जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल सिंह सिन्हा ने बुधवार को इस अधिकार क्षेत्र के नए भूमि कानून का बचाव करते हुए कहा कि कुछ लोगों के संदर्भ में जनता को अधिकार देने की कोशिश कर रहे हैं।
जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल सिंह सिन्हा ने बुधवार को इस अधिकार क्षेत्र के नए भूमि कानून का बचाव करते हुए कहा कि कुछ लोगों के संदर्भ में जनता को अधिकार देने की कोशिश कर रहे हैं। सिन्हा ने कहा कि नए भूमि कानून देश के अन्य हिस्सों में कानून के प्रारूप पर लागू होते हैं। उपराज्यपाल ने यहां प्रेस वार्ता में कहा, “देश में कानून का राज है और जम्मू-कश्मीर में भी कानून का शासन सुनिश्चित किया जाएगा।” उन्होंने कहा, “जनता को लाभ पहुंचाने के लिए जम्मू-कश्मीर में भूमि कानूनों में कई बदलाव किए गए, क्योंकि पुराने कानून के समर्थक थे।”
जमीन पट्टाधारकों को अटका का कब्जा वापस लेने के सरकार के निर्देश पर कश्मीर में खुशी के बारे में पूछे जाने पर सिन्हा ने कहा कि नए कानून से मुश्किल से 400-500 लोग प्रभावित होंगे। इससे दुकानदारों या सब पर कोई असर नहीं पड़ेगा। उन्होंने कहा, “यह सच है कि पिछले कानून के तहत 100 करोड़ रुपये से ज्यादा की संपत्ति को पांच रुपये में चुना गया था। (इस संबंध में) सुप्रीम कोर्ट का एक फैसला है, जो अब देश का कानून है।”
सिन्हा ने पापराग से यह भी कहा, “मैं सुप्रीम कोर्ट का सम्मान करूंगा और इसलिए पूरे देश और हर नागरिक को ऐसा ही करना चाहिए। हम सुप्रीम कोर्ट के फैसले के आधार पर नए कानून आए हैं। सिन्हा ने यह भी कहा, कुछ लोग (मुद्दे पर) जनता को तर्क करने की कोशिश कर रहे हैं। उनकी टिप्पणी लगभग सभी क्षेत्रीय दलों – नेशनल कॉन्फ्रेंस, पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी), पीपुल्स कॉन्फ्रेंस और अपनी पार्टी – विरोध के संदर्भ में है।
इन पक्षों ने नए कानून के लेखे 370 के हस्ताक्षर होने के बाद कश्मीर में बाहरी लोगों को बसाने का प्रयास करार दिया है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया की ओर से कांग्रेस नेता राहुल गांधी को पत्र लिख ‘भारत जोड़ो यात्रा’ के दौरान कोविड प्रोटोकॉल सुनिश्चित करने का अनुरोध करने के बाबत पूछे गए सवालों पर सिन्हा ने कहा, हमारी किसी की यात्रा को रोकने का कोई इरादा नहीं है । अगले महीने यात्रा जम्मू कश्मीर में प्रवेश करने वाले हैं। सिन्हा ने कहा, कोविड के दौरान कई चीजें रोक दी गई थीं। अगले महीने स्थिति वैसी है, इसके आधार पर (यात्रा को अनुमति देने या न देने को लेकर) फैसला लिया जाएगा। उपराज्यपाल ने कहा कि जम्मू कश्मीर में राजनीतिक और लोकतांत्रिक गतिविधियों की पूरी आजादी है, लेकिन राष्ट्र-विरोधी गतिविधियों के लिए नहीं।
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