
UNITED NEWS OF ASIA. नई दिल्ली। भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने 2025 के दक्षिण-पश्चिम मानसून को लेकर एक महत्वपूर्ण अपडेट जारी किया है। इस बार मानसून सामान्य समय से चार दिन पहले यानी 27 मई को केरल तट पर पहुंच सकता है, जबकि आमतौर पर इसका आगमन 1 जून को होता है। यदि यह अनुमान सही साबित होता है, तो यह 2009 के बाद मानसून का सबसे जल्दी आगमन होगा, जब यह 23 मई को आया था।
मौसम विभाग के अनुसार, इस बार मानसून की बारिश सामान्य से अधिक होने की संभावना है। अप्रैल में जारी पूर्वानुमान में यह भी स्पष्ट किया गया था कि अल-नीनो का प्रभाव इस बार नहीं देखा जाएगा, जिससे वर्षा में कटौती की संभावना कम है।
पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के सचिव एम. रविचंद्रन ने बताया कि जून से सितंबर तक की चार महीनों की मानसून अवधि में 105% तक वर्षा हो सकती है, जो औसतन 87 सेमी के मुकाबले अधिक है। यह कृषि, जल आपूर्ति और बिजली उत्पादन जैसे क्षेत्रों के लिए राहत की खबर है।
प्री-मानसून गतिविधियां भी रहीं सक्रिय
इस बार प्री-मानसून गतिविधियों ने भी देशभर में असर दिखाया है। दिल्ली, उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा और बिहार में तेज हवाओं और गरज-चमक के साथ बारिश ने मौसम को खुशनुमा बना दिया है। इससे हीटवेव का प्रभाव भी काफी हद तक कम हुआ है।
मानसून का कैलेंडर
आगमन (केरल): अनुमानित 27 मई
देशभर में फैलाव: 8 जुलाई तक
पश्चिमी भारत से वापसी: 17 सितंबर से
पूर्ण वापसी: 15 अक्टूबर तक
मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार, जल्दी मानसून के कारण खरीफ फसलों की बुआई भी समय पर शुरू हो सकती है, जिससे कृषि उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा।
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