
कवर्धा विधानसभा सहित शहर में कमजोर या हिंदू – बीजेपी संगठन से विधानसभा में मिली करारी हार से शहर में नही ध्यान
कवर्धा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को मिले थे लगभग लाख वोट उनका ही नही ध्यान कैसे पार होगी कांग्रेस की नैया
प्रभारियों की टोलियों की चुनावी गूंज सिर्फ कांग्रेस कार्यालय के अंदर, विधानसभा के पैटर्न पर लोकसभा चुनाव मैदान पर
पंडरिया में जातिगत स्थिति मजबूत लेकिन विधानसभा चुनाव में नही मिला परिणाम
वरिष्ठों को किया किनारा, भीतरघातियों और नवप्रवेशी कांग्रेसियों पर भरोसा, कवर्धा के नेता जी गायब, तो पंडरिया के नेता जी का छुपा मुंह
शाम को खर्चा के लिए दिन भर प्रभारी से केवल चर्चा, रात को पूछा तो बोले बघेल जी कौन??
नमस्कार ! यूनाइटेड न्यूज ऑफ़ एशिया के चुनावी लेखांकन के विशेष क्रम में आप सभी देव तुल्य पाठकों का स्वागत है ।
इस खबर में आपने हाईलाइट्स तो पढ़ ही लिया होगा । भविष्य में अगर चुनाव परिणाम कांग्रेस के विपरीत आ जाए तो इनके हार की वजह ये ही होगी । लोकसभा 2024 के रण में अच्छे अच्छे रणवीरों के हौसले और रूह कांप गए हैं ।
क्योंकि बात सियासत की नही अब बात है वर्चस्व की .. एक ओर हिंदुत्व की शिखर पर बढ़ता भारत है तो दूसरी ओर राम को केवल छत्तीसगढ़ में स्वीकार कर सॉफ्ट हिंदुत्व की राजनीति करने वाले राम विरोधी,
खैर चुनावों की बात करें तो छत्तीसगढ़ की 90 विधानसभा सीटों और 11 लोकसभा सीटों में सबसे ज्यादा हाई प्रोफाइल सीट कवर्धा राजनांदगांव लोकसभा की सीट ही है । जिसपर एक ओर बीजेपी की ओर से वर्तमान सांसद संतोष पाण्डेय मुखर स्वर में हिंदुत्व का झंडा लिए चुनावी मैदान में मोदी का परिवार है तो दूसरी ओर छत्तीसगढ़ की पूर्ववर्ती सरकार के मुखिया भूपेश बघेल अपनी साख के सहारे छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के वजूद की लड़ाई के लिए मैदान पर हैं ।
लेकिन यहां चुनावी लड़ाई आसान नहीं है। राज्य बनने के पहले 1999 से अब तक से बीजेपी का ही गढ़ रहा है। 2009 से बीजेपी उम्मीदवार 1 लाख से ज्यादा अंतर से जीत रहे हैं।
इस लोकसभा की एक विधानसभा सीट से विधानसभा अध्यक्ष और पूर्व CM रमन सिंह विधायक हैं। वहीं कवर्धा से डिप्टी CM विजय शर्मा विधायक हैं। पंडरिया में विधायक भावना बोहरा हैं जिन्हे खुद पंडरिया की जनता ने दलगत जातिवाद की राजनीति से ऊपर उठ कर उन्हे युवानेत्री के रूप में स्वीकार किया है । इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि कई दिग्गजों की प्रतिष्ठा इस सीट पर दांव पर लगी है।
राजनांदगांव लोकसभा क्षेत्र में कांग्रेस सरकार के समय दो नए जिले बने, जिनमें मोहला-मानपुर और खैरागढ़-छुईखदान-गंडई शामिल हैं। खैरागढ़ उपचुनाव और विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को इन दोनों ही सीट पर इसका फायदा मिला, लेकिन लोकसभा में ये मुद्दा बेअसर है।
कवर्धा में साल 2021 में हुए भगवा ध्वज कांड की आंच अभी ठंडी नहीं हुई है। लोकसभा में भी ये मुद्दा गरम है। जिसका असर पंडरिया क्षेत्र में भी देखने को मिला। राम मंदिर के मुद्दे पर यहां के लोग भी मुखर हैं।
अब देखने वाली बात यह होगी कि भूपेश बघेल की प्रतिष्ठा पर क्या जनता साथ देगी या वो भी कवर्धा पंडरिया विधानसभा चुनाव में पूर्व स्थापित्व कांग्रेस नेताओं की तरह भीतरघातियो के स्वार्थ सिद्धि में कवर्धा और पंडरिया की जनता की तरह बली चढ़ जायेंगे ?



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