जोधपुर समाचार: राजस्थान के जोधपुर स्थित डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन राजस्थान आयुर्वेद विश्वविद्यालय के संकेतक प्रशासन विभाग द्वारा विश्व तंबाकू निषेध दिवस के उप लक्ष्य में तंबाकू निषेध जागरूकता शुरू की गई है। कार्यक्रम की शुरुआत कुलपति प्रो. वैद्य प्रदीप कुमार प्रजापति ने किया। इस क्षेत्र में एबीपी न्यूज़ से विशेष बातचीत करते हुए बताया गया है कि तंबाकू का सेवन स्वास्थ्य के लिए खतरनाक है। तंबाकू की तलाब ना हो इसलिए हमारे खोजी दल ने जॉबर को ढूंढ निकाला है। सिगरेट, बीडी, गुटका व पान की तलब को कम करने के लिए जूसर से आयुर्वेदिक औषधियों के मिश्रण से पान मसाला व सिगरेट बनाया जाता है। सिगरेट में टोबैकोटिन की जगह ड्रगयां डाली जाती हैं। जिससे इसकी तलब कम होती हैं.
आयुधूमपान (सिगरेट) बनाने में विशेष आयुर्वेदिक औषधियां उपयोग में ली गई हैं। आयुर्वेदिक औषधि सिगरेट से निकोटिन की तलब नहीं होती है। इसी के साथ इससे गलतफहमी वाले लोगों के पास बैठने वालों को नुकसान नहीं होता है। इसका उपयोग करने वाले की बॉडी में इसके जरिए दवा पहुंच जाती है। जिसके बाद निकोटीन की तलब कम हो जाती है। आयुधूमपान (सिगरेट) बनाने में यह औषधियां उपयोग में ली गई है। इसका उपयोग करने पर किसी भी तरह का दुष्प्रभाव नहीं होता है।
आयुधूमपान बनाने में इस सामग्री का उपयोग किया जाता है। धतूरपत्र , तेजपता , गुलाब पत्र , लघु इला , नगरमोथा , जरामांती।
आमुर्गन्धा (गुटखा) बनाने में यह विशेष आयुर्वेद औषधियां उपयोग में ली जाती हैं। खाने से तंबाकू निकोटिन की टैब्लेट में कमी आती है। पेट में होने वाली गैस की परेशानी नहीं होती है। साथ ही मुंह के स्वाद के लिए अच्छा रहता है। आमुर्गन्धा बनाने में इस सामग्री का उपयोग किया जाता है। अजवायन, सौंफ, अधरख, सेंधव, लवण, नींबू, सुपारी।
100 से अधिक चेन स्मोकर की खोज की गई
कार्यक्रम विशेषज्ञ एवं धूम्रपान मुक्ति डॉ. रितु कपूर ने बताया कि इस जागरुकता सप्ताह में लगातार वृद्धि हो रही है। अलग-अलग गैर-संबद्ध स्नातकों में तंबाकू सेवन से लक्ष्यों के लक्षण, उनके प्रभाव समान तंबाकू से जुड़े हुए तंत्र के पालनकर्ता ने तंबाकू गुटखा व पैन मसाला वापसी के विकल्प के रूप में आयुर्गधा एवं सिगरेट वापसी के विकल्प के रूप में वृद्धावस्था का निर्माण किया है। आयुर्धूमपान का 100 से अधिक चेन स्मोकर पर खोजा गया इसके परिणाम बहुत ही चौकाने वाले आते हैं।
तंबाकू का धूम्रपान करने से सीधे ब्रेन व लंग्स पर निकोटीन से संपर्क होता है
डॉ. रितु कपूर ने बताया कि तंबाकू का धूम्रपान करने से निकोटीन का संपर्क सीधे मस्तिष्क और लंग्स पर होता है। आयुधमपान का उपयोग करने से आयुर्वेदिक औषधियों से मिलाई हुई दवाई के रूप में बॉडी में मिलता है। साथ ही निकोटीन की तलब धीरे-धीरे खत्म हो जाती है। सुपारी, पान मसाला, गुटखा और अन्य उत्पादों का सेवन महिला और अधिक मात्रा में करते हैं। निकोटिन की तलब को कम करने के लिए आमुर्गन्धा का उपयोग करने पर नशा छोड़ने में आसानी से रहता है।
अत्याचारियों कि तंबाकू का सेवन करने वालों की तादाद लगातार बढ़ती जा रही है। इसके दुष्परिणाम के कारण कैंसर जैसी दिखने वाली रेखाएं छवि से राजस्थान में 200 से अधिक लोगों की मौत हो रही है। राज्य सरकार को गुटखा बीड़ी सिगरेट से मिलने वाले राजस्व से कई गुना अधिक चिकित्सा पर खर्च आ रहा है।
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