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महाराष्ट्र: कोरेगांव भीमा युद्ध की 205वीं वर्षगांठ पर स्मारक पर जय स्तंभ पर एकत्र हुए संक्रारों लोग

जनवरी, 2018 को कोरेगांव-भीमा में सुरक्षा व्यवस्था चाक को चौबंद कर दिया गया था। पांच के अतिरिक्त मंत्री चंद्रकांत पाटिल स्मारक पर जाने पर मिले धोखे की धमकी मिलने का हवाला देते हुए वहां नहीं गए।

पांच। कोरेगांव-भीमा लड़ाई के 205 साल पूरे होने के मौके पर रविवार को कड़ी सुरक्षा के बीच राजनीतिक नेता महाराष्ट्र के फौरी जिले में स्थित जयस्तंभ सैन्य स्मारक पहुंचे। एक जनवरी, 2018 को कोरेगांव-भीमा में सुरक्षा व्यवस्था चाक चौबंद की वजह से स्मारक के आसपास हिंसा के मद्देनजर हुई थी। पांच के अतिरिक्त मंत्री चंद्रकांत पाटिल स्मारक पर जाने पर मिले धोखे की धमकी मिलने का हवाला देते हुए वहां नहीं गए। पाटिल पर डॉक्टर भीमराव आंबेडकर और समाज सुधार ज्योतिबा फुले के बारे में उनके आक्रोश बयानों को लेकर परोक्ष तौर पर विरोध को लेकर पिछले महीने पुणे जिले के पिंपरी कस्बे में एक कार्यक्रम के दौरान छुपाया गया था।

1 जनवरी, 1818 को कोरेगांव भीमा में पेशवा की फौजों से लड़ने वाली ब्रिटिश सेना में अधिकांश पर्लिटेज़ महार समुदाय के सैनिक शामिल थे, जिन्होंने पेशवा के जातिवाद से मुक्ति के लिए युद्ध छेड़ा था। हर साल इस दिन, बड़ी संख्या में लोग मुख्य रूप से पर्टल समुदाय के व्यक्ति जयस्तंभ चिह्नक होते हैं। अंग्रेजों ने कोरेगांव भीमा की लड़ाई में पेशवा के खिलाफ लड़ने वाले सैनिकों की याद में यह स्मारक बनवाया था। एक जनवरी, 2018 को ऐतिहासिक युद्ध की 200वीं वर्षगांठ के दौरान कोरेगांव भीमा गांव के पास हिंसा भड़क गई थी, जिसमें एक व्यक्ति की मौत हो गई थी और कई अन्य घायल हो गए थे।

पुलिस के अनुसार, एक दिन पहले पुणे शहर में एल्गार परिषद सम्मेलन आयोजित किया गया था, जिसमें दिए गए भाषणों की वजह से हिंसा भड़की थी। रविवार को कड़ी पुलिस सुरक्षा के बीच बड़ी संख्या में लोग फतेह-अहमदनगर रोड पर परने गांव में फूल और रोशनी से सजे विजय स्तंभ पर एकत्रित हुए। विनायक बहुजन अघाड़ी (वीबीए) के अध्यक्ष प्रकाश आंबेडकर और बीजेपी (यूबीटी) की प्रवक्ता सुषमा अंधेरे स्मारक लेने वाले शामिल थे। हालांकि, फौरी राशि के मंत्री चंद्रकांत पाटिल किसी बड़ी घटना से बचने के लिए स्मारक पर नहीं गए।

मंत्री ने एक प्रेस बयान में कहा, स्मारक जाने पर गलती से जाने की धमकी मिली है। मैं डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर के विचार के मार्ग पर चलने वाला व्यक्ति हूं, इसलिए मैं अपनी छाती पर खाने के लिए भी तैयार हूं। उन्होंने कहा, हालांकि, कुछ लोग चाहते हैं कि वहां कोई बड़ी घटना या सांप्रदायिक दंगे हों। चूंकि बड़ी संख्या में लोग वहां बहुत से विश्वास के साथ हो जाते हैं, इसलिए उनकी सुरक्षा मेरे लिए महत्वपूर्ण है। मैंने वहां नहीं जाने का फैसला किया। स्मारक पर आने वाले लोगों के लिए जिला प्रशासन ने पार्किंग, शौचालय, पानी और बस सेवाओं सहित व्यापक व्यवस्था रखी थी।

अस्वीकरण:प्रभासाक्षी ने इस खबर को निराशा नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआइ-भाषा की भाषा से प्रकाशित की गई है।



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Saurabh Namdev

| PR Creative & Writer | Ex. Technical Consultant Govt of CG | Influencer | Web developer
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