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झारखंड के माओवादी नक्सली नेता प्रशांत बोस अब जेल में श्रीमद्भागवत गीता पढ़ रहे हैं

माओवादी नक्सलियों ने पढ़ी श्रीमद्भागवत गीता सैकड़ों लोगों के नरसंहार का मास्टरमाइंड माओवादी प्रशांत बोस अब उम्र के आखिरी पड़ाव पर श्रीमद्भागवत गीता पढ़ रहा है। एक करोड़ के इनामी प्रशांत बोस को साल 2021 के नवंबर महीने में झारखंड पुलिस ने सरायकेला-खरसावां जिले में हाइवे के एक टोल प्लाजा पर उनकी पत्नी शीला मरांडी के साथ गिरफ्तार किया था। इसके बाद से वह बिरसा मुंडा केंद्रीय जेल में स्थित है। पैसिफिक बोस पिछले 60 वर्षों से माओवादी कट्टरपंथियों के संगठन के शीर्ष नेतृत्व में हिस्सा ले रहे हैं। बिहार, झारखंड, बंगाल, छत्तीसगढ़, संबंधित क्षेत्रों, महाराष्ट्र समेत कई राज्यों में नौकरशाहों द्वारा दिए गए सामूहिक कटलेआम की योजना बनाने से लेकर उन्हें अंजाम देने में प्रशांत बोस की अंतरलिप्तता रही है।

दो बार का अंग्रेजी संस्करण आईश्यू दिखा रहा है

जेल के आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि उसने जेल की लाइब्रेरी से पिछले तीन महीनों में दो बार भागवत गीता का अंग्रेजी संस्करण आश्यू ऑडिट किया। वह ठीक से चलकर नहीं पाता, कई तरह की बीमारियों से पीड़ित है। जेल के डॉक्टर नियमित तौर पर उसका इलाज करते हैं। वह ज्यादातर वक्त पढ़ने या सोने में रहता है। उनकी पत्नी शीला मरांडी भी कट्टरपंथियों के संगठन की शीर्ष समिति की सदस्य हैं। उस पर भी आरोप हैं। इसी जेल की महिला सेल में बंद शीला से प्रशांत बोस की मुलाकात सप्ताह में एक बार की जाती है।

पैसिफिक बोस मूल रूप से पश्चिम बंगाल के 24 परगना जिले में रहते हैं और उनकी उम्र अब करीब 85 साल बताई गई है। भारत में 60 के दशक में हिंसक उग्रवादी आंदोलन की शुरुआत के वक्त से ही वह जिम्मेदार था। कहते हैं कि पिछले चार दशकों में जिस देश में कहीं भी कोई हिंसा की घटना हुई है, उसकी योजना में प्रशांत बोस का संबंध है। केंद्रीय एजेंसी सीबीआई और एनआईए समेत पांच राज्यों की पुलिस 40 साल तक उसके पीछे लगी रही। इसके पहले उन्हें 1974 में सिर्फ एक बार गिरफ्तार किया गया था, लेकिन 1978 में जेल से प्रस्थान के बाद से वह पुलिस के लिए चुनौती बन गए थे।

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कई राज्यों में सामूहिक नरसंहार का अंजाम दिया

प्रमाणपत्र सावा साल पहले जब प्रशांत बोस को गिरफ्तार किया गया था, तब झारखंड के डीजीपी नीरज सिन्हा ने झारखंड में झारखंडियों के खिलाफ पुलिस की अब तक की सबसे बड़ी सफलता बताई थी। पुलिस ने उसे रिमांड पर लेकर लंबी पूछताछ की थी। इस दौरान उन्होंने बताया कि झारखंड, झारखंड, संबंधित क्षेत्रों में स्वयंसेवकों ने जो सामूहिक नरसंहार किए, उनकी योजना और रणनीति कैसे बनाई गई थी और किस तरह संगठन में शहीद जत्थे तैयार किए गए थे। पुलिस पूछताछ में डराने वाली हिंसा की घटनाओं पर कभी खेद या शोक नहीं जताती। उन्होंने 80 और 90 के दशक में बिहार के बघौरा-दलेलचक और बारा नरसंहार को स्वीकार किया था, छत्तीसगढ़ में कांग्रेस नेताओं की सामूहिक हत्या जैसी मौजूदा की योजना में उनकी भागीदारी रही थी।

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Saurabh Namdev

| PR Creative & Writer | Ex. Technical Consultant Govt of CG | Influencer | Web developer
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