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छत्तीसगढ़ राज्य में लिपिक वर्गीय कर्मचारीयों के वेतनमानों में सुधार करने व पद नाम परिवर्तन करने मुख्यमंत्री के नाम दिया गया ज्ञापन…

UNITED NEWS OF ASIA. छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण से लिपिक संवर्गों के वेतनमानों में निरंतर क्षरण को दूर करने तथा लिपिक वर्गीय कर्मचारियों के सामान्य हितों का संरक्षण एवं लिपिकों के हितों के लिए लिपिक संघों द्वारा निरंतर संघर्ष किया जा रहा है। वर्तमान में राज्य शासन द्वारा लगभग सभी वर्ग के अधिकारियों एवं कर्मचारियों के वेतन विसंगति का मामला निराकृत किया जा चुका है।

छत्तीसगढ़ शासन द्वारा लिपिक संवर्गों के वेतनमान के निराकरण करने हेतु उच्च स्तरीय समिति गठित की गई। समिति द्वारा अनुशंसित अनेक संवर्गों के वेतनमानों का उन्नयन कर निराकरण किया गया, किन्तु जिस संवर्ग (लिपिक) के लिए समिति का गठन किया गया समिति द्वारा अनुशंसा के पश्चात भी लिपिकों के वेतनमानों में उन्नयन नहीं किया गया। उक्त समिति द्वारा जिन संवर्गों के वेतनमान के उन्नयन के लिए अनुशंसा नहीं भी की गई थी उन संवर्गों के वेतनमानों का उन्नयन शासन द्वारा किया जा चुका है। जिसके कारण लिपिक संवर्ग में कुण्ठा एवं निराशा का वातावरण निर्मित हो रहा है। यदि शिक्षकों एवं लिपिकों के वेतनमान का तुलनात्मक अध्ययन किया जाये तो विगत 35-36 वर्षो से लिपिकों के वेतन में निम्नानुसार विसंगति है।

सारणी क्रमांक 01 में लिपिकों का वेतनमान क्रमांक 03 से निरंतर कमी होती आ रही है इसी प्रकार सारणी क्रमांक 02 का अवलोकन करे तो क्रमांक 05 से निरंतर लिपिकों के वेतनमान में कमी होती आ रही है इस प्रकार लिपिकों के वेतनमान शिक्षकों, पटवारी एवं अन्य संवर्ग के वेतनमान का अंतर लगातार बढ़ता जा रहा है। शासकीय कार्यालयों में लिपिक के कार्य विभिन्न प्रकार के होते है महत्वपूर्ण अभिलेख भी लिपिक के पास शासकीय धरोहर के रूप में होते है राष्ट्रीय महत्व के कार्य जैसे निर्वाचन, जनगणना, आवश्यक योजनाओं के दस्तावेज भी लिपिकों के संरक्षण में ही होते है जिसकी गोपनीयता की जिम्मेदारी भी लिपिकों की होती है लिपिकों को अपने कार्य से संबंधित कानून एवं नियमों का पर्याप्त ज्ञान होना आवश्यक है, लिपिक प्रशासनिक ढांचे की प्रथम सीढी है, जिसका अनुत्तरदायी होना पूरे प्रशासन के लिये सही नही कहा जा सकता है। किसी प्रकरण का निर्धारित समय एवं उचित निपटारा लिपिकों की सक्षमता एवं कार्य की गति पर निर्भर करता है, जिसका सीधा प्रभाव विभाग की प्रशासनिक क्षमता पर पड़ता है। लिपिक संवर्ग की देतन विसंगति के निराकरण हेतु गठित डॉ. डी. एन. तिवारी समिति के प्रतिवेदन में लिपिकों के लिये की गई अनुशंसा को सचिव समिति द्वारा केवल इस आधार पर कि भारत सरकार में है। इसी प्रकार सचिव समिति द्वारा समयमान वेतनमान का लाभ देने का उल्लेख किया गया, जबकि राज्य शासन द्वारा केवल लिपिकों को ही नहीं प्रत्येक वर्ग को समयमान वेतनमान का लाभ दिया जाता है, जो कि प्राप्त वेतन के आधार पर ही देय होता है। सचिव समिति द्वारा शिक्षकों से तुलना को यह कहते हुये कि सहायक शिक्षक का पद डाईंग कैडर का पद घोषित किया गया है तथा इस पद हेतु बी. टी.आई. अनिवार्य योग्यता थी, जो सहायक ग्रेड-3 की निर्धारित योग्यता से अधिक है। इस संबंध में निवेदन है कि सहायक शिक्षक का पद वर्तमान में डाईग कैडर नही है, साथ ही लिपिकों को भी तत्समय टायपिंग परीक्षा उत्तीर्ण करना आवश्यक निर्धारित योग्यता में शामिल था जो वर्तमान में कम्प्यूटर एक वर्षीय डिप्लोमा प्रमाण पत्र प्रस्तुत करना तथा कौशल परीक्षा देना भी अनिवार्य है एवं उच्चतर पदो पर पदोन्नति हेतु लेखा परीक्षा पास किया जाना भी अनिवार्य है। इस प्रकार यदि हम तुलना करे तो सहायक ग्रेड-3 की योग्यता किसी भी स्थिति में सहायक शिक्षक से कम नही है।
सहायक ग्रेड-3 का वेतनमान 5200-20200 ग्रेड वेतन 1900/- है, अस्वीकार किया गया जो सही नही है। भारत सरकार के विभिन्न विभागों में सहायक ग्रेड-3 का वेतनमान 5200-20200 ग्रेड वेतन 2400/-छत्तीसगढ़ शासन, सामान्य प्रशासन के पत्र क्रमांक / एफ 9-1/2008/ 1-3 दिनांक 01.02.2013 द्वारा डाटा एन्ट्री आपरेटर एवं सहायक ग्रेड-3 की नियुक्ति हेतु शैक्षणिक योग्यता निम्नानुसार निर्धारित की गई है।

राज्य शासन द्वारा सातवें वेतनमान में पटवारियों, शिक्षाकर्मियो / शिक्षकों, कृषि विभाग एवं पशुधन विभाग में कर्मचारियों का वेतन विसंगति का निराकरण कर सम्मानजन वेतनमान निर्धारित किया गया है। वर्तमान में वेतनमान में सुधार हेतु गठित  पिंगुआ समिति एवं  कमलप्रीत सिंह समिति के समक्ष भी लिपिक संघों द्वारा अपना पक्ष प्रस्तुत किया जा चुका है, किंतु समिति की कार्यवाही अत्यंत धीमी गति से होने के कारण लिपिकों में निराशा व्याप्त है। लिपिक वर्गीय कर्मचारियों के वेतनमानों में निरंतर क्षरण को माननीय उच्च न्यायालय ने भी स्वीकार किया है साथ ही  मुख्यमंत्री जी ने लिपिकों के मंच से हमारी मांगे पूर्ण करने का आश्वासन दिया है, किंतु आज दिनांक तक लिपिकों के वेतनमान में सुधार करने की कार्यवाही लंबित है। लिपिक वर्गीय कर्मचारियों के पदनाम परिवर्तन करते हुये तदानुसार वेतनमानों में सुधार करन हेतु आवश्यक पहल करने की कृपा करेंगे। आपके सहयोग से लिपिकों को वर्षों से हो रही पीड़ा एवं समकक्ष साथियों के बीच हो रहे असम्मान से मुक्ति मिल सकती है।

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