पटना: हिंदू की त्योहार मकर संक्रांति (मकर संक्रांति 2023) आज मनाना उचित है या कल रविवार को मकर संक्रांति मनाई जाएगी। इस पर पंडित सहित अन्य लोगों की अलग-अलग राय है। बिहार के कई नेटवर्क में कई जगहों पर मकर संक्रांति आज भी मनाई जा रही है। इन ग्रामीण क्षेत्रों से जुड़े लोग और किसान लोग जो मकर संक्रांति को मुख्य रूप से त्योहार के रूप में मनाते हैं। उनका मानना है कि हम लोग बचपन से अंग्रेजी महीने के 14 जनवरी को मकर संक्रांति आ रहे हैं। इसमें किसी ब्राह्मण की दखलंदाजी की जरूरत नहीं है। इस कारण 14 जनवरी को मकर संक्रांति मनाना ही उचित है।
त्योहार को लेकर भ्रम
मकर संक्रांति के दिन चूड़ा दही तिल से बना मीठा तिलकुट, तिल पापड़ी, तिलवा और आलू, गोभी तथा मटर की सब्जी खाने का प्रावधान है। लोगों का मानना है कि चूड़ा, दही तिलकुट पहले ब्राह्मण को दान दिया जाता है, खुद खाया जाता है, इससे ज्यादा इस त्योहार में ब्राह्मण की कोई आवश्यकता नहीं है और मकर संक्रांति के दिन रात में खिचड़ी चिल्ला जाती है। कई जगहों पर मकर संक्रांति को खिचड़ी के दिन के नाम से भी जाना जाता है।
ज्यादातर लोगों का मानना है कि पंडित ने ही बताया है कि शनिवार के दिन चूड़ा भूंजा या खिचड़ी खाने से ग्रह कटते हैं और शनिवार के दिन ये बेशक खाना चाहिए। यह अहम संजोग की बात है कि इस बार 14 जनवरी शनिवार को है और शनिवार के दिन चूड़ा और खिचड़ी खाना दोनों शुभ है। वहीं कई लोगों की दलील यह भी है कि ब्राह्मण ने ही कहा है कि रविवार के दिन तिल नहीं खाना चाहिए। नई परंपरा के अनुसार 15 जनवरी को मकर संक्रांति कैसे मनाई जा सकती है और अगर 15 जनवरी को मकर संक्रांति मनाई गई तो तिल और खिचड़ी कैसे लोग खाएंगे।
धार्मिक पंचांग के अनुसार मकर संक्रांति रविवार को होगा
मकर संक्रांति की मान्यता और पंचांग की बात करें तो मकर संक्रांति रविवार 15 जनवरी को मनाना उत्तम है। पूर्व के प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य रविचंद्र नाथ तिवारी मंत्र बताते हैं कि मकर संक्रांति के दिन से खरमास की समाप्ति हो जाती है और सभी शुभ कार्य शुरू हो जाते हैं। मकर संक्रांति का मुख्य उद्देश्य भी यही है। शुभ कार्य तभी होते हैं जब मकर राशि में प्रवेश होता है और सूर्य उत्तरायण होते हैं।
पंचांग के अनुसार इस बार 14 जनवरी की देर रात 2:35 बजे प्रवेश कर रहे हैं और रविवार की सुबह सूर्य उत्तरायण हो रहे हैं। तो जब मकर राशि ही नहीं होगी तो फिर मकर संक्रांति मनाने की क्या उपयोगिता है? 14 जनवरी की पूरे शनिवार के दिन पंचांग के अनुसार अशुभ माना जाएगा। हालांकि धार्मिक परंपरा और पंचांग कोर पूजा पाठ द्वारा मकर संक्रांति मनाने वाले सभी लोग 15 जनवरी को ही मानक संक्रांति मनाने की बात कर रहे हैं।
दो दिन मनेगा त्योहार
कुल मिलाकर कहें तो मकर संक्रांति इस बार दो दिन बिहार में मनेगा. कुछ लोग 14 जनवरी को मकर संक्रांति मनाएंगे तो कुछ लोग 15 जनवरी को मनाएंगे। लोगों की दलील का खंडन करते हुए रविचंद्र तिवारी कहते हैं कि अगर कोई यह कहता है कि रविवार के दिन तिल नहीं खाया जाता है तो यह बिल्कुल गलत है। क्योंकि किसी भी ग्रंथ या पंचांग या किसी किताब में यह नहीं लिखा है कि रविवार के दिन तिल या खिचड़ी नहीं जाती है।
रविंद्र नाथ तिवारी कहते हैं कि मकर राशि के प्रवेश से शनिदेव का प्रवेश हो जाता है क्योंकि मकर राशि शनिदेव का घर माना जाता है। जब शनि देव उस दिन से पूरे माघ महीने और फाल्गुन महीने विराजमान रहेंगे तो शनिदेव का सबसे प्रिय तिल है। उसके खाने में कोई प्रतिबंध नहीं है। बाल्की मकर राशि के प्रवेश के बाद तिल किसी दिन भी खाना उचित और शुभ है।
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