
मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव 2023 के लिए सियासी तलवारें खिच रही हैं। साइंस भारतीय जनता सत्ता कायम रहने की जद्दोजहद में है। वहीं, कांग्रेस 2018 की जीत को समझौते की योजना बना रही है। सवाल है कि यह कैसे होगा? कांग्रेस ने पिछले चुनाव में व्यापम घोटाले से लेकर भारत निर्वाचन आयोग पर सवाल तक कई दांव खेले और मैदान मार लिए, लेकिन 2020 के बाद स्थिति बदली नजर आती है।
गांधी परिवार के लिए एमपी मैदान का मालिकाना हक
एमपी चुनाव में भले ही दिग्विजय सिंह, कमलनाथ जैसे बड़े नेता हों, लेकिन सांसद विवेक तन्खा ने भी बड़ी भूमिका निभाई थी। सूचनाओं का कहना है कि तन्खा ही थे, जो व्यापम घोटाले को लेकर भाजपा की प्रदेश सरकार को लेकर घिनौने थे, चुनाव आयोग पर फर्जी वोटर्स पर सवाल उठा रहे थे और मतगणना के दिन तक बहुमत बनाए रखने के लिए काम कर रहे थे।
जब कांग्रेस मिशन एमपी में सफलता हासिल करने के बाद सरकार के लिए दावा पेश करने पहुंचे तो तन्खा साथ ही थे। उन्हें चुनाव प्रचार समिति का सदस्य बनाया गया था। साथ ही वे मेनफॉरेस्ट कमेट के उपाध्यक्ष भी थे। कहा जाता है कि तन्खा उन चुनिंदा कांग्रेस नेताओं में शामिल हैं, जिनकी पार्टी में हर गुट के साथ अच्छे संबंध हैं।
साल 2020 में कांग्रेस के कुछ नेताओं ने सुरक्षा घेरा तैयार किया था, राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी को पत्र लिखा था, जिसमें पार्टी में संगठन स्तर पर सुधार की मांग की गई थी। इनमें तन्खा के दास नबीआज, कपिल सिब्बल जैसे कई बड़े नेताओं के नाम शामिल थे।
व्यापमं घोटाले की आग को बनाए रखा गया
तन्खा ने एमपी की स्थिति में व्यापम घोटाले की आग को बरकरार रखा था। अदालतों में भी उन्होंने इसे चर्चा में बनाए रखा। इसलिए ही नहीं वे ही व्हिसल ब्लोअर्स आशीष चतुर्वेदी, डॉक्टर आनंद राय और प्रशांत पांडे की सोनिया गांधी और राहुल गांधी से दिल्ली में सुनिश्चित करने की थी।
चुनाव आयोग का घोर अपमान
जब कांग्रेस ने आरोप लगाया कि एमपी में 60 लाख फर्जी वोटर हैं। उस दौरान भी तन्खा आगे रहे और कमलनाथ के लिए कोर्ट में पेश हुए। उसी के साथ सुप्रीम कोर्ट में फर्जी अटैचमेंट को लेकर भी याचिका दायर की गई थी।
मामूली अंतर भी बनाए रखा जाता है
एमपी चुनाव के दौरान बीजेपी और कांग्रेस के बीच गठबंधन हुआ था। कहा जाता है कि दिग्विजय, सिंधिया और कमलनाथ जैसे दिग्गजों ने अपने कांग्रेस कार्यालय को करीब 7 घंटे प्रदेश के लिए बंद कर लिया था। तब तन्खा भी मौजूद थे और यह सुनिश्चित कर रहे थे कि मतगणना में कोई विशिष्टता नहीं है और अगली सुबह तक भी पार्टी की संख्या में वृद्धि हो रही है।
कांग्रेस की 2023 योजना
कांग्रेस वर्ष 2023 के विधानसभा चुनाव में पहले ही दल में बदलाव के घाव जीत रही है। हाल ही में पार्टी ने कई स्थानीय चुनाव भी जीते। खबर है कि पार्टी ने पिछले साल राज्य के 52 प्रभार में प्रभार और सह-आरोपियों पर रोक लगाने का फैसला किया था। हालांकि, ये प्रभार चुनाव नहीं लड़ेंगे, लेकिन जिला इकाइयां मजबूत करने के लिए काम करेंगी।
बीते साल अप्रैल में कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेता पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के आवास पर जते थे। खबरें थीं कि इनमें दिग्विजय सिंह, कांतिलाल भूरिया, सुरेश पचौरी, अरुण यादव और अजय सिंह का नाम शामिल है।



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