छत्तीसगढ़मोर मान मोर कबीरधाम

मोर मान मोर कबीरधाम : जिसकी हवा में घुले थे कबीर के आदर्श. अफ्रीका, माॅरीशस, ट्रिनीडाड तक चलता था जिसका नाम. बदलते कबीर की नगरी “कबीरधाम” के इतिहास के पन्नों पर विशेष

कवर्धा नगर के बसने और कवर्धा के नामकरण को लेकर यहां के जानकार लोगों की धारणाएं जानकारियां अलग-अलग है कबीर पंथ के अनुयायियों के अनुसार कवर्धा का नाम पहले कबीरधाम था बाद में इसे कबरधा और फिर कवर्धा उच्चारित किया जाने लगा और इस नगर का नाम कवर्धा पड़ गया |

आइये जानते है धर्म की नगरी कहे जाने वाले कवर्धा को आखिर क्यों मिला है कबीर का नाम कबीरधाम |

संत कबीर दास मानव धर्म के सच्चे उपासक थे। पूरे भारत में उनके अनुयायी हैं, इससे कवर्धा भी अछूता नहीं है। साल 1806 से 1903 यानी 97 साल तक कवर्धा कबीर पंथ का गुरु गद्दी पीठ बना रहा। जिन 4 पंथ श्री ने यहां गुरु गद्दी संभाली, उनकी समाधि आज भी कवर्धा में स्थित है।

आज से लगभग 200 से 250 वर्ष पूर्व छिंदवाड़ा के पास सिंझौडी ग्राम में कबीर पंथ के गुरु सुरति स्नेही नाम साहब अपने परिवार के साथ रहते थे इस गांव में पिंडारीओं का काफी आतंक व्याप्त था | सन 1896 में सुरति स्नेही नाम साहेब के देहांत के बाद उनकी धर्मपत्नी ने पिंडारी आतंक से व्यथित होकर सिंझौडी गांव छोड़ दिया और अपने कुछ अनुयायियों के साथ बालाघाट होते हुए सकरी नदी के किनारे आकर बस गई तब उनकी गोद में उनका 10 वर्ष का पुत्र भी था जिनका नाम करण बाद में हक नाम साहेब किया गया वक्त वक्त कवर्धा नगर का अस्तित्व नहीं था और सकरी नदी के आसपास बियाबान जंगल था सिंझौडी से आए कबीर पंथियों ने सकरी नदी के पास अपना आश्रम और कुछ घर बनाए और उस स्थान का नाम कबीरधाम रखा गया | 

जब 8वीं पंथ 10 वर्षीय हक नाम साहेब को अपना गुरु घोषित कर यहां एक गुरु गद्दी स्थापित की धीरे-धीरे कबीर सेवकों का यहां आना-जाना शुरू हुआ और यहां एक बस्ती आकार लेने लगी इसी कबीरधाम का उच्चारण अंग्रेज शासक और अन्य लोगों के द्वारा कबरधा और बाद में कवर्धा करने लगे | धीरे धीरे जब कबीर के आदर्श कसबे की हवा में फैलने लगी तब तात्कालीन कवर्धा स्टेट के राजा उजियार सिंह थे और जब उन्हें इस बात का पता चला तो वे दर्शन को पहुंचे।

हक नाम साहब के बाद उनके पुत्र पाक  नाम साहब और उनके वंशज प्रगट नाम साहब और धीरज नाम साहब कवर्धा की गद्दी के गुरु हुए | यहां कबीर पंथियों का धर्मस्थल कवर्धा बाड़ा भी बनाया गया  जिसे हम आज कबीर पारा के नाम से जानते है | कवर्धा बाड़ा में अभी भी हक नाम साहब, पाक नाम साहब,  प्रगट नाम साहब और धीरज नाम साहब की समाधि बनी हुई है | 

