छत्तीसगढ़दंतेवाड़ा

लोन वर्राटू अभियान से नक्सली मोर्चे पर बड़ी जीत, 15 माओवादी मुख्यधारा में लौटे

UNITED NEWS OF ASIA. दंतेवाड़ा। छत्तीसगढ़ में लोन वर्राटू (घर वापसी) अभियान के तहत 15 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण कर मुख्यधारा में लौटने का फैसला किया है। इनमें 9 आरपीसी मिलिशिया सदस्य शामिल हैं। आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों को ₹25,000 की सहायता राशि और पुनर्वास संबंधी अन्य सुविधाएं दी जाएंगी। अब तक इस अभियान के तहत 927 माओवादी सरेंडर कर चुके हैं, जिनमें से 221 इनामी नक्सली भी शामिल हैं।

नक्सल उन्मूलन अभियान की बड़ी सफलता

दंतेवाड़ा में नक्सल उन्मूलन के लिए चलाए जा रहे “लोन वर्राटू” अभियान और छत्तीसगढ़ सरकार की पुनर्वास नीति से प्रभावित होकर नक्सली सरेंडर कर रहे हैं। पुलिस प्रशासन ने बताया कि ये सभी माओवादी सड़क खोदने, नक्सली बैनर-पोस्टर लगाने और अन्य हिंसक गतिविधियों में शामिल थे।

किन अधिकारियों की अहम भूमिका रही?

आत्मसमर्पण अभियान को सफल बनाने में निम्न अधिकारियों की महत्वपूर्ण भूमिका रही—
 सुंदरराज पी. (पुलिस महानिरीक्षक, बस्तर रेंज)
 कमलोचन कश्यप (पुलिस उप महानिरीक्षक, दंतेवाड़ा रेंज)
 राकेश कुमार (पुलिस उप महानिरीक्षक, सीआरपीएफ)
गौरव राय (पुलिस अधीक्षक, दंतेवाड़ा)
 स्मृतिक राजनाला, पूजा कुमार, रामकुमार बर्मन (अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक, दंतेवाड़ा)

किन नक्सलियों ने किया आत्मसमर्पण?

आत्मसमर्पित नक्सलियों में शामिल हैं—
 सिक्का उर्फ भीमा मंडावी – पोटाली पंचायत जनताना सरकार अध्यक्ष
 आसमति ओयाम – सीएनएम सदस्य
 मंगल ओयाम – भूमकाल मिलिशिया सदस्य
 लक्ष्मण उर्फ कर्मा पुनेम – बेचापाल आरपीसी मिलिशिया सदस्य
 राजेश ओयाम, गजलू कुंजाम, सनकू कड़ती, दुनारू ओयाम, रूपाराम वेंजाम, घासी लेकाम – डीएकेएमएस व आरपीसी मिलिशिया सदस्य
 भीमा तेलाम, मनकू माड़वी, बोटी पदाम, सन्नू ओढ़ी, मनकु ओयाम – नक्सली संगठन में विभिन्न पदों पर सक्रिय

सरकार की पुनर्वास नीति का असर

छत्तीसगढ़ सरकार की नक्सल पुनर्वास नीति और पुलिस-सीआरपीएफ की सतत कार्रवाई के चलते भटके हुए नक्सली अब हिंसा का रास्ता छोड़कर मुख्यधारा में लौट रहे हैं। लोन वर्राटू अभियान के तहत पुलिस बल गांव-गांव जाकर नक्सल प्रभावित लोगों को आत्मसमर्पण करने के लिए प्रेरित कर रहा है।

बस्तर में नक्सलवाद की कमर टूट रही है

अब तक 927 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया है, जिससे स्पष्ट है कि सरकार और पुलिस प्रशासन की रणनीति कारगर साबित हो रही है। आने वाले दिनों में और अधिक नक्सलियों के सरेंडर की संभावना है, जिससे बस्तर में नक्सलवाद की जड़ें और कमजोर होंगी।

 


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