उप मुख्यमंत्री विजय शर्मा शासकीय आदिवासी बालक छात्रावास में शहीद वीर नारायण सिंह शहादत दिवस कार्यक्रम में हुए शामिल
UNITED NEWS OF ASIA. कवर्धा। उप मुख्यमंत्री विजय शर्मा आज शासकीय पोस्ट मैट्रिक आदिवासी बालक छात्रावास, भोरमदेव रोड में आयोजित शहीद वीर नारायण सिंह शहादत दिवस कार्यक्रम में शामिल हुए। उप मुख्यमंत्री ने छत्तीसगढ़ के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम सेनानी शहीद वीर नारायण सिंह के छायाचित्र पर पुष्प अर्पित कर उन्हें नमन किया। इस अवसर पर उप मुख्यमंत्री ने मेन रोड से छात्रावास तक पहुंच के लिए सीसी रोड निर्माण हेतु 1 लाख रुपये, मंच निर्माण के लिए 2 लाख रुपये, और छात्रावास में शौचालय निर्माण व अन्य मरम्मत कार्यों के लिए 2.50 लाख रुपये की घोषणा की। उन्होंने बालक–बालिका छात्रावास में 50-50 सीटें बढ़ाने का आश्वासन भी दिया।
उप मुख्यमंत्री शर्मा ने कहा कि शहीद वीर नारायण सिंह छत्तीसगढ़ के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे, जिन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह का नेतृत्व किया। उन्होंने गरीबों और आदिवासी समाज के उत्थान के लिए जीवनभर कार्य किया। देश को आजाद कराने में उनका योगदान अमूल्य है। उनका त्याग और बलिदान सदैव प्रेरणा देता रहेगा। उन्होंने कहा कि शहीद वीर नारायण सिंह ने जो मार्ग दिखाया है, हमें उसी के अनुरूप कार्य करना है।
उप मुख्यमंत्री शर्मा ने कहा कि सर्व आदिवासी और विश्व आदिवासी की बात आने पर हमें एकजुट रहना चाहिए। उन्होंने भगवान बिरसा मुंडा की जयंती पूरे देश में मनाने की बात कही और सभी को साथ रहने और एकता बनाए रखने का आह्वान किया। उन्होंने बताया कि जिले में मिनी स्टेडियम बनाया जा रहा है, जिससे युवाओं को अपनी खेल प्रतिभा निखारने का अवसर मिलेगा।
उप मुख्यमंत्री ने कहा कि शहीद वीर नारायण सिंह छत्तीसगढ़ में प्रथम स्वतंत्रता संग्राम सेनानी के रूप में जाने जाते हैं। उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ बगावत का नेतृत्व किया और गरीबों व आदिवासी समाज के विकास के लिए आजीवन कार्यरत रहे। उनका योगदान देश की आजादी के लिए बहुत महत्वपूर्ण रहा है। कार्यक्रम में पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष संतोष पटेल, विदेशी राम धुर्वे, कैलाश चंद्रवंशी, नगर पालिका अध्यक्ष मनहरण कौशिक, संतराम धुर्वे, मानीराम साहू, मोती बैगा सहित छात्रावास के विद्यार्थी उपस्थित रहे। गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ महतारी के सच्चे सपूत शहीद वीर नारायण सिंह अंग्रेजों से लोहा लेते हुये 10 दिसम्बर 1857 को वीरगति को प्राप्त हुए थे। उन्हें 1857 के क्रांति में छत्तीसगढ़ के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम सेनानी होने का गौरव प्राप्त है। सोनाखान शहीद वीर नारायण सिंह की जन्मभूमि एवं कर्मभूमि है।