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“पैसा खुदा तो नहीं लेकिन खुदा से कम भी नहीं” कवर्धा की गंदगी साफ करने वाला गुरुनाला के २०० करोड़ के 22.59 एकड़ सरकारी जमीन पर दागदारों का कब्ज़ा

UNITED NEWS OF ASIA. कवर्धा शहर की गंदगी को अपने में समावेश कर बहा ले जाने वाला गुरुनाला अब अपने वजूद की लड़ाई लड़ रहा है. क्योकि कवर्धा की दूषित राजनीती का शिकार हो चुके और जिला स्थापना के बाद 5 पखवाडा देख चुके गुरुनाला की सफाई तो नहीं हुयी न ही अपने मूल स्वरुप को पा सका. गुरुनाला के नाम पर करोडो रुपय अब तक दागदारों ने चट कर दिए है. अवैध अतिक्रमण से ग्रसित गुरुनाला की सफाई के नाम पर अब एक बार फिर पैसे निकालकर चट कर जाने की पूरी तैयारी है.

२०२१ में गुरुनाला के सौंदर्यी करण के लिए १ करोड़ २२ लाख रूपये स्वीकृत हुए थे तो वही वर्तमान में कवर्धा की जनता पर जबरन थोपे गये मनोनीत अध्यक्ष के द्वारा एक बार फिर से नगर पालिका के सामान्य सभा में सफाई और सौन्दर्यीकरण के नाम पर ४ अलग अलग एजेंडों में कुल १ करोड़ ८० लाख रूपये लगभग राशी का प्रस्ताव रखा गया है. इतना ही नहीं सामान्य सभा की बैठक पूर्व ही बिना स्वीकृति कार्य भी प्रारंभ कर प्रेस विज्ञप्ति तक जारी कर दिया गया.

कवर्धा शहर ही राजनितिक हल्कों में चल रही चर्चा की माने तो गुरुनाला की सफाई के बहाने आगामी आने वाले नगर पालिका चुनावी खर्च को निकलने की सोच के साथ व्यक्ति विशेष को लाभ पहुचने के लिए उक्त भूमिका को तैयार किया गया है.

कुछ दिन पूर्व इस सम्बन्ध में अध्यक्ष और नपा के अधिकारी से बात की गयी थी कि क्या टेंडर और कार्य स्वीकृति के पूर्व ही कार्य चालू किया गया है तो ढुलमुल जवाब से केवल लीपापोती करते हुए तमाम मीडिया के साथियों को अपने दोहरे चरित्र वाले व्यक्तित्व से ओत प्रोत करते नजर आये थे.

एक नजर अब तक गुरुनाला पर किये गये कार्यों पर  

छत्तीसगढ़ में लगातार घट रहे जलस्तर की रोकथाम के लिए तत्कालीन प्रदेश सरकार द्वारा नरवा बचाव योजना के तहत नालों को संरक्षित करने के लिए कई तरह की योजनाएं संचालित की गयी . इस योजना के तहत नालों की सफाई के साथ ही सौंदर्यी करण के लिए करोड़ों रुपए खर्च करने का प्लान थे. कवर्धा शहर में भू-माफियाओं के हौसले बुलंद होने के चलते तीन साल पहले वर्ष 2021 में इस शहर के गुरूनाला में सौंदर्यीकरण के लिये 1 करोड़ 22 लाख रूपये स्वीकृत हुए थे. लेकिन जब यहां पर कार्य करवाने के लिए नगरपालिका की टीम ने मुआयना किया तो राजस्व रिकार्ड के अनुसार नाला गायब मिला. इसके बाद नगर पालिका और राजस्व टीम ने नाले खोजबीन की, जिसमें चौंकाने वाला मामला सामने आया. अवैध कब्जा करने वालाें ने गुरूनाला के 22.59 एकड़ जमीन पर कालोनी बसा ली है. लगभग 50 से अधिक अवैध मकानों को तोड़ने का फरमान भी जारी हो चुका है. लेकिन रसूखदारों के आगे सब मूक बने रहे.

