
UNITED NEWS OF ASIA. सायमा नाज, डिंडोरी । आदिवासी बाहुल्य डिंडोरी जिले की ग्राम पंचायत खारीडीह में मनरेगा योजना को भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ा दिया गया है। यहां के पूर्व सरपंच और सचिव पर गंभीर आरोप लगे हैं कि उन्होंने अपने सगे संबंधियों को ठेकेदार बनाकर फर्जी बिलों के जरिए लाखों रुपये का गबन किया है। ग्रामीणों की शिकायत के बावजूद अब तक जांच पूरी नहीं हो पाई है और दोषियों पर कोई ठोस कार्यवाही नहीं हुई।
रिश्तेदार बने ठेकेदार, फर्जी बिल से निकाली राशि
मिली जानकारी के अनुसार, ग्राम पंचायत खारीडीह में सरपंच और सचिव ने नियमों को ताक पर रखकर अपने भतीजे और अन्य रिश्तेदारों को मनरेगा योजना में ठेकेदार बना दिया। ‘मां दुर्गा ट्रेडर्स’, ‘राजेन्द्र ट्रेडर्स’ जैसे नामों से फर्जी बिल लगाकर बड़ी मात्रा में राशि का आहरण किया गया।
ग्रामीणों की शिकायत पर गठित हुई थी जांच टीम
दिनांक 26 मई 2022 को ग्रामीणों ने जिला पंचायत में लिखित शिकायत दर्ज करवाई थी। इसके बाद सहायक यंत्री एस. सैयाम के नेतृत्व में जांच टीम गठित की गई थी जिसमें एपीओ अशोक कूड़ापे, एई सैयाम और पीसीओ सनत धुर्वे शामिल थे। टीम ने दस्तावेजों की मांग की लेकिन “दस्तावेज नहीं मिलने” के बहाने जांच प्रक्रिया को अधर में लटका दिया गया। अब तक तीन वर्ष बीत चुके हैं, लेकिन न जांच पूरी हुई, न ही कोई कार्यवाही।
मनरेगा की खुली लूट, मजदूरों को नहीं मिल रहा रोजगार
मनरेगा योजना का उद्देश्य ग्रामीण गरीबों को 100 दिन का रोजगार देना है, लेकिन यहां अधिकारी और जनप्रतिनिधि खुद इसका लाभ उठा रहे हैं। मजदूरों को रोजगार नहीं मिल रहा, और योजनाओं का पैसा फर्जी बिलों से निकाला जा रहा है। स्थिति यह है कि पंचायत में कोई काम हुए बिना ही भुगतान कर दिया गया।
ग्रामीणों की दबी जुबान, मिली धमकियां
स्थानीय लोगों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि जब उन्होंने शिकायत की, तो उन्हें धमकियां दी गईं। ग्रामीणों का आरोप है कि इस भ्रष्टाचार में जनपद सदस्य, पूर्व सरपंच, सचिव और रोजगार सहायक शामिल हैं। ग्रामीणों का कहना है कि अगर किसी पत्रकार ने भी इस पर रिपोर्टिंग की, तो उसे भी धमकियां दी जा सकती हैं।
कानून क्या कहता है?
पंचायती राज अधिनियम के तहत कोई भी जनप्रतिनिधि या अधिकारी अपने सगे संबंधियों को सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं दिला सकता। लेकिन खारीडीह में खुलेआम इस नियम की धज्जियां उड़ाई गईं।
जनता की मांग: हो उच्चस्तरीय जांच और दोषियों पर FIR
ग्रामीणों ने सरकार और प्रशासन से मांग की है कि इस पूरे मामले की उच्च स्तरीय जांच हो और दोषियों के खिलाफ IPC की धारा 420 (धोखाधड़ी), 409 (सरकारी राशि का गबन) और मनरेगा अधिनियम के तहत कड़ी कार्यवाही की जाए। साथ ही ग्राम पंचायतों में पारदर्शिता लाकर योजनाओं का लाभ सही पात्रों तक पहुंचाया जाए।
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