
उन्होंने कहा कि कोई विचार तब जन आंदोलन बन जाता है, जब वह “चर्चा की मेज़ से रात भोज की मेज़ तक पहुँच जाता है। प्रधानमंत्री ने शुक्रवार को विश्व नेताओं से कहा कि जब लोग इस बात को लेकर सतर्क हो जाते हैं कि प्रत्येक के जीवन में की गई उनकी छोटी-छोटी कोशिशें भी निश्चित रूप से साबित हो सकती हैं, तो पर्यावरण पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाइव चेंज के खिलाफ लड़ाई में लोगों की भागीदारी के साथ-साथ सामूहिक प्रयासों का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि कोई विचार तब जन आंदोलन बन जाता है, जब वह “चर्चा की मेज़ से रात भोज की मेज़ तक पहुँच जाता है। प्रधानमंत्री ने शुक्रवार को विश्व नेताओं से कहा कि जब लोग इस बात को लेकर सतर्क हो जाते हैं कि प्रत्येक के जीवन में की गई उनकी छोटी-छोटी कोशिशें भी निश्चित रूप से साबित हो सकती हैं, तो पर्यावरण पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
उन्होंने वर्ल्ड बैंक की ओर से ‘मेकिंग इट पर्सनल: हाउ बिहेवियरल चेंज कैन टैकल क्लाइमेट चेंज’ विषय पर आयोजित सम्मेलन में कहा, “दुनिया भर के लोगों के परिवर्तन के बारे में बहुत कुछ है। उनमें से कई लोग बहुत बेचैनी महसूस करते हैं, क्योंकि वे नहीं जानते कि वे इसका प्रभाव कम करने के लिए क्या कर सकते हैं। उन्हें लगातार एहसास होता है कि इसमें सिर्फ दो या वैश्विक दृष्टिकोण की ही भूमिका है। अगर उन्हें पता चल जाए कि वे भी योगदान दे सकते हैं, तो उनकी बेचैनी कार्रवाई में बदल जाएगी।”
पिछले साल अक्टूबर में उनके और संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुतारेस द्वारा शुरू किए गए ‘मिशन लाइफ’ का हवाला देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि कार्यक्रम का मकसद परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई का प्रजातंत्र करना है। मुद्रा कोष (आईएमएफ) और विश्व बैंक के वार्षिक बसंत में अन्य आयोजन इस सम्मेलन में मोदी ने कहा कि विश्वव्यापी परिवर्तन का मुकाबला सिर्फ कक्ष की मेजबानी नहीं किया जा सकता है, बल्कि इसकी लड़ाई हर घर से जुड़ी होगी।
उन्होंने कहा, “जब कोई विचार चर्चा की मेज़ से रात भोज की मेज़ तक पहुँचता है, तो यह एक जन आंदोलन बन जाता है और हर परिवार और उसका हिस्सा बन जाता है। उनके द्वारा कहे गए छोटे-दादा कदम पृथ्वी की मदद करने के साथ-साथ इस जन आंदोलन को गति प्रदान कर सकते हैं।” मोदी ने कहा कि भारत के लोगों ने इस मामले में बहुत कुछ किया है। उन्होंने कहा, “पिछले कुछ वर्षों में, जन प्रयासों ने भारत के कई हिस्सों में लिंगानुपात में सुधार किया है। लोगों ने बड़े पैमाने पर स्वच्छता अभियान चलाया है। चाहे नादियां हो, या समुद्र तट या सड़कें, भारत के लोग यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि सार्वजनिक स्थानों पर गंदगी न हो।”
मोदी ने कहा कि लोगों ने ही चिपके हुए दंपती दंपती वाले अभियान को सफल बनाया और भारत में करीब 37 करोड़ घोटाला फंसा हुआ जा रहे हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि यह हर साल लगभग 3.9 करोड़ टन कार्बन चुपके से मदद कर रहा है। उन्होंने कहा कि भारत के किसानों ने सुनिश्चित किया है कि करीब 7,00,000 हेक्टेयर कृषि भूमि सूक्ष्म सिंचाई प्रणाली के दायरे में आए। मोदी ने रेखांकन किया कि प्रति बूंद अधिक सफलता के मंत्र को बनाते हुए इससे भारी मात्रा में पानी की बचत हुई है।
मोदी ने कहा, “मिशन जीवन के तहत, हमारे प्रयास कई क्षेत्रों में शामिल हो रहे हैं, जैसे स्थानीय शरीर को पर्यावरण के अनुकूल बनाना, पानी की बचत, ऊर्जा की बचत, अपशिष्ट और ई-कचरे को कम करना, स्वस्थ जीवन को अपनाना, प्राकृतिक खेती को अपनाना और शेयरधारकों को बढ़ावा देना।” प्रधानमंत्री ने कहा कि इन प्रयासों से 22 अरब यूनिट बिजली की बचत होगी, नौ हजार अरब जल जल बचेगा, 37.5 करोड़ टन जन्म में कमी आएगी और करीब लाख टन ई-कचरे का पुनर्चक्रण होगा। उन्होंने कहा, “ये प्रयास 15 अरब टन खाने की बर्बादी रोकने में भी हमारी मदद करेंगे।”
मोदी ने कहा कि दुनिया भर के देशों को बढ़ावा देने में ग्लोबल लुक्स की महत्वपूर्ण भूमिका है। विश्व बैंक समूह विनाश से निपटने के लिए 26 साल से बढ़कर 35 प्रतिशत पर ध्यान दे रहा है। मोदी ने कहा कि इस स्पष्टता का ध्यान आम तौर पर पारंपरिक पैठ पर होता है। प्रधानमंत्री ने कहा कि व्यवहार संबंधी शुरुआती तौर पर दिखने के लिए पर्याप्त उपायों पर काम करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि ‘मिशन लाइफ’ जैसे व्यवहार संबंधी पहलों के लिए विश्व बैंक के समर्थन का गुणक प्रभाव होगा।
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