देश आजाद होने के बाद में 3 दशकों तक कांग्रेस में काफी सक्रिय रहे इसलिए कवर्धा जिले के कांग्रेस का एक लंबा इतिहास उनके साथ जुड़ा हुआ है ।

खान साहब के बारे में जब प्रबुद्ध जनों से बात हुई तो कवर्धा की राजनीति से जुड़ी उनकी स्मृतियों के पन्ने एक-एक करके खुलने लगते हैं और आजादी के पूर्व कवर्धा का क्षेत्र तथा उसके बाद कवर्धा तहसील की विकास की तस्वीर स्पष्ट दिखाई पड़ने लगते हैं ।

अपने जुझारू व्यक्तित्व विपरीत परिस्थितियों में अविराम संघर्ष करने की प्रवृत्ति, क्षेत्र की जन समस्याओं को प्रभावी रूप से शासन प्रशासन के समक्ष रखने की योग्यता, जनता से सक्रिय जुड़ाव और पारदर्शी कार्यशैली की वजह से प्रदेश से अपनी पृथक पहचान बनाए रखने वाले खान साहब की जितनी बातें की जाए कम है । उनका नाम जैसे ही लिया जाता है मानो कवर्धा कांग्रेस का इतिहास साकार होने लगा।

स्वतंत्रता से पहले कांग्रेस पार्टी राष्ट्रीय स्तर पर कार्य करती थी लेकिन कवर्धा क्षेत्र में कांग्रेस के अंदर ही प्रजामंडल सोशलिस्ट पार्टी थी । जिसमें सभी कांग्रेसी कार्यकर्ता पार्टी का काम करते थे । आजादी के बाद प्रजामंडल की प्रथम अध्यक्ष जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष चुने गए थे । 1950 में प्रजामंडल का कांग्रेस में विलय कर दिया गया। कवर्धा नगर में 1937 से ही नगर पालिका है लेकिन कवर्धा स्टेट में भारत सरकार का एक्ट नहीं चलता था।

कवर्धा स्टेट के लिए अलग से सीपी एंड बरार म्युनिसिपल एक्ट लागू किया गया था । 1944 में मोहम्मद अकबर साहब स्टेट के दीवान बने तब कवर्धा स्टेट में गजट चलता था । कवर्धा क्षेत्र में प्रख्यात वकील रघुवंश सहाय वर्मा नगर पालिका के पहले नॉमिनेटेड अध्यक्ष थे। पहले नगर पालिका चुनाव 1952 में हुआ था जिसमें राम राज्य परिषद का बहुमत होने के बावजूद कांग्रेस के प्यारेलाल गुप्ता प्रथम चुने हुए अध्यक्ष बने थे।

अंग्रेज शासनकाल में आर के पाटिल रायपुर के कलेक्टर थे। वह हमेशा खादी के सूट पहनते थे इस बात की शिकायत जब अंग्रेज शासको से की गई तो यह बात उन्हें नागवार गुजरी । उस वक्त कांग्रेस का लाहौर अधिवेशन चल रहा था वह उस दिन बैतूल में थे । वहीं से उन्होंने अपना इस्तीफा अंग्रेज सरकार को भेज कर कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण कर ली आजादी के बाद 1952 में हुए कांग्रेस की टिकट पर नागपुर से सांसद चुने गए थे।

सरोदा बांध बनाने की योजना स्टेट टाइम में ही बन गई थी मूलत: यह प्रस्ताव दीवान अकबर साहब का था उस वक्त एक एंग्लो इंडियन साहब कवर्धा आए थे। उन्होंने और अकबर साहब ने सरोधा बांध बनाने की योजना बनाई पर यह प्रस्ताव मूर्त रूप नहीं ले सका । आजादी के बाद आर के पाटिल से खान साहब ने लंबी चर्चा करके सरोदा बांध परियोजना को मुख्यमंत्री रविशंकर शुक्ल तक पहुंचाया। तब इस बांध का एस्टीमेट 77 लाख था जबकि राज्य सरकार के पास 30 लाख की परियोजना स्वीकृत करने का अधिकार था । तब इस परियोजना की लागत 30 लाख बता कर इसे स्वीकृत कराया गया और सरोदा बांध का काम शुरू हुआ। इसी तरह क्षीरपानी बांध परियोजना का भी काम खान साहब की पहल और प्रयत्नों से शुरू हो पाया था।

जब हमीदुल्लाह खान साहब और जनाब अकबर दीवान साहब यह दोनों एक ऐसी शख्सियत थे जिन्हें लोग काफी पसंद करते थे और उनकी दूरदर्शिता को सलाम करते थे शायद यही वजह है की उन्होंने अपने जीवन काल में जो कार्य किया उसे कवर्धा की जनता कभी नहीं भूल सकती आज उतानी नाला में बने इस सरोदा बांध से कवर्धा शहर के साथ आसपास के क्षेत्र में पीने एवं सिंचाई की व्यवस्था के लिए समुचित जल का प्रबंध पर्याप्त रूप से उपलब्ध है और इसका उपयोग कर रही है ।

अगली बार जब आप सारोधा बांध या छिरपानी बांध जाए तो किनारे पर बैठकर 2 मिनट के लिए ही सही कवर्धा के भविष्य गढ़ने वाले इन दोनों महान हस्तियों को याद करके उन्हें श्रद्धांजलि जरूर अर्पित करें।

यूनाइटेड न्यूज़ ऑफ़ एशिया परिवार उन्हें मोर मान मोर कबीरधाम के विशेष लेखांकन के माध्यम से अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करता है।

 


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