मुंबई। महेश भट्ट ने बॉलीवुड में 2 एक्टर्स को अपनी फिल्मों में मौका दिया और दोनों आज इंडस्ट्री के स्टार बन गए। साल 1984 में आई बॉन्ड ने महेश भट्ट की फिल्म मेकिंग की गवाही के साथ 4 अटैचमेंट्स दिए। फिल्म में अनुपम खेर को सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के लिए सम्मानित किया गया। महेश भट्ट की निजी जिंदगी भी थ्रिल फिल्म की कहानी है।
बचपन बेहद दर्दनाक और जवानी जोश से भरी। गरीबी के बाद महेश भट्ट प्रोड्यूसर बने और अमीरी का दौर देखा। अमीरी से मन क्यूबा तो अभिनेता विनोद बेटियों के साथ ओशो के परिवारों में चले गए। हालांकि जल्द ही महेश भट्ट का यहां से भी मन लग गया। फिर भी महेश की कहानियां दुनिया में लौट आती हैं और अभी भी फिल्मों की दुनिया में सक्रिय हैं।
मां मुस्लिम और पिता हिंदू
आजादी के एक साल बाद 1948 में महेश भट्ट का बचपन काफी दर्दभरा रहा। महेश भट्ट की मां मुस्लिम थीं और मुंबई की शिवाजी पार्क में करती थीं। महेश भट्ट के पिता हिंदू थे और वे अपने दूसरे परिवार के साथ रहते थे। हाल ही में अरबाज खान के टॉक शो द इविन्सिवल विथ अरबाज खान के शो में आए महेश भट्ट ने कहा, ‘मेरा बचपन काफी पेनफुल रहा है। मैं मां के साथ शिवाजी पार्क में रहता था। यह एक हिंदू क्षेत्र था और मैरी हमें अछूत माना जाता था। मेरी मां राइटर और टीका को बाहर निकाला गया था। मैं पिता को किसी दूसरे इंसान के तौर पर दूर से जानता था। बचपन में लोग मुझे नाजायज रूस भी चिढ़ाया करते थे।’
अरबाज खान के शो में खुद महेश भट्ट कहते हैं, ‘उस दौर में मैंने खूब शराब पीता था। (फोटो साभार-Instagram@maheshfilm)
फ़र्श से अर्श तक की दूरी तय करें
महेश भट्ट ने पिता के साए के बिना मुफिलिसी में बचपन और मां ने उन्हें काम करने की शक्ति दी। मां ने उन्हें एक दिन घर भेज दिया और कहा कि बिना पैसे कमाए मत लौटना। गर्म दोपहर में महेश महबूब स्टूडियो में गेट पर रुके। जब महेश भट्ट अंदर घुसे तो गार्ड ने रोक लिया और बाहर का रास्ता दिखाया। लेकिन कुछ ही दिनों में महेश ने यहां काम करना शुरू कर दिया। इसके बाद महेश की टक्कर की कहानी उनकी फिल्मों में देखने को मिली। साल 1970 में महेश भट्ट ने सकात डायरेक्ट की पहली फिल्म की। इसके बाद मंजिले और भी हैं, विश्वघात, नया दौर और लहू के दो रंग जैसी कच्छ फिल्में बनाईं। लेकिन इनकी लगातार फिल्में बनी रहीं। इससे परेशान महेश भट्ट ने ओशो के अजनबी का रुख कर लिया। साल 975 के आस-पास महेश भट्ट भी अपने दोस्त के साथ जुड़ गए। हालांकि कुछ ही दिनों में उनका मन भर गया और वापस मुंबई लौट आए।
महेश भट्ट ने पिता के साए के बिना मुफिलिसी में बचपन और मां ने उन्हें काम करने की शक्ति दी। (फोटो साभार-Instagram@maheshfilm)
शराब के नशे में शय्या पर जी रहे हैं महेश भट्ट
मुंबई लौटने के बाद महेश भट्ट ने फिल्मी दुनिया में काम करना शुरू कर दिया और शराब पीना शुरू कर दिया। आपके बचपन की यादें और तेज दिमाग ने किया परेशान तो शराब की मात्रा बढ़ गई। अक्सर पार्टियों में बेहिसाब भरी कोई नई बात नहीं हो रही है। अरबाज खान के शो में खुद महेश भट्ट कहते हैं, ‘उस दौर में मैंने खूब शराब पीता था। जहर में बहताशा शराब का सेवन मुझे नुकसान पहुंचा रहा था। एक दिन सुबह का सूरज मेरे सिर पर चढ़ा तो मेरी आंखें खुलीं। मैंने देखा तो पाया कि मैं सड़क के किनारे पर पड़ा हूँ। इसका मतलब ये था कि मैं यहां नशे में धुत होकर गिर गया था। किसी ने मेरा पर्स लिया था। सुबह उठते ही मैं अपने घर चला गया। हालांकि उस दिन के बाद से मैंने एक चक्कर शराब नहीं पी।’
महेश भट्ट के बचपन में पिता का साया नहीं मिला। (फोटो साभार-Instagram@maheshfilm)
सारांश से कामाया नाम
साल 1984 में महेश ने एक बेहतरीन फिल्म बनाई और अचानक उनकी फिल्में लोगों को पसंद आने लगीं। रियलस्टिक फिल्म बनाने वाले महेश की फिल्म में ही अनुपम खेर को भी स्टार बना दिया था। आज भी जब महेश भट्ट से अनुपम खेर का सामना होता है तो उन्हें कुछ पैसे कट के रूप में महेश भट्ट को देते हैं। अनुपम खेर अकेले ऐसे अभिनेता नहीं हैं। इमरान हाशमी को भी महेश भट्ट ने ही बॉलीवुड में एंट्री दी थी। इमरान हाशमी भी पीछे हटने से नहीं हटते।
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पहले प्रकाशित : 11 मार्च, 2023, 21:14 IST