1833 को कवर्धा के गुरु गद्दी पर बैठे थे पाक नाम साहब

वर्ष 1833 में पंथ श्री हकनाम साहब का देहांत हुआ। यहां स्थित कबीर आश्रम में ही उनकी समाधि बनी। उसके बाद उनके पुत्र पाक नाम साहब गुरु गद्दी पर बैठे। इनके कार्यकाल में ज्ञान सागर सुकष्त ध्यान, विवेक सागर, अम्बू सागर जैसे ग्रंथों की रचना हुई। वर्ष 1855 में पाक नाम साहब का स्वर्गवास हुआ। इनकी समाधि हकनाम साहब की समाधि के ठीक बगल में बनी है।

अफ्रीका व मॉरीशस तक किया कबीर पंथ का प्रसार

10वीं पंथ श्री के रूप में प्रगटनाम साहब ने वर्ष 1855 में कवर्धा की गुरु गद्दी संभाली। इनके गद्दी काल में भारत के अलावा विदेशों जैसे अफ्रीका, माॅरीशस, ट्रिनीडाड में भी कबीर पंथ का प्रसार हुआ। कई मठ स्थापित हुए। वर्ष 1882 में उनका देहांत होने पर कवर्धा में ही इनकी समाधि बनाई गई। 11वें पंथ श्री धीरज नाम साहब गद्दीशीन होने से पहले ही चल बसे थे।

13वें पंथ गुरु की नहीं थी कोई संतान, लिया था गोद

11वें पंथ के दौरान गुरुगद्दी के उत्तराधिकारी बनने को लेकर काफी उथल-पुथल हुई थी। लंबे समय तक कवर्धा में कबीर पंथ का प्रभाव रहा है। इनके गुरु काल के दौरान कबीर अनुयायियों में कुछ विवाद पैदा हुआ और कुछ भक्त कवर्धा छोड़कर दामाखेड़ा में जा बसे | 13वें गुरु दयानाम सिंह की कोई संतान नहीं थी। इनकी पत्नी कलापा देवी ने प्रथम गुरु हक नाम साहेब के ही एक वंशज ग्राम बहरमुड़ा (कवर्धा) में ढाई साल के चतुर्भुज दास को गोद लिया था। जिनका नामकरण बाद में पंथ श्री गृन्ध मुनि नाम साहब पड़ा को दामाखेड़ा का गुरु घोषित किया गया| इन्ही के नाम पर कवर्धा स्थित जिले के एक मात्र स्नातकोत्तर महाविद्यालय का नाम भी रखा गया है |

महज 3 साल की उम्र में वे दामाखेड़ा गुरु पद पर आसीन हुए। वर्ष 1990 तक वे गुरु पद पर रहे, उन्होंने सात ग्रंथों की रचना की जिसमें ‘कबीर ज्ञान पयोनिधि’ विशेष उल्लेखनीय है। सन 1991 में दिल्ली में आयोजित अंतरराष्ट्रीय कबीरपंथी सम्मेलन में इनको संरक्षक का दायित्व सौंपा गया। उसके बाद पंथ श्री प्रकाश मुनि को गुरु गद्दी सौंप दी। 

उनके बाद उनके 4 वर्षीय पुत्र उदित मुनि नाम साहब को गुरु घोषित किया गया है दामाखेड़ा के अलावा के अलावा गुजरात बनारस और खरसिया में भी गुरु गद्दियाँ है |

कवर्धा  के वर्तमान गुरु प्रकाश मुनि नाम साहब (लल्ला साहब )है |  जो हक़ नाम साहब के ही वंशज हैं | हाल ही में कुछ वर्ष पूर्व उनका निधन हो गया | वर्तमान में उनकी पत्नी गुरुमाता कबीर बाड़ा की सेवा में है |

वर्ष 2003 में तात्कालीन मुख्यमंत्री अजीत जोगी के कार्यकाल में कवर्धा में भव्य संत समागम हुआ था, इसी दौरान कवर्धा जिले को कबीरधाम के नाम पर रखने घोषणा हुई थी।

Show More
Back to top button

You cannot copy content of this page