
UNITED NEWS OF ASIA. मणिपुर में जारी हिंसा पर मोदी सरकार ने पहली बार बड़ा बयान दिया है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने राज्यसभा में मणिपुर हिंसा को लेकर अहम बयान दिया और स्वीकार किया कि मणिपुर में जातीय हिंसा के कारण 260 लोग मारे गए। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि पश्चिम बंगाल में चुनावी हिंसा के दौरान इससे ज्यादा लोग मारे गए थे।
अमित शाह ने यह बयान तब दिया जब संसद में मणिपुर में राष्ट्रपति शासन की पुष्टि करने वाले सांविधिक संकल्प पर चर्चा हो रही थी। इस संकल्प को शुक्रवार तड़के करीब 4 बजे ध्वनिमत से पारित कर दिया गया। 13 फरवरी को मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लागू किया गया था, और यह संकल्प उच्चतम न्यायालय के आदेश के अनुरूप पेश किया गया था।
गृह मंत्री ने मणिपुर में शांति स्थापित करने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता जताई और कहा कि पिछले चार महीने से मणिपुर में एक भी मौत नहीं हुई है, जबकि केवल दो लोग घायल हुए हैं। उन्होंने मणिपुर में हालात बिगड़ने की वजह एक अदालती निर्णय को बताया, जिसमें एक जाति को आरक्षण दिया गया था, लेकिन उच्चतम न्यायालय ने इसके अगले ही दिन उस पर रोक लगा दी थी।
अमित शाह ने विपक्ष से अपील की कि मणिपुर के मुद्दे पर राजनीति नहीं की जाए और कहा कि सरकार जल्द ही शांति, पुनर्वास और लोगों के जख्मों पर मरहम लगाने के लिए काम कर रही है।
इससे पहले, नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और तृणमूल कांग्रेस के नेता डेरेक ओब्रायन ने सरकार पर मणिपुर की स्थिति पर असफलता का आरोप लगाया। खरगे ने प्रधानमंत्री मोदी पर निशाना साधते हुए कहा कि इतने बड़े संकट के बावजूद वह मणिपुर का दौरा नहीं कर पाए। ओब्रायन ने आरोप लगाया कि सत्तारूढ़ दल मणिपुर में अपनी असफलता को लेकर गर्व दिखा रहा है।
इस बहस के बीच, अमित शाह ने मणिपुर के लोगों के पुनर्वास और स्थिति की जल्द सुधार की दिशा में सरकार की नीतियों पर जोर दिया।



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