१२० फीट चौड़ा था गुरुनाला

जब कवर्धा शहर के गुरूनाला की जांच की गई थी तब रिकॉर्ड में 120 फीट चौड़ा नाला था, लेकिन अब नाले की सरकारी जमीन पर अवैध कब्जा कर बेच दिया गया है. नाले की चौड़ाई अब कहीं 20 फीट तो कहीं 30 फीट हो चुकी है. नाले की सरकारी जमीन को पाटकर (फिलिंग करके) बेच दिया गया है.
अवैध प्लाटिंग का ये मामला तीन वर्ष पहले सामने आया था, लेकिन पिछले तीन साल से जांच अधूरी है. राजस्व विभाग के अमले ने उस जमीन की 20 साल पुरानी सर्च डिटेल खंगालने का दावा किया था लेकिन तीन साल बीतने के बाद भी जांच पूरी नहीं हो सकी.

जांच के लिए गठित टीम अब सिर्फ कागजों में दफ्न 
गुरूनाला का मूल स्वरूप भुईयां साफ्टवेयर में डिजिटल नक्शे की जरिये आसानी से देखा जा सकता है, लेकिन भू-माफियाओं ने वर्तमान में नाला में अवैध कब्जा कर घर बना लिया है. जिससे नाला का मूल स्वरूप ही बदल गया है. वहीं इस पूरे मामले की शिकायत कलेक्टर से लेकर मंत्री तक की थी, जिसको संज्ञान में लेते हुए पूरे मामले की विस्तृत जांच करने के लिए टीम गठित की गई थी और जांच रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए 15 दिन का अल्टीमेटम भी दिया गया था. शहर से 200 करोड़ की लगभग 22.59  एकड़ सरकारी जमीन गायब है. इसमें गुरूनाला के आसपास जो निजी भूमि है उनके खसरे भी शामिल है.

आखिर भू माफियो ने कैसे किया कब्ज़ा

शहर में सरकारी जमीन पर अवैध प्लॉटिंग का सिलसिला करीब 20-22 साल पहले शुरू हुआ था. तब ऑनलाइन रजिस्ट्री न होकर मैनुअल रजिस्ट्री होती थी. पटवारी से जमीन का बी- 1, बी- 2, नजरी नक्शा निकलवा लेते. उसी के आधार पर स्टाम्प खरीदी होती. वेंडर स्टाम्प में बेचे जा रहे भूखंड क्रमांक व चौहद्दी लिख देता. गवाहों के दस्तखत और रजिस्ट्री प्रक्रिया पूरी हो जाती थी.

कवर्धा में गुरु नाला की 22.59 एकड़ सरकारी जमीन को ढूंढने के लिए राजस्व अफसरों को 20 साल का रिकॉर्ड देखना पड़ेगा, जब भू-माफियाओं ने सरकारी जमीन पर कब्जे का खेल शुरू किया था. गुरु नाला और उससे लगी जमीन की सर्च डिटेल खंगालेंगे, तब जाकर गड़बड़ी पकड़ में आएगी. सरकारी जमीन को बेचने वाले दोषियाें को पकड़ने के लिए जांच का दायरा बढ़ाना होगा. सर्च डिटेल से पता चल सकता है कि गुरु नाले से लगे दोनों ओर कितनी निजी भूमि है। 20 साल पहले तक ये जमीन किस-किस के नाम पर थी.

रजिस्ट्री के बाद कब और किसके नाम पर हुई, पूरा ब्योरा मिल जाता. प्रक्रिया में पेचीदगियां जरूर हैं, लेकिन इससे राजस्व अफसर उन दलालों तक पहुंचती है, जिन्होंने निजी भूमि के दस्तावेज दिखाकर सरकारी जमीनें भी बेच डाली. साथ ही उन पटवारियों के नाम भी सामने आते, जिनकी मिलीभगत से यह सब हुआ. लेकिन फिलहाल ऐसा कुछ होता नहीं दिख रहा है.

खबर अभी बाकी है … UNA का बाज तस्वीरों से खोलेगा भूमाफियाओं का राज .. दिखायेंगे आपको सौन्दर्यीकरण के ४० – ४० लाख वाले गड्ढे

बने रहें .. 

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Saurabh Namdev

| PR Creative & Writer | Ex. Technical Consultant Govt of CG | Influencer | Web developer
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