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लखनऊ विश्वविद्यालय नए सत्र 2023-24 में भगवान राम और अयोध्या का इतिहास पढ़ाएगा

लखनऊ विश्वविद्यालय: अयोध्या में बन रहे भव्य राम मंदिर की चर्चा इस समय पूरे देश और दुनिया में हो रही है और लखनऊ विश्वविद्यालय अपने छात्रों को राम नगरी अयोध्या के बारे में भी सोचता है। जिसके बारे में शायद आप भी नहीं जानते होंगे. इसलिए ही नहीं विश्वविद्यालय में छात्रों को छात्राओं को प्रभु राम और उनके वंश के बारे में भी जानने को मिलेगा। सुप्रीम कोर्ट के आदेश से अयोध्या में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने 2002-03 में जो खुदाई की थी। मिले हुए अवशेषों में राममंदिर के संबंध में सर्वोच्च न्यायालय के फैसले में अहम भूमिका निभाई गई थी। इसकी भी जानकारी दी जाएगी।

विश्वविद्यालय के प्राचीन भारतीय इतिहास और पुरातत्व विभाग अयोध्या के इतिहास को बीए के चौथे वर्ग के छात्र पढ़ेंगे। यह आठवां पेपर है जो फील्ड आर्कियलजी की चौथी इकाई में शामिल है। सिलेबस में यह बदलाव नई शिक्षा नीति के तहत किया गया है।

लखनऊ विश्वविद्यालय में रामनगरी की पढ़ाई होगी

लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. आलोक राय ने कहा कि जो लोग अयोध्या के धार्मिक, आध्यात्मिक महत्व को जानते हैं, अब उनका वैज्ञानिक महत्व भी जान लेंगे। भगवान राम के बारे में सबसे बेहतर जानूंगा। संस्थान की तौर पर हमारी जिम्मेदारी है कि जो भी कंटेंपरहारी चीज है, समीचीन है, जिसका कोई सांकेतिक अर्थ नहीं है, जो ज्ञान और अनुसंधान को बढ़ाने में महत्व रखता है ऐसी सभी चीजों को हम पढ़ते हैं। अयोध्या में जो उत्खनन है, उसका जो भी कल्चरल सीक्वेंस है उसकी विषय के साथ जुड़ा हुआ है।

प्रो आलोक राय ने कहा कि ये सुखद संयोग है कि हम अयोध्या से सिर्फ 2 घंटे की दूरी पर हैं। वह हर कहानी जो हम अनगिनत हैं, उसका एक वैज्ञानिक आधार है। जब हम छोटे बच्चे थे नई कक्षा में जाकर नई किताबें मिलती हैं तो बहुत अच्छा लगता था, पढ़ाई भी ज्यादा करते थे। इसी तरह एक शिक्षक के तौर पर जब हम नया पेपर लेते हैं तो हमारा उत्साह बढ़ता है और अगर वह हमारी खोज से निकला है तो सिर्फ दिमाग से नहीं बल्कि दिल से क्लास है।

नई शिक्षा नीति के तहत बदलाव

वर्कशॉप विभाग के अध्यक्ष प्रो पीयूष भार्गव ने कहा कि हम अवध क्षेत्र में हैं, तो अवध कल्चर को जानने के लिए हमारे आसपास की जो साइट्स हैं वह बहुत महत्वपूर्ण हैं। बच्चों को उनसे परिचित होना चाहिए। विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर दुर्गेश श्रीवास्तव ने कहा कि अयोध्या साहित्य में तो बहुत पहले ही, घटना उत्खनन भी यहां 1969 से शुरू हो गया था। 1862-63 में अयोध्या के ब्रिटिश काल के बारे में अलेक्जेंडर कनिंघम (फादर ऑफ इंडियन आर्कियलजी) ने बताया था।

सुप्रीम कोर्ट के आदेश से अयोध्या में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने 2002-03 में जो उत्खनन जांच वह भी बहुत महत्वपूर्ण है। न्यायालय ने उन संकेतों को बहुत महत्वपूर्ण माना है, इस उत्खनन में अभिलेख, मुहरे, विग्रह और सिक्के आदि मिले थे। इस उत्खनन और इसमें मिले अवशेषों ने राममंदिर के संबंध में सर्वोच्च न्यायालय के फैसले में प्रमुख भूमिका निभाई थी। ऐसे में ये भी सिलेबस का हिस्सा बनाया गया है। अर्थात 1862 से 2002-03 तक क्या-क्या हुआ यह सब शामिल है।

वैज्ञानिक तथ्यों को शामिल किया जाएगा

विभाग की विषयवस्तु माने तो अयोध्या काफी प्राचीन नगर है। पुराणों के अनुसार इस नगर को राजा मनु ने बसाया था। इसके बाद इक्ष्वाकु, दशरथ और भगवान श्रीराम ने यहां शासन किया। अयोध्या के राजाओं के इतिहास के साथ इस नगरी के महत्व और प्रासंगिकता को भी पाठ्यक्रम में शामिल किया गया है। अलग-अलग समय में यहां हुए उत्खनन में विभिन्न रंगों से संबंधित मृणमूर्तियां, पाषाण मूर्तियां, अभिलेख, मुहरें, मुद्रा छाप और परिसंचरण के बारे में भी पढ़ाया जाएगा। यानी कुल मिलाकर आप अयोध्या के बारे में आज तक जो भी पढ़ेंगे और सुनेंगे उसके वैज्ञानिक तथ्य सामने रखेंगे।

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Saurabh Namdev

| PR Creative & Writer | Ex. Technical Consultant Govt of CG | Influencer | Web developer
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