
UNITED NEWS OF ASIA. हरिद्वार। केनरा बैंक वाराणसी ने ज्योतिर्मठ के बदरिकाश्रम हिमालय के आधिकारिक ट्रस्ट खाते को फ्रीज कर दिया व बताया गया खाते को फर्जी दस्तावेजों के साथ स्व-घोषित फर्जी बाबा अविमुक्तेश्वरानंद द्वारा ट्रस्ट खाते को धोखाधड़ी से अपने नाम पर स्थानांतरित कर लिया था। वही खाते को स्वामी गोविंदानंद सरस्वती (हिंदू कानूनी अधिकार संरक्षण मंच) द्वारा दर्ज की गई शिकायत पर यह कार्यवाही की गई है। मामले में 60 लाख की ठगी की बात कही गई।
वाराणसी बैंक के वरिष्ठ प्रबंधक ने खाते को फ्रीज कर दिया और हस्ताक्षरित दस्तावेज मोहर के साथ स्वामी गोविंदानंद सरस्वती को सौंप दिया है। वही, अब इस खबर की असली सच्चाई निकलकर सामने आई हैं।
स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती महाराज ने किया था न्यास का गठन –
जगतगुरु शंकराचार्य ज्योतिष्पीठाधीश्वर – बदरिकाश्रम हिमालय स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती महाराज ने एक न्यास पत्र के द्वारा ‘ज्योर्तिमठ बदरिकाश्रम हिमालय’ नामक एक निजी न्यास का गठन किया, जिसके वे एकमात्र न्यासी और संचालक थे।
वसीयत के अनुसार –
शंकराचार्य जी के ब्रह्मलीन होने के पश्चात उनकी वसीयत में दिए गए निर्देशों के अनुसारही 12 सितंबर 2022 को स्वामी सदानंद सरस्वती जी महाराज जी का जगतगुरु शंकराचार्य शारदामठ द्वारका के पद पर तथा स्वामी अविमुक्तेश्वरानन्द सरस्वती जी महाराज का जगतगुरु शंकराचार्य ज्योतिर्मठ – बदरिकाश्रम के पद पर लाखों लोगों की उपस्थिति में विधि विधान से अभिषेक व पट्टाभिषेक कर के उन्हें उनके पीठों का शंकराचार्य नियुक्त कर दियाा गया।
ब्रह्मलीन शंकराचार्य ने सिर्फ 3 शिष्यों को दंड संन्यास की दी दीक्षा –
ब्रम्हलीन शंकराचार्य ने अपने जीवनकाल में अपने ब्रह्मचारी शिष्यों में से मात्र 3 शिष्यों को दंड संन्यास की दीक्षा दी थी, जिनमें से स्वामी सदानंद सरस्वती को उन्होंने अपने शारदा मठ द्वारका के उत्तराधिकारी जगतगुरु शंकराचार्य के रूप में और स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती जीमहा को ज्योर्तिमठ बदरिकाश्रम के उत्तराधिकारी जगतगुरु शंकराचार्य के रूप में दंड संन्यास की दीक्षा दी थी। इसके साथी उन्होंने स्वामी रामरक्षानंदसरस्वती जी को अन्य कारणों से दंड संन्यास की दीक्षा दी, जो कि उक्त वसीयत लिखने के पूर्व ही ब्रह्मलीन हो चुके थे।
समाचार पत्रों से मिली जानकारी –
5 जून 2024 के हिंदी समाचारों और संस्करणों तथा स्वामी गोविंदनंद सरस्वती नामक फेसबुक हैन्डल से जानकारी दी गई कि कनारा बैंक चौक शाखा में “ज्योर्तिमठ बदरिकाश्रम हिमालय” के नाम से ज्योर्तिमठ बदरिकाश्रम हिमालय न्यास का जगतगुरु शंकराचार्य ज्योतिष्पीठाधीश्वर व बदरिकाश्रम हिमालय का जो खाता था, उसे तो हिन्दू कानूनी अधिकार सरक्षण मंच के स्वामी गोविंदनंद सरस्वती के द्वारा 14 मई 2024 को की गई शिकायत के आधार पर 5 जून को फ्रीज कर दिया गया।
ठग स्वामी ने शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरनन्द के लिए किया अपशब्दों का प्रयोग –
प्रतिरूपक ठग स्वामी गोविंदानंद सरस्वती के द्वारा जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरनन्द सरस्वती जी महाराज के लिए अपमानजनक सम्बोधन का प्रयोग करते हुए समाचार पत्रों के संवाददाताओं को बताया कि “फर्जी दस्तावेजों के साथ स्वघोषित फर्जी बाबा अविमुक्तेश्वरनन्द ने ज्योर्तिमठ बदरिकाश्रम हिमालय के आधिकारिक खाते को धोखाधड़ी से अपने नाम पर स्थानांतरित कर उसमें से 60 लाख रुपये निकाल कर गबन कर लिया है।
वाराणसी बैंक के वरिष्ठ प्रबंधक ने खाते को फ्रीज कर दिया और हस्ताक्षरित दस्तावेज मोहर के साथ स्वामी गोविंदनंद सरस्वती को सूप सौंप दिया। बदरीविशाल समाचार पत्र ने गोविंदा नन्द सरस्वती के प्रेस को जारी किये गए कनारा बैंक की वाराणसी शाखा व महर्षि देवेन्द्र रोड कोलकाता शाखा के शाखा प्रबंधकों के मध्य हुए आंतरिक पत्रव्यवहार को भी समाचार बॉक्स बनाकर समाचार के मध्य में प्रकाशित किया हैं।
एक्शन में ज्योतिर्मठ बद्रिकाश्रम हिमालय –
वही, अब इस पूरे मामले में एक्शन लेते हुए राजेंद्र प्रसाद मिश्र ज्योतिर्मठ बद्रिकाश्रम हिमालय उत्तराखंड ने F.I.R. दर्ज कराई हैं, जिसमें सबूत के साथ खुलासा किया है कि किस तरह से हिन्दू कानूनी अधिकार सरक्षण मंच के स्वामी गोविंदनंद सरस्वती ने केनरा बैंक के अधिकारियों कर्मचारी के साथ मिली भगत करके खाते को फ्रिज कराया हैं और शंकराचार्य के छवि को बदनाम करने की कोशिश की हैं।
ठग स्वामी ने रचा खेल –
गोविंदानंद सरस्वती स्वामी नामधारी ठग, कपटी, धोखेबाज, ढोंगी, जालसाज और उसके विधि विरुद्ध बैंक खाता फ्रीज कर, निजी खाते से संबंधित आंतरिक पत्रव्यवहार को एक बहरूपिये नामधारी को उपलब्ध कराके प्रिन्ट, इलेक्ट्रॉनिक, सोशल मीडिया के माध्यम से धर्मसम्राट अनंत श्री विभूषित जगद्गुरु शंकराचार्य ज्योतिर्मठ ज्योतिष्पीठाधीश्वर स्वामीश्री अविमुक्तेश्वरनन्द सरस्वती जी महाराज, शिवावतर जगद्गुरु आदि शंकराचार्य द्वारा 2505 वर्ष पूर्व स्थापित ज्योतिर्मठ बदरिकाश्रम, ज्योतिर्मठ बदरिकाश्रम हिमालय न्यास, इन जगद्गुरु शंकराचार्य तथा इनके ज्योतिर्मठ में आस्था रखने वाले सभी श्रद्धालुओं के विरुद्ध धारा 295 ए, 406, 409, 419, 420, 427, 465, 467, 468, 469, 471, 474, 500, 504, 505, 34, 109 और 120-बी भारतीय दंड संहिता, 1860 तथा धारा 66-डी 72 एवं 72ए सूचना और प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 के अंतर्गत आपराधिक कृत्यों के प्रति दंडात्मक कार्यवाही आरंभ करने के क्रम में 7 जून 2024 के दिन वाराणसी के चौक थाने में
- 1. गोविंदानंद सरस्वती स्वामी
- 2. हिन्दू लीगल राइट प्रोटेक्सन फोरम
- 3. अंशुल चौहान, वरिष्ठ प्रबंधक केनरा बैंक, चौक शाखा
- 4. शाखा प्रबंधक, केनरा बैंक, एम.डी. रोड शाखा, कोलकाता
- 5. केनरा बैंक वजरिए मुख्यकार्याधिकारी & मुख्य कार्य अधिकारी के विरुद्ध उपर्युक्त धाराओं में FIR दर्ज कराया गया।
मामले में कार्यवाही –
साथ ही कनारा बैंक और अधिकारियों ने विधि विरुद्ध खाता फ्रीज कर निजी जानकारी को एक बहेतू व्यक्ति को दे करके धर्म सम्राट जगद्गुरु शंकराचार्य जी महाराज, ज्योतिर्मठ की ख्याति और संपत्ति को जो अपूर्णीय क्षति पहुंचाते हुए, सेवा में कमी तथा व्यावसायिक/वाणिज्यिक संविदा की शर्तों का और निजता के अधिकार का उल्लंघन किया।
कपटपूर्ण कार्य और दीवानी अपकृत्यों की भरपाई क्षतिपूर्ति व मुआवजे प्रतिबंधात्मक उपचार के लिए सक्षम न्यायालय आयोग व भारतीय रिजर्व बैंक में समुचित विधिक प्रक्रियाएँ प्रारंभ करने के लिए जगद्गुरु शंकराचार्य विधि प्रकोष्ठ के महान्यायविद् को निर्देश दे दिए गए हैं।



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