बसपा प्रमुख मायावती ने निकाय चुनाव के लिए प्रत्यशियों की घोषणा के मामले में जीत मार ली है। मंगलवार को संगठन में बड़ा बदलाव कर यूपी में नए अध्यक्ष की फिर से निकाय चुनाव के लिए प्रत्यशियों की घोषणा भी शुरू कर दी गई है। मेयर के लिए पहले मुद्रा की घोषणा की गई है। सहारनपुर में मेयर के लिए पूर्व विधायक और पूर्व विधायक इमरान मसूद की पत्नी सायमा मसूद को सरकार बनाया गया है। सहारनपुर की सीट अभी अछूती है। इमरान मसूद कुछ समय पहले ही सपास बसपा में शामिल हुए थे।
इमरान मसूद ने बुधवार को पापाराजी को बताया कि बसपा सुप्रीमो मायावती ने मेयर पद के लिए मुद्रा के लिए उनकी पत्नी सायमा मसूद के नाम पर मोहर लगा दिया। इससे पूर्व बसपा के पश्चिमी उत्तर प्रदेश के प्रभार शमसुद्दीन राइन ने सायमा मसूद के नाम की घोषणा की थी।
मायावती की ‘अयोध्या के पाल’ पर दांव, क्या है रणनीति, बसपा के निशाने पर बीजेपी या स्पा?
सायमा मसूद के पति इमरान मसूद वर्ष 2006 में सहारनपुर नगर के चयन के बाद अध्यक्ष बने थे और वर्ष 2007 में वे निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में कैबिनेट मंत्री सपा नेता जगदीश राणा को बे सीटहट चुनाव में हरा दिया था और विधायक चुने गए थे। बाद में सहारनपुर नगर निगम की कार्यप्रणाली को नगर निगम का स्तर दिया गया। जिसका पहला चुनाव पांच साल पूर्व हुआ था।
पिछली बार पिछड़ा वर्ग के लिए कब्जा मेयर सीट पर भाजपा सांसद संजीव वालिया ने बसपा उम्मीदवार वर्तमान में बसपा सांसद हाजी फजर्लुरहमान कुरैशी को बहुत मामूली अंतर से चुनाव में हराया था। मसूद ने कहा कि जिस उम्मीद के साथ मायावती जी ने अपनी पत्नी को उम्मीदवार बनाया है, वह पूरी ताकत से चुनाव लड़ेंगे और जीत दर्ज करेंगे।
बसपा में अभी सांसद फजर्लुरहमान कुरैशी के रुख को लेकर खासी बेचैनी है। क्योंकि मायावती ने फजर्लुरहमान कुरैशी की अनदेखी करते हुए इमरान मसूद को 19 अक्टूबर 2022 में बसपा में शामिल किया था और उन्हें पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बसपा को संगठित करने की जिम्मेदारी भी सौंपी गई थी।
इमरान मसूद इसी साल 12 जनवरी को कांग्रेस को छोड़कर सपा में शामिल हुए थे। लेकिन विधानसभा चुनाव में अखिलेश यादव ने इमरान मसूद को किसी भी सीट से टिकट ना देकर गच्चा दे दिया था। सपा में शामिल होने से पूर्व इमरान मसूद कांग्रेस के कद्दावर नेताओं में शामिल थे।
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और पार्टी सर्किट प्रत्यक्ष गांधी के साथ-साथ वे कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव भी थे। एक साल के भीतर ही इमरान मसूद अपने राजनीतिक वनवास से बाहर आने के लिए तीसरे दल की श्रेणी बसपा की सियासत में सक्रिय हो गए हैं।