
आईएमएफ के साथ कई बैठकें, फिर भी खाली हाथ पाकिस्तान रह गया
पाकिस्तान कीखबरें: पाकिस्तान कंगाली की हालत से गुजर रहा है। बचने की एक उम्मीद आईएमएफ से मिलने वाले राहत पैकेज से थी, अब वह भी खत्म हो गया है। आईएमएफ के साथ की कई बैठकें होने के बाद भी पाकिस्तान का खाली हाथ है। अब बड़ा सवाल यही उठ रहा है कि अब कंगाल पाकिस्तान क्या करेगा?
आईएमएफ 10 दिन तक लेनदेन करने के बाद बिना दिया गया कोई भी कर्ज वापस हो जाता है। आईएमएफ की टीम को ऐसा कुछ झटका लगा है, जो वरीयता प्राप्त पाकिस्तान को बेलआउट पैकेज जारी करेगा। उदर, पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा विक्रेता लगातार घट रहा है। सिर्फ 10 दिन तक ही वह विदेश से आयात कर सकता है। वैसे 1.2 अरब डॉलर का बेलआउट पैकेज IMF से मिल भी जाता है, तो भी उसकी बुराई नहीं होती। उसका अर्थशास्त्र आयात पर ही कायम है। मॉनिटर जो है, वे आयात की तुलना में बहुत कम होता है।
मैं गलत की कतार में हूँ
पाकिस्तान को आई जंप ने 2019 में कुल 6.5 अरब डॉलर देने का वादा किया था। जिसमें से 1.2 अरब डॉलर की खेप इसलिए रोक ली गई थी कि उसका निरंतर रसातल में जाती उद्योग को संभालने के लिए पाकिस्तान के शासकों ने कभी गंभीर और दूर जाने के कदम नहीं माने। इसलिए आई वर्किंग ने इस खेप के साथ कई लिंक फंसाते हुए उनमें पाकिस्तान की सरकार को अंततः बंधक बना लिया।
पाकिस्तान सरकार ने माना है कि वह बिजली, गैस, पेट्रोल पर सब्सिडी खत्म कर देगी। इससे इन जीन्स के डायरेक्टोरियल में दो-तीन आरोप एक-दूसरे से अलग हो सकते हैं। टास्क सेक्टर के लिए करों में दी जाने वाली छूट को भी खत्म करने को पाकिस्तान तैयार हो गया है जिससे वह अपना प्रतिवाद प्रभावित करेगा।
पाकिस्तान आवाम पर बुरा प्रभाव
इसका असर पाकिस्तान के जनजीवन पर काफी हद तक प्रतिवाद होगा। पाकिस्तान की मौजूदा बहुदलीय शाहबाज शरीफ सरकार के सामने भारी दुविधा की स्थिति पैदा हो गई है।छह-सात महीने में ही आम चुनाव होने वाले हैं। फ़ायदा इमरान खान को मिल सकता है जो अपने खराब शासन का ठीकरा सेना पर फोड़ लोकप्रियता हासिल कर रहे हैं